औरंगाबाद (बिहार) – बिहार के औरंगाबाद जिले में शिक्षा विभाग उस समय विवादों में आ गया, जब प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी (BEO) द्वारा जारी एक आधिकारिक पत्र में कई गंभीर वर्तनी और व्याकरण संबंधी त्रुटियां सामने आईं। यह पत्र सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया, जिसके बाद विभाग की कार्यशैली और अधिकारियों की भाषा दक्षता पर सवाल उठने लगे।
क्या है पूरा मामला
प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी की ओर से विद्यालयों के लिए एक 10 बिंदुओं वाला कार्यालय आदेश जारी किया गया था। लेकिन इस पत्र में सामान्य शब्दों की भी गलत वर्तनी लिखी गई थी। पत्र में एक दर्जन से अधिक गलतियां पाई गईं, जिससे यह आदेश चर्चा का विषय बन गया।
सोशल मीडिया पर उड़ा मजाक
जैसे ही यह पत्र शिक्षकों और आम लोगों तक पहुंचा, सोशल मीडिया पर इसकी तस्वीरें वायरल होने लगीं। कई लोगों ने व्यंग्य करते हुए कहा कि जब शिक्षा विभाग के अधिकारी ही शुद्ध भाषा में पत्र नहीं लिख पा रहे हैं, तो छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा कैसे दी जाएगी।
भाषाई त्रुटियों ने बढ़ाई परेशानी
पत्र में “समय”, “सूचना”, “निरीक्षण”, “गुणवत्ता” जैसे आम शब्दों की वर्तनी भी गलत पाई गई। इन त्रुटियों ने न केवल विभाग की छवि को नुकसान पहुंचाया, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही को भी उजागर किया।
लापरवाही या जल्दबाजी?
इस पूरे मामले को लेकर यह सवाल उठ रहा है कि क्या पत्र तैयार करने में लापरवाही बरती गई या बिना जांच-पड़ताल के ही उस पर हस्ताक्षर कर दिए गए। जानकारों का मानना है कि सरकारी दस्तावेजों में इस तरह की गलतियां स्वीकार्य नहीं हैं।
विभाग ने लिया संज्ञान
मामले के तूल पकड़ने के बाद जिला स्तर पर अधिकारियों ने संज्ञान लिया है। प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी से स्पष्टीकरण मांगा गया है और पूरे मामले की जांच शुरू कर दी गई है। यह भी कहा जा रहा है कि आगे की कार्रवाई जांच रिपोर्ट के आधार पर की जाएगी।
शिक्षा व्यवस्था पर असर
इस घटना ने एक बार फिर सरकारी शिक्षा व्यवस्था में गुणवत्ता, जवाबदेही और प्रशासनिक सतर्कता को लेकर बहस छेड़ दी है। लोगों का कहना है कि शिक्षा विभाग को ऐसे मामलों से सबक लेकर सुधारात्मक कदम उठाने चाहिए।