सख्ती. अगले महीने नियोजित शिक्षकों की सेवा शर्त होगी लागू
खगड़िया, औरंगाबाद, छपरा, नवादा, बेगूसराय, भागलपुर के डीपीओ शिक्षकों को नहीं दे रहे वेतन वृद्धि का लाभ, उनपर होगी कार्रवाई.
पटना : राज्य सरकार करीब साढ़े तीन लाख नियोजित शिक्षकों की सेवा शर्त
पर अगले महीने फैसला ले लगी. शिक्षा विभाग ने इसकी तैयारी पूरी कर ली है.
एक सितंबर को इस संबंध में शिक्षक संघ से बातचीत के बाद इसे अमली जामा
पहनाया जायेगा. इधर, राज्य के नियोजित शिक्षकों के लिए सरकार की ओर से राशि
जारी होने के सात दिन के अंदर अगर जिलों से शिक्षकों के खाते में राशि
नहीं जाती है तो संबंधित जिला कार्यक्रम पदाधिकारी पर अनुशासनात्मक
कार्रवाई की जायेगी. वेतन रोकने से लेकर उन्हें निलंबित तक किया जायेगा. यह
निर्देश बुधवार को शिक्षा मंत्री डॉ. अशोक चौधरी ने दे दिये हैं. उन्होंने
बताया कि शिक्षा विभाग की ओर से राशि जारी होने के बाद भी जिलों में पड़ी
रहती है.
जिला कार्यक्रम पदाधिकारी उसे शिक्षकों के खाते में ट्रांसफर नहीं
करते हैं. इसलिए माध्यमिक शिक्षा निदेशालय को निर्देश दिया गया है कि डीपीओ
के खाते में राशि जाने के सात दिन के अंदर वे शिक्षकों के खाते में अगर
राशि ट्रांसफर नहीं करते हैं तो उन्हें निलंबित तक कर दिया जाये. उन्होंने
कहा कि अगले तीन दिनों के अंदर माध्यमिक शिक्षकों के वेतन को लेकर डीपीओ का
जो बैंक एकाउंट लॉक हैं उसे खोल दिया जायेगा. इसके लिए वित्त मंत्री
अब्दुल बारी सिद्दीकी से बातचीत हुई है. इससे सात दिनों के अंदर राज्य के
हाइ व प्लस टू स्कूलों के करीब 35 हजार नियोजित शिक्षक और 15 हजार मदरसा
शिक्षकों को बकाया वेतन मिल सकेगा. नियोजित शिक्षकों के वेतन मामले के
स्थायी समाधान के लिए भी तैयारी की जा रही है.
शिक्षकों को आरटीजीएस के माध्यम से हर महीने वेतन का भुगतान किया जा
सके. साथ ही बिहार विधान परिषद् के सभापति की अध्यक्षता में महालेखाकार,
वित्त, शिक्षा के मंत्री-प्रधान सचिव की बैठक कर शिक्षकों को दी जा रही
बैंकिंग स्लिप को ही उपयोगिता प्रमाण पत्र मानने की बात रखी जायेगी. शिक्षा
मंत्री ने कहा कि कई जिलों के डीपीओ के खिलाफ शिकायत मिली है कि वे
नियोजित शिक्षकों के वेतन वृद्धि का लाभ नहीं दे रहे हैं. खगड़िया,
औरंगाबाद, छपरा, नवादा, बेगूसराय, भागलपुर डीपीओ के खिलाफ ऐसी ही शिकायत
मिली है. माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने इन्हें कई बार रिमाइंडर भी दिया,
लेकिन कुछ नहीं हुआ. इस पर मंत्री ने संबंधित अधिकारियों के खिलाफ
अनुशासनात्मक कार्रवाई करने को कहा है. माध्यमिक शिक्षक संघ से वार्ता में
विधान पार्षद दिलीप चौधरी, संजय सिंह, संजीव सिंह, संघ के अध्यक्ष शत्रुघ्न
प्रसाद सिंह, महासचिव केदार नाथ पांडेय, माध्यमिक शिक्षा निदेशक राजीव
प्रसाद सिंह रंजन, अजीत कुमार, शिवनाथ प्रसाद मौजूद थे. राज्य के हाइ
स्कूलों में 2006-10 के बीच बहाल वैसे अप्रशिक्षित शिक्षक जिन्होंने अब तक
ट्रेनिंग नहीं की है, उन्हें प्रशिक्षित किया जायेगा. अभी भी करीब 10 हजार
शिक्षक अप्रशिक्षित हैं.
राज्य में छह बीएड कॉलेज हैं, जिसमें बहुत कम ही शिक्षकों को नामांकन
हो सका है. इसलिए विभाग ने माध्यमिक शिक्षा निदेशालय को प्र्सताव बनाने का
निर्देश दिया है ताकि सभी शिक्षकों की एक साथ ट्रेनिंग हो जाये. बीएड
कॉलेजों में एसटीइटी पास अप्रशिक्षित शिक्षक भी एडमिशन ले रहे थे, लेकिन
विभाग ने वरीयता के आधार पर एडमिशन लेने का निर्देश भी दिया है.
बैठक में ऐसे मामले भी आये कि ट्रेनिंग के लिए सवैतनिक अवकाश की
सुविधा अप्रैल 2016 से शुरू हुई और जिन शिक्षकों को 2015-17 के लिए एडमिशन
लिया है उन्हें लाभ दिया जायेगा या नहीं. इस पर मंत्री अप्रैल 2016 से इसका
लाभ देने का निर्देश दिया है. शिक्षा मंत्री ने माध्यमिक शिक्षक संघ से
जिलों में दी जा रही धरना को खत्म करने की भी अपील की है.
राज्य के नियोजित शिक्षकों की सेवा शर्त के लिए राज्य सरकार शिक्षक
संघों से भी सुझाव लेगी और इसके बाद इसे लागू करने की दिशा में सरकार आगे
बढेगी. बुधवार को माध्यमिक शिक्षक संघ के वार्ता के दौरान शिक्षा मंत्री
डॉ. अशोक चौधरी ने एक सितंबर को हाइ व प्लस टू स्कूलों के नियोजित शिक्षकों
की सेवा शर्त के लिए माध्यमिक के वैसे शिक्षक संघ जो पूर्व में मुख्य सचिव
के साथ वार्ता में शामिल थे उनसे सुझाव लेने को कहा है.
इसके लिए माध्यमिक शिक्षा निदेशक को नोडल बनाया गया है. इसके बाद
प्रारंभिक स्कूलों के नियोजित शिक्षकों की सेवा शर्त में सुझाव देने के लिए
तारीख का निर्धारण किया जायेगा.
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