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बिहार शिक्षक नियोजन : निगरानी ने दिया प्राथमिकी का आदेश

जागरण संवाददाता, सुपौल: सुपौल। नियोजन में हेराफेरी एवं धोखाधड़ी कर नौकरी पाने वाले शिक्षक-शिक्षिकाओं एवं नौकरी देने वाले नियोजन इकाई पर गाज गिरनी शुरू हो गई है। उच्च न्यायालय के आदेश पर चल रही जांच के दौरान सुपौल में प्रतिनियुक्त निगरानी अन्वेशन ब्यूरो के पदाधिकारियों ने लगभग दो दर्जन शिक्षकों के नियोजन को अपने जांच के दायरे में रखा है, जिसके गहन छानबीन के बाद उम्र में हेराफेरी कर
नौकरी पाने वाली शिक्षिका एवं नौकरी देने वाले पंचायत नियोजन इकाई के सभी सदस्यों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश शिक्षा विभाग के नोडल पदाधिकारी को दिया है। इसके अतिरिक्त शिक्षिका को बर्खास्त करते हुए वेतन में ली गई सभी राशि का रिकवरी करने का आदेश दिया है। निगरानी अन्वेशन ब्यूरो के आदेश पर जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना सह नोडल पदाधिकारी ने प्रखंड विकास पदाधिकारी सुपौल को पत्र लिखकर निगरानी अन्वेशन ब्यूरो के आदेश का अनुपालन करते हुए प्रतिवेदन समर्पित करने का आदेश दिया है।

सुपौल प्रखंड के अमहा पंचायत के मध्य विद्यालय सपरदाहा में पदस्थापित नियोजित प्रारंभिक शिक्षिका मोनी कुमारी के निगरानी जांच के क्रम में आयोजन पत्र एवं मेधा सूची में की गई अनियमितता के आलोक में प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया गया है। उच्च न्यायालय पटना के सीडब्ल्यूजेसी नंबर 15459-2014 रंजीत पंडित बनाम राज्य सरकार एवं अन्य में पारित आदेश के आलोक में निगरानी जांच के क्रम में पाया गया कि मोनी कुमारी ने वर्ष 2006 के शिक्षक नियोजन के आवेदन प्रपत्र में जन्म तिथि 5 जुलाई 1988 अंकित किया है। जिसमें 1 जनवरी 2006 को आयु 18 वर्ष नौ महीना 26 दिन दर्शाया गया है। परंतु उक्त तिथि को प्रतिवेदन के साथ संलग्न मैट्रिक प्रमाणपत्र में अंकित जन्म तिथि के अनुसार उनका वास्तविक उम्र 17 वर्ष पांच महीना 26 दिन होता है, जो 18 वर्ष की निर्धारित आयु से कम है। तत्कालीन नियोजन समिति ने तैयार मेधा सूची की उपलब्ध प्रति में आवेदिका की उम्र 5-12-1986 दर्शाते हुए नियोजन वर्ष 2006 में किया गया है। जिसके लिये नियोजित शिक्षिका मोनी कुमारी एवं नियोजन समिति के तत्कालीन पंचायत सचिव एवं सदस्यगण जिम्मेवार हैं। इस संदर्भ में निगरानी विभाग के पुलिस पदाधिकारी के द्वारा प्राथमिकी दर्ज करने हेतु आवश्यक कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया है। निगरानी विभाग के पुलिस पदाधिकारी द्वारा प्राप्त पत्र एवं संलग्न साक्ष्य तथा विभागीय निर्देश की प्रति संलग्न करते हुए अनुरोध किया गया है कि पत्र के निर्देशानुसार संबंधितों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करते हुए विभागीय निदेशानुसार संबंधित शिक्षिका को नियमानुसार सेवामुक्त करने के साथ नियत वेतन मद में अद्यावधि ली गई राशि की वसूली पब्लिक डिमांड रिकवरी एक्ट के तहत करते हुए अनुपालन प्रतिवेदन समर्पित किया जाय ताकि निगरानी विभाग एवं निदेशालय को प्रतिवेदन समर्पित किया जा सके।
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