समस्तीपुर । लोगों को ज्ञान देने वाले गुरुजी की ¨जदगी आज बदहाल है।
अपनी ¨जदगी की परेशानियों को देखते हुए अधिसंख्य शिक्षक अपने बच्चे को
शिक्षक नहीं बनाना चाह रहे हैं। हर शिक्षक अपने बच्चे को डाक्टर, इंजीनियर,
वकील, आईएएस, बैंक अधिकारी आदि बनाना चाहते हैं। कारण है शिक्षकों को ने
तो ढंग का वेतन मिलता न ही गलैमरस ¨जदगी। पूरी ¨जदगी जरूरतों के लिए
संघर्ष करने में बीत जाती है।
कभी समय पर वेतन नहीं मिलता है। हर माह वेतन के लिए टकटकी लगाए रहते हैं। प्रोफेसर की बात छोड दें तो स्कूलों के नए शिक्षकों को महंगाई के हिसाब से काफी कम पैसे मिल रहे हैं। इतने कम पैसों में जीवन की गाड़ी खींच पाना मुश्किल है। वेतन इतने कम है कि बड़े परिवार किचने चलाना भी मुश्चिकल हो जाता है। फिर अच्छे स्कूलों क महंगी फीस अदा करना तो उनके बस की बात ही नहीं रह जाती है।
----------
वेतन भी समय पर नहीं मिलता
शिक्षकों को कभी समय पर वेतन नहीं मिलता है। वेतन के इंतजार में कई माह बीत जाते हैं। चार से पांच महीने का वेतन बकाया होने पर एक माह का वेतन दे दिया जाता है। समय से वेतन नहीं मिलने के कारण दुकानदार भी इन शिक्षकों को कुछ भी उधार देने से कतराते हैं। कर्जदार भी शिक्षकों को कर्ज देना नहीं चाहते हैं। वे कर्ज के पैसों को समय पर चुकता नहीं कर पाते हैं। -----------------लिए जाते गैर शैक्षणिक कार्य
शिक्षकों को अब भी गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाया जाता है। उनसे बीएलओ, जनगणना आदि के अलावे अन्य काम भी लिए जाते हैं। सबसे अधिक समस्या शिक्षकों के सामने एमडीएम को लेकर है। एमडीएम के कारण शिक्षकों की गरिमा गिर रही है।
-----------------गुणवत्तापूर्ण शिक्षा बनी चुनौतीव्यवस्था की खामियों के चलते शिक्षकों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सबसे बड़ी समस्या बन गई है। समय से पाठ्य पुस्तक उपलब्ध नहीं हो रहा है। सरकार ने शिक्षण अधिगम सामग्री देनी बंद कर दी है। पहले स्कूलों में ²श्य श्रवण साधन के रूप में टीएलएम व टीएलई आदि दिया जाता था जिससे गुणवत्ताप र्ण शिक्षा देने में सहुलियत होती थी लेकिन आज यह सब बंद हो चुका है। मध्याह्न भोजन में शिक्षकों के फंसे रहने से भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रभावित हो रही है।
---------------श्रेणी से शिक्षकों में पनप रही हीन भावना
समान काम के बदले समान वेतन नहीं मिलने तथा श्रेणी में बटने के कारण शिक्षकों में हीन भावना पनप रही है। नियोजित व रेगुलर शिक्षक के बीच गहरी खाई है। दोनों क वेतन में बहुत बड़ा अंदर है। इस श्रेणी के चलते शिक्षकों में हीन भावना पनप रही है। शिक्षक के हीन भावना से ग्रसित होने का असर शैक्षणिक व्यवस्था पर पड़ना लाजिमी है। शिक्षकों में समरूपता जरूरी है। ---------------क्या कहते हैं शिक्षक
फोटो : 26 एसएएम 28उमवि मसीना के शिक्षक महेश प्रसाद यादव कहना है कि शिक्षकों से मूल काम से अलग हटकर गैर शैक्षिण कार्य भी लिए जाते हैं। इससे शैक्षणिक कार्य बाधित होता है। एमडीएम, बीएलओ आदि काम के चलते शैक्षणिक कार्य प्रभावित होता है। शिक्षण अधिगम सामग्री बंद होने से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर प्रतिकुल असर पड़ रहा है। पाठ्य पुस्तक समय पर नहीं मिल पाता है। ये अपने बेटे को शिक्षक बनाना नहीं चाहेंगे।
फोटो : 26 एसएएम 24उमवि पोखरैरा के शिक्षक मंडल राय कहते हैं कि शिक्षकों के लिए सबसे बड़ी समस्या एमडीएम है। इससे शिक्षकों की प्रतिष्ठा का हनन हो रहा है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा भी प्रभावित होती है। स्कूलों में छात्र शिक्षक अनुपात की भी समस्या है। शिक्षकों के दुर्दशापूर्ण स्थिति के कारण अपने बच्चे को शिक्षक नहीं बनाना चाहेंगे।
फोटो : 26 एसएएम 26
उमवि लग निया सूर्यकंठ के एचएम सौरभ कुमार कहते हैं कि शिक्षकों का श्रेणी करण सबसे बड़ी समस्या है। इससे शिक्षा व्यवस्था गिर रही है। शिक्षकों को समान काम के बदले समान वेतन मिलना चाहिए। एमडीएम में खामी खोजने के बदले वर्ग कक्ष में अकादमिक गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि तमाम समस्याओं के बाद भी य अपने बच्चे को शिक्षक बनाना चाहेंगे। फोटो : 26 एसएएम 25प्राथमिक विद्यालय सारंगपुर टारा, मोरवा के शिक्षक रामचंद्र राय ने कहा कि शिक्षकों को समय से वेतन नहीं मिलता है। उनके सामने भूखमरी की स्थिति हो जाती है। स्कूलों गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में सबसे बड़ी समस्या पाठ्य पुस्तक की अनुपलब्धता है। टीएलई, टीएलएम आदि बंद कर दिया गया। ये अपने बच्चे को शिक्षक बनाना चाहेंगे। फोटो : 26 एसएएम 38उमवि उदयपुर कॉलोनी की शिक्षिका मीनू कुमारी कहती हैं कि समान काम के बदले समान वेतन नहीं मिल रहा है। अल्प वेतन भी समय पर नहीं मिल रहा है। एक बार मिल जाता है फिर चार महीने इंतजार करना पड़ता है। अभी वे ट्रे¨नग में चली गई इससे पूर्व 117 छात्रों को अकेले पढ़ाती थी। ये अपने बच्चे को शिक्षक बनाना चाहेंगी।
फोटो : 26 एसएएम 39मवि खानपुर के शिक्षक श्याम कुमार पांडेय बताते हैं कि आरटीई का पालन नहीं हो रहा है। छात्र-शिक्षक का अनुपात सही नहीं हो पाया है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में संसाधन की कमी आड़ें आ रही है। समान काम के बदले समान वेतन नहीं मिल रहा है। काम के घंटे पर चर्चा होती है लेकिन वार्षिक दिन पर चर्चा नहीं होती है। ये अपने बेटे शिक्षक बनाना चाहेंगे। भूखा रहकर ही सही यह सर्वोत्तम कार्य है।
Sponsored link : सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
कभी समय पर वेतन नहीं मिलता है। हर माह वेतन के लिए टकटकी लगाए रहते हैं। प्रोफेसर की बात छोड दें तो स्कूलों के नए शिक्षकों को महंगाई के हिसाब से काफी कम पैसे मिल रहे हैं। इतने कम पैसों में जीवन की गाड़ी खींच पाना मुश्किल है। वेतन इतने कम है कि बड़े परिवार किचने चलाना भी मुश्चिकल हो जाता है। फिर अच्छे स्कूलों क महंगी फीस अदा करना तो उनके बस की बात ही नहीं रह जाती है।
----------
वेतन भी समय पर नहीं मिलता
शिक्षकों को कभी समय पर वेतन नहीं मिलता है। वेतन के इंतजार में कई माह बीत जाते हैं। चार से पांच महीने का वेतन बकाया होने पर एक माह का वेतन दे दिया जाता है। समय से वेतन नहीं मिलने के कारण दुकानदार भी इन शिक्षकों को कुछ भी उधार देने से कतराते हैं। कर्जदार भी शिक्षकों को कर्ज देना नहीं चाहते हैं। वे कर्ज के पैसों को समय पर चुकता नहीं कर पाते हैं। -----------------लिए जाते गैर शैक्षणिक कार्य
शिक्षकों को अब भी गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाया जाता है। उनसे बीएलओ, जनगणना आदि के अलावे अन्य काम भी लिए जाते हैं। सबसे अधिक समस्या शिक्षकों के सामने एमडीएम को लेकर है। एमडीएम के कारण शिक्षकों की गरिमा गिर रही है।
-----------------गुणवत्तापूर्ण शिक्षा बनी चुनौतीव्यवस्था की खामियों के चलते शिक्षकों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सबसे बड़ी समस्या बन गई है। समय से पाठ्य पुस्तक उपलब्ध नहीं हो रहा है। सरकार ने शिक्षण अधिगम सामग्री देनी बंद कर दी है। पहले स्कूलों में ²श्य श्रवण साधन के रूप में टीएलएम व टीएलई आदि दिया जाता था जिससे गुणवत्ताप र्ण शिक्षा देने में सहुलियत होती थी लेकिन आज यह सब बंद हो चुका है। मध्याह्न भोजन में शिक्षकों के फंसे रहने से भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रभावित हो रही है।
---------------श्रेणी से शिक्षकों में पनप रही हीन भावना
समान काम के बदले समान वेतन नहीं मिलने तथा श्रेणी में बटने के कारण शिक्षकों में हीन भावना पनप रही है। नियोजित व रेगुलर शिक्षक के बीच गहरी खाई है। दोनों क वेतन में बहुत बड़ा अंदर है। इस श्रेणी के चलते शिक्षकों में हीन भावना पनप रही है। शिक्षक के हीन भावना से ग्रसित होने का असर शैक्षणिक व्यवस्था पर पड़ना लाजिमी है। शिक्षकों में समरूपता जरूरी है। ---------------क्या कहते हैं शिक्षक
फोटो : 26 एसएएम 28उमवि मसीना के शिक्षक महेश प्रसाद यादव कहना है कि शिक्षकों से मूल काम से अलग हटकर गैर शैक्षिण कार्य भी लिए जाते हैं। इससे शैक्षणिक कार्य बाधित होता है। एमडीएम, बीएलओ आदि काम के चलते शैक्षणिक कार्य प्रभावित होता है। शिक्षण अधिगम सामग्री बंद होने से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर प्रतिकुल असर पड़ रहा है। पाठ्य पुस्तक समय पर नहीं मिल पाता है। ये अपने बेटे को शिक्षक बनाना नहीं चाहेंगे।
फोटो : 26 एसएएम 24उमवि पोखरैरा के शिक्षक मंडल राय कहते हैं कि शिक्षकों के लिए सबसे बड़ी समस्या एमडीएम है। इससे शिक्षकों की प्रतिष्ठा का हनन हो रहा है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा भी प्रभावित होती है। स्कूलों में छात्र शिक्षक अनुपात की भी समस्या है। शिक्षकों के दुर्दशापूर्ण स्थिति के कारण अपने बच्चे को शिक्षक नहीं बनाना चाहेंगे।
फोटो : 26 एसएएम 26
उमवि लग निया सूर्यकंठ के एचएम सौरभ कुमार कहते हैं कि शिक्षकों का श्रेणी करण सबसे बड़ी समस्या है। इससे शिक्षा व्यवस्था गिर रही है। शिक्षकों को समान काम के बदले समान वेतन मिलना चाहिए। एमडीएम में खामी खोजने के बदले वर्ग कक्ष में अकादमिक गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि तमाम समस्याओं के बाद भी य अपने बच्चे को शिक्षक बनाना चाहेंगे। फोटो : 26 एसएएम 25प्राथमिक विद्यालय सारंगपुर टारा, मोरवा के शिक्षक रामचंद्र राय ने कहा कि शिक्षकों को समय से वेतन नहीं मिलता है। उनके सामने भूखमरी की स्थिति हो जाती है। स्कूलों गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में सबसे बड़ी समस्या पाठ्य पुस्तक की अनुपलब्धता है। टीएलई, टीएलएम आदि बंद कर दिया गया। ये अपने बच्चे को शिक्षक बनाना चाहेंगे। फोटो : 26 एसएएम 38उमवि उदयपुर कॉलोनी की शिक्षिका मीनू कुमारी कहती हैं कि समान काम के बदले समान वेतन नहीं मिल रहा है। अल्प वेतन भी समय पर नहीं मिल रहा है। एक बार मिल जाता है फिर चार महीने इंतजार करना पड़ता है। अभी वे ट्रे¨नग में चली गई इससे पूर्व 117 छात्रों को अकेले पढ़ाती थी। ये अपने बच्चे को शिक्षक बनाना चाहेंगी।
फोटो : 26 एसएएम 39मवि खानपुर के शिक्षक श्याम कुमार पांडेय बताते हैं कि आरटीई का पालन नहीं हो रहा है। छात्र-शिक्षक का अनुपात सही नहीं हो पाया है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में संसाधन की कमी आड़ें आ रही है। समान काम के बदले समान वेतन नहीं मिल रहा है। काम के घंटे पर चर्चा होती है लेकिन वार्षिक दिन पर चर्चा नहीं होती है। ये अपने बेटे शिक्षक बनाना चाहेंगे। भूखा रहकर ही सही यह सर्वोत्तम कार्य है।
Sponsored link : सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC