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बस नाम का है आरटीइ, नहीं हो रहा अनुपालन

पूर्णिया। सरकार ने निजी विद्यालयों में छात्रों-अभिभावकों का शोषण रोकने एवं शैक्षणिक स्थिति में सुधार के लिए आरटीई कानून लाया था। लेकिन यह कानून लगता है बस नाम का रह गया है।
न तो अब तक सभी निजी विद्यालयों को इसके दायरे में लाया जा सका है न ही प्रस्वीकृति प्राप्त विद्यालयों में इसका अनुपालन हो पा रहा है। आश्चर्यजनक है कि पूर्णिया प्रमंडल के चारों जिले में अब तक मात्र 515 निजी विद्यालय ही आरटीइ के तहत प्रस्वीकृत हैं। जबकि इन जिलों में हजारों निजी विद्यालय संचालित हो रहे हैं। पूर्णिया जिले को शिक्षा का हब माना जाता है जहां एक सर्वे के मुताबिक 1000 से अधिक प्राइवेट स्कूल चल रहे हैं लेकिन यहां सिर्फ 104 स्कूल ही आरटीइ से प्रस्वीकृति प्राप्त हैं। वहीं प्रस्वीकृति प्राप्त विद्यालयों में भी मानक का अनुपालन नहीं हो रहा है। हालांकि आरडीडीइ ने कहा है कि सभी निजी विद्यालयों को इसके दायरे में लाया जायेगा।
104 विद्यालय का ही निबंधन हुआ है जबकि इससे दस गुणा अधिक विद्यालयों का संचालन हो रहा है।
बिहार में शिक्षा का अधिकार कानून आरटीइ दम तोड़ रहा है। 2010 में लागू कानून आज की तारीख में 90 फीसद स्कूलों में महज सपना है। एक ओर जहां सरकारी स्कूलों की हालत कमजोर है वहीं प्राइवेट स्कूलों पर इसका कोई असर नहीं दिख रहा है। इस कानून के तहत 30 बच्चों पर एक शिक्षक का प्रावधान रखा गया था लेकिन आज भी कई विद्यालय एक शिक्षकीय हैं। वहीं निजी विद्यालय भी इस अधिनियम का खुलेआम उल्लंघन कर रहे हैं। कानून के मुताबिक प्राइवेट स्कूल में सरकार द्वारा निर्धारित प्रतिशत के अनुसार गरीब और दलित बच्चों का नामांकन लेना जरूरी है। 25 फीसद गरीब बच्चों को हर प्राइवेट स्कूलों को मुफ्त में पढ़ाना है लेकिन अधिकांश विद्यालयों में इसका अनुपालन नहीं किया जा रहा है। मुफ्त शिक्षा तो दूर एडमिशन भी भारी फी लेकर किया जा रहा है। शिक्षक भी गुणवत्ता के मानक पर खरे नहीं उतरते हैं। कम योग्यता वाले शिक्षकों से उन स्कूलों में बच्चों को शिक्षा दिलायी जा रही है। प्राइवेट स्कूल संचालक शिक्षक एवं छात्र दोनों का शोषण कर रहे हैं लेकिन विभाग मुंह फेरे हुए है। हाल में ही जिला मुख्यालय स्थित एक प्रतिष्टित निजी स्कूल में एक बच्ची की संदेहास्पद मौत के बाद जब जिला शिक्षा पदाधिकारी ने जांच की तो पाया गया कि विद्यालय आरटीइ के मानक पर खरा नहीं उतरते हैं। सबसे आश्चर्यनजक तो यह है कि जिले में चल रहे सारे प्राइवेट स्कूलों को अभी तक इसके दायरे में नहीं लाया जा सका है। जिले में 1000 से अधिक निजी स्कूल संचालित हो रहे हैं लेकिन सिर्फ 104 को ही इसके तहत प्रस्वीकृति प्राप्त है। दुर्भाग्यजनक तो यह है कि इस कानून का अनुपालन कराने में विभाग बिल्कुल उदासीन है। सरकार ने समाज के सभी बच्चों को निशुल्क, अनिवार्य एवं गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा दिलाने के लिए आरटीइ कानून लाया था लेकिन पांच साल बाद भी इस कानून का अनुपालन यहा नगण्य है।
प्रमंडल के जिलों में आरटीइ के तहत प्रस्वीकृत निजी विद्यालय
जिला---प्रस्वीकृत निजी विद्यालय की संख्या
1.पूर्णिया---104
2.कटिहार---106
3.अरिरया--245
4.किशनगंज--60
कोट के लिए
प्रमंडल के सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी से आरटीइ के तहत प्रस्वीकृत विद्यालयों की सूची मांगी गयी है। साथ ही बिना प्रस्वीकृति प्राप्त प्राइवेट विद्यालयों की भी सूची भेजने को कहा गया है। सभी डीइओ को पूर्व में भी सारे निजी विद्यालयों का आरटीइ के तहत प्रस्वीकृति दिलाने एवं उसके मानकों का अनुपालन कराने का निर्देश दिया गया है। जो विद्यालय आरटीई के दायरे में प्रस्वीकृति नहीं लेंगे या मानकों पर खरे नहीं उतरेंगे उसकी मान्यता रद की जाएगी। जिन जिलों में आरटीई के अनुपालन में कोताही होगी वहां के शिक्षा अधिकारियों पर भी कार्रवाई की अनुशंसा की जाएगी।

चंद्र प्रकाश झा, आरडीडीई, पूर्णिया प्रमंडल।
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