खगड़िया : टीइटी प्रमाण पत्र फर्जी होने की आशंका बाद रोक के बावजूद फर्जीवाड़ा के सहारे लाखों रुपये वेतन निकासी मामले में नया मोड़ आ गया है. सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार मामले के खुलासा बाद भले ही शिक्षा विभाग के अधिकारी यह कह रहे हो कि बीइओ व लिपिक के फर्जी हस्ताक्षर से वेतन निकासी की गयी है लेकिन सच्चाई कुछ और ही है.
बताया जाता है कि फर्जी हस्ताक्षर से नहीं बल्कि डीपीओ स्थापना कार्यालय के कर्मियों की मिलीभगत से परबत्ता में कार्यरत चारों शिक्षकों ने 3, 20,692 रुपये की निकासी करने में कामयाब रहे. बाद में मामले के खुलासा बाद बीइओ व लिपिक ने अपनी गरदन बचाने के लिये पल्ला झाड़ते हुए फर्जी हस्ताक्षर का शिगूफा छोड़ा था. ताकि पूरे मामले में गरदन फंसने से बचाया जा सके. हालांकि मामले के खुलासा बाद तत्कालीन डीपीओ स्थापना ने चारों शिक्षकों पर फर्जीवाड़ा के सहारे वेतन निकासी मामले में प्राथमिकी का आदेश दिया था लेकिन करीब तीन महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद भी संबंधित शिक्षकों पर प्राथमिकी दर्ज नहीं होने की खबर है.
बताया जाता है कि प्राथमिक दर्ज नहीं होने देने के पीछे शिक्षा विभाग के ही कुछ अधिकारी शामिल है. उन्हें डर है कि प्राथमिक दर्ज होने पर अगर हस्ताक्षर की जांच हुई तो कहीं मामला फंस न जाये. कहा जाता है कि इलाके के एक दबंग नेता के दबाव में प्राथमिकी दर्ज करने में जान-बुझ कर देरी की जा रही है. ताकि मामला दब जाये. हालांकि जिला शिक्षा पदाधिकारी ने ऐसे आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि अब तक संबंधित चारों शिक्षकों पर प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं हुई इस बावत गोगरी बीइओ से स्पष्टीकरण पूछा जायेगा. डीपीओ स्थापना सुरेश साहू द्वारा परबत्ता के प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को दिये गये प्राथमिकी के आदेश में कहा गया है कि प्राथमिक विद्यालय शर्मा टोला तेहाय, परबत्ता की शिक्षिका रेखा कुमारी, शिक्षक रणवीर कुमार, प्राथमिक विद्यालय नयाटोला कोलवारा की शिक्षिका कुमारी रंजना, प्राथमिक विद्यालय तेहाय पूर्वी, परबत्ता की शिक्षिका अर्चना कुमारी के टीइटी प्रमाण पत्र संदिग्ध होने के कारण वेतन पर रोक लगायी गयी थी. लेकिन उक्त चारों शिक्षक/शिक्षिकाओं द्वारा फर्जी ढंग से परबत्ता बीइओ व डीपीओ स्थापना के कार्यालय लिपिक का एडवाइस पर फर्जी हस्ताक्षर कर वेतन निकासी कर ली गयी. फर्जी वेतन निकासी के मामले के खुलासा बाद उपरोक्त चारों शिक्षकों पर प्राथमिकी के आदेश के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गयी है.
Big Breaking :
बताया जाता है कि फर्जी हस्ताक्षर से नहीं बल्कि डीपीओ स्थापना कार्यालय के कर्मियों की मिलीभगत से परबत्ता में कार्यरत चारों शिक्षकों ने 3, 20,692 रुपये की निकासी करने में कामयाब रहे. बाद में मामले के खुलासा बाद बीइओ व लिपिक ने अपनी गरदन बचाने के लिये पल्ला झाड़ते हुए फर्जी हस्ताक्षर का शिगूफा छोड़ा था. ताकि पूरे मामले में गरदन फंसने से बचाया जा सके. हालांकि मामले के खुलासा बाद तत्कालीन डीपीओ स्थापना ने चारों शिक्षकों पर फर्जीवाड़ा के सहारे वेतन निकासी मामले में प्राथमिकी का आदेश दिया था लेकिन करीब तीन महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद भी संबंधित शिक्षकों पर प्राथमिकी दर्ज नहीं होने की खबर है.
बताया जाता है कि प्राथमिक दर्ज नहीं होने देने के पीछे शिक्षा विभाग के ही कुछ अधिकारी शामिल है. उन्हें डर है कि प्राथमिक दर्ज होने पर अगर हस्ताक्षर की जांच हुई तो कहीं मामला फंस न जाये. कहा जाता है कि इलाके के एक दबंग नेता के दबाव में प्राथमिकी दर्ज करने में जान-बुझ कर देरी की जा रही है. ताकि मामला दब जाये. हालांकि जिला शिक्षा पदाधिकारी ने ऐसे आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि अब तक संबंधित चारों शिक्षकों पर प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं हुई इस बावत गोगरी बीइओ से स्पष्टीकरण पूछा जायेगा. डीपीओ स्थापना सुरेश साहू द्वारा परबत्ता के प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को दिये गये प्राथमिकी के आदेश में कहा गया है कि प्राथमिक विद्यालय शर्मा टोला तेहाय, परबत्ता की शिक्षिका रेखा कुमारी, शिक्षक रणवीर कुमार, प्राथमिक विद्यालय नयाटोला कोलवारा की शिक्षिका कुमारी रंजना, प्राथमिक विद्यालय तेहाय पूर्वी, परबत्ता की शिक्षिका अर्चना कुमारी के टीइटी प्रमाण पत्र संदिग्ध होने के कारण वेतन पर रोक लगायी गयी थी. लेकिन उक्त चारों शिक्षक/शिक्षिकाओं द्वारा फर्जी ढंग से परबत्ता बीइओ व डीपीओ स्थापना के कार्यालय लिपिक का एडवाइस पर फर्जी हस्ताक्षर कर वेतन निकासी कर ली गयी. फर्जी वेतन निकासी के मामले के खुलासा बाद उपरोक्त चारों शिक्षकों पर प्राथमिकी के आदेश के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गयी है.
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