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स्कूलों में अब 85 फीसदी उपस्थिति अनिवार्य हो

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शिक्षा विभाग को स्कूलों में बच्चों की अनिवार्य उपस्थिति को 75% से बढ़ा कर 80 से 85% करने का टास्क दिया. उन्होंने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए राज्य सरकार ने 2200 करोड़ की योजना बनायी है. हाइस्कूलों में शिक्षकों की कमी नहीं होगी.
 तत्काल तकनीक का सहारा लेकर कई स्कूलों में एक साथ पढ़ाई होगी. बच्चों की संख्या के आधार पर स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती होगी. मुख्यमंत्री मंगलवार को संवाद  कक्ष में सभी प्रमंडलीय मुख्यालयों में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति  के परीक्षा भवन और पटना में समिति के प्रशासनिक भवन का शिलान्यास करने के बाद संबोधित कर रहे थे. इस मौके पर उन्होंने सभी प्रमंडलों में समिति के क्षेत्रीय कार्यालय  व परीक्षा सुधारों के काम का भी शुभारंभ किया. इस अवसर पर शिक्षा मंत्री डाॅ अशोक चौधरी भी मौजूद थे.

मुख्यमंत्री ने कहा कि  गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सरकार का प्राथमिकता है. सरकार अपने बजट का 20% राशि शिक्षा पर खर्च करती है. सातवें वेतन के बाद यह खर्च 23  से 24% तक जायेगा. उन्होंने कहा कि सर्व शिक्षा अभियान में केंद्र से पूरी राशि नहीं मिल रही है.  केंद्र बजट में जो वादा करती है या कहती है, उसे पूरा नहीं करती है.

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए कटिबद्ध है. पहले  बच्चों को स्कूल से जोड़ने का अभियान चला,  अब गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए योजनाएं चल रही हैं. इनका लाभ पाने के लिए अभी 75%  उपस्थिति अनिवार्य है. इसे बढ़ा कर 80 से 85% करना होना.
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की पोपुलेशन ग्रोथ रेट अभी 3.9% है, वह शिक्षा व्यवस्था के मजबूत होने  से कम होगी. सरकारी स्कूलों को सुदृढ़ करने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि सरकारी शिक्षा प्रणाली सटीक प्रणाली है. सरकारी स्कूलों  में पढ़े बड़ी संख्या में लोग आइएएस व आइपीएस अधिकारी बनते हैं. शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने में जन चेतना व जनसहयोग जरूरी है. शिक्षा व्यवस्था को बदनाम करनेवाले चंद लोगों को हतोत्साहित करना होगा. इसके लिए आम लोगों को आगे आना होगा. कुछ लोग अपने लालच या फायदे के लिए व्यवस्था को बदनाम करना चाहते हैं.

अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने स्वीकार किया कि टॉपर घोटाले व परीक्षा में चोरी को लेकर बिहार की बदनामी हुई. सरकार ने इस पर कार्रवाई की. समाज को भी गलत मनोवृत्ति पर रोक लगाने  के लिए आगे आना होगा. मुख्यमंत्री से चुटकी लेते हुए कहा  कि पता नहीं प्राइवेट स्कूलों को पब्लिक स्कूल क्यों कहा जाता है. नशाबंदी अभियान में  बालक- बालिकाओं को शामिल करने की अालोचना करनेवालों पर सीएम ने तंज किया, बच्चे नहीं सीखेंगे, तो किया बूढ़े सीखेंगे. राज्य के दो करोड़ बच्चों को भूकंप के बारे में जानकारी दी गयी है.

शिक्षा मंत्री डाॅ अशोक चौधरी ने कहा कि परीक्षा समिति   की सारी व्यवस्था पारदर्शी और त्रुटिरहित हो, इसके लिए कई सुधार किये गये हैं. कदाचारमुक्त परीक्षा के लिए विभाग तत्पर है.

बिहार इस दिशा में एक नजीर पेश करेगा. मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह और शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन  ने परीक्षा समिति के सुधारों की तारीफ की. समिति के अध्यक्ष आनंद किशोर से विस्तार से परीक्षा सुधारों की जानकारी दी. इस मौके पर शिक्षा विभाग के सचिव जीतेंद्र श्रीवास्तव, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार, सचिव मनीष कुमार वर्मा. गृह विभाग के प्रधान सचिव आमिर सुबहानी, सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव डीएस गंगवार भी मौजूद थे.

सभी प्रमंडल मुख्यालयों में परीक्षा भवन व प्रशासनिक भवन का शिलान्यास
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