पटना. पटना हाई कोर्ट
ने आज माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत नियोजित शिक्षकों को बड़ी खुशखबरी
दी है. कोर्ट ने शिक्षकों की मांग पर अपना फैसला देते हुए कहा कि समान
कार्य के लिए समान वेतन की मांग को बिलकुल जायज ठहराया है. कोर्ट ने कहा है
कि अगर समान कार्य के लिए समान वेतन नहीं दिया जाता है तो यह पूरी तरह से
असंवैधानिक है. साथ ही ऐसा करना पूरी तरह संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन
है. बता दें कि समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग को लेकर राज्य के
नियोजिक शिक्षकों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. समान कार्य के लिए समान
वेतन की मांग को लेकर राज्य के नियोजिक शिक्षकों ने कोर्ट का दरवाजा
खटखटाया था. इस मामले में पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश राजेंद्र मेनन
की खंडपीठ ने सुनवाई करने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था जिसे मंगलवार को
सुनाया गया. अपने फैसले में हाईकोर्ट ने कहा कि समान कार्य के लिए सरकार
द्वारा समान वेतन नहीं देना संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है. वहीं
माध्यमिक शिक्षकों के पक्ष में फैसला आने के बाद अब प्राथमिक और उच्च
प्राथमिक स्कूलों के नियोजित शिक्षक भी हाई कोर्ट में अपील कर सकते हैं.
वहीं ऐसा भी हो सकता है कि राज्य सरकार हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ
सुप्रीम कोर्ट में अपील करें.
पटना हाई कोर्ट का ये फैसला यूपी के
1.72 लाख शिक्षामित्रों के लिए भी खुशखबरी भरा हो सकता है. यूपी के
शिक्षामित्र भी समान काम-समान वेतन की मांग को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट का
दरवाजा खटखटा चुके हैं. सूत्रों के अनुसार इलाहाबाद हाई कोर्ट
शिक्षामित्रों की याचिका पर 6 नवंबर को सुनवाई करेगा. इलाहाबाद हाई कोर्ट
में शिक्षामित्रों की मांग की सुनवाई के दौरान पटना हाई कोर्ट का फैसला
नजीर बन सकता है. बता दें कि 25 जुलाई को यूपी के 1.72 लाख शिक्षामित्रों
का समायोजन सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था. इन 1.72 लाख में से 1.30 लाख
शिक्षामित्र समायोजित होकर शिक्षक बन चुके थे और इन्हें 35 हजार सैलरी मिल
रही थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद वो फिर से शिक्षामित्र बन गए
थे. और फिर से उन्हें 3500 सैलरी मिलने लगी थी. लेकिन काफी आंदोलन करने के
बाद राज्य सरकार उन्हें 10 हजार का मानदेय देने के लिए राजी हो गई थी.
राज्य सरकार के द्वारा समान कार्य-समान वेतन की मांग नहीं मांगे जाने पर
1.72 लाख शिक्षामित्रों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
बता दें कि द बिहार सेकेंडरी टीचर्स
स्ट्रगल कमिटी एवं अन्य कई संगठनों की ओर से समान कार्य- समान वेतन की मांग
को लेकर रिट याचिका दायर की गई थी. याचिकाकर्ताओं की ओर से अदालत में कहा
गया था कि सूबे के माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत नियोजित शिक्षकों से
समान कार्य तो लिया जा रहा है परंतु समान वेतन नहीं दिया जा रहा है.