सहरसा। जिले में तीन सौ से अधिक फर्जी शिक्षक अब भी कार्यरत हैं। लगातार
कई वर्षों से रिमाइंडर देने के बाद भी करीब पांच सौ से अधिक शिक्षकों का
प्रमाण पत्र विभाग को जमा नहीं हो पाया है। जबकि इस सिलसिले में कई बार
निगरानी विभाग ने विभाग सहित संबंधित नियोजन समिति को कड़ा पत्र लिखा है।
फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी करनेवालों की शिकायत पर ही हाईकोर्ट ने वर्ष 2015 में ही नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच के आदेश दे दिए थे। निगरानी विभाग को मिले जांच के जिम्मा के बाद निगरानी विभाग ने इसकी जांच हर जिले में शुरू कर दी। सहरसा में भी वर्ष 2015 से ही निगरानी ने इसकी जांच शुरू की। हालांकि हाईकोर्ट ने ही यह भी निर्देश दिया था कि फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी करनेवाले अगर स्वत: अपने पद से त्याग पत्र दे देंगे तो ऐसे शिक्षक के विरूद्ध न ही प्राथमिकी दर्ज की जाएगी और न ही लिए गए वेतन की वसूली होगी। हाई कोर्ट के इस निर्देश के बाद जिले में करीब एक सौ शिक्षकों ने त्याग पत्र देकर नौकरी छोड़ दी। विभाग ऐसे शिक्षकों के विरूद्ध कोई कार्रवाई भी नहीं की।
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जिले में 7200 हैं नियोजित शिक्षक
जिले में वर्ष 2003 से लेकर वर्ष 2015 तक नियोजित शिक्षकों की संख्या 7200 हैं। नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्र जांच हेतु ही नियोजन से संबंधित दस्तावेज की फोटोप्रति फोल्डर के रूप में जमा करने का निर्देश दिया गया है। लेकिन अब तक मात्र 6500 शिक्षकों का ही फोल्डर जमा हो पाया है। जिस कारण निगरानी विभाग का जांच बाधित है।
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जांच में पकड़ाया एक फर्जी शिक्षक
निगरानी विभाग द्वारा की जा रही जांच के दौरान ही जिले के सिमरीबख्तियारपुर के काठो पंचायत में एक फर्जी शिक्षक पकडाया। जिसके विरूद्ध संबंधित थाना क्षेत्र में निगरानी विभाग ने प्राथमिकी दर्ज करायी थी।
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तीन दर्जन पंचायत सचिव के विरूद्ध दर्ज हुई प्राथमिकी
लगातार पत्र भेजने के बाद भी नियोजन समिति द्वारा कागजात उपलब्ध नहीं कराने पर निगरानी विभाग के निर्देश पर ही बीईओ द्वारा जिले के करीब तीन दर्जन पंचायत सचिव के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी। कई जगहों पर पंचायत सचिव के स्थानांतरण हो जाने के बाद संबंधित कागजात उपलब्ध नहीं हो पाया। तो कई पंचायतों में नियोजन करनेवाले मुखिया की हार के बाद मामला लटक गया।
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प्रमाण पत्र जमा नहीं करनेवाले नियोजित शिक्षकों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी। शीघ्र ही इस दिशा में बैठक में निर्णय लेते हुए अग्रतर कार्रवाई की जाएगी। हालांकि अब तक निगरानी विभाग द्वारा मात्र दो हजार शिक्षकों के प्रमाण पत्रों के वैधता की जांच पूर्ण की गयी है।
जितेन्द्र कुमार ¨सह, इंस्पेक्टर, निगरानी विभाग
फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी करनेवालों की शिकायत पर ही हाईकोर्ट ने वर्ष 2015 में ही नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच के आदेश दे दिए थे। निगरानी विभाग को मिले जांच के जिम्मा के बाद निगरानी विभाग ने इसकी जांच हर जिले में शुरू कर दी। सहरसा में भी वर्ष 2015 से ही निगरानी ने इसकी जांच शुरू की। हालांकि हाईकोर्ट ने ही यह भी निर्देश दिया था कि फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी करनेवाले अगर स्वत: अपने पद से त्याग पत्र दे देंगे तो ऐसे शिक्षक के विरूद्ध न ही प्राथमिकी दर्ज की जाएगी और न ही लिए गए वेतन की वसूली होगी। हाई कोर्ट के इस निर्देश के बाद जिले में करीब एक सौ शिक्षकों ने त्याग पत्र देकर नौकरी छोड़ दी। विभाग ऐसे शिक्षकों के विरूद्ध कोई कार्रवाई भी नहीं की।
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जिले में 7200 हैं नियोजित शिक्षक
जिले में वर्ष 2003 से लेकर वर्ष 2015 तक नियोजित शिक्षकों की संख्या 7200 हैं। नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्र जांच हेतु ही नियोजन से संबंधित दस्तावेज की फोटोप्रति फोल्डर के रूप में जमा करने का निर्देश दिया गया है। लेकिन अब तक मात्र 6500 शिक्षकों का ही फोल्डर जमा हो पाया है। जिस कारण निगरानी विभाग का जांच बाधित है।
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जांच में पकड़ाया एक फर्जी शिक्षक
निगरानी विभाग द्वारा की जा रही जांच के दौरान ही जिले के सिमरीबख्तियारपुर के काठो पंचायत में एक फर्जी शिक्षक पकडाया। जिसके विरूद्ध संबंधित थाना क्षेत्र में निगरानी विभाग ने प्राथमिकी दर्ज करायी थी।
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तीन दर्जन पंचायत सचिव के विरूद्ध दर्ज हुई प्राथमिकी
लगातार पत्र भेजने के बाद भी नियोजन समिति द्वारा कागजात उपलब्ध नहीं कराने पर निगरानी विभाग के निर्देश पर ही बीईओ द्वारा जिले के करीब तीन दर्जन पंचायत सचिव के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी। कई जगहों पर पंचायत सचिव के स्थानांतरण हो जाने के बाद संबंधित कागजात उपलब्ध नहीं हो पाया। तो कई पंचायतों में नियोजन करनेवाले मुखिया की हार के बाद मामला लटक गया।
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प्रमाण पत्र जमा नहीं करनेवाले नियोजित शिक्षकों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी। शीघ्र ही इस दिशा में बैठक में निर्णय लेते हुए अग्रतर कार्रवाई की जाएगी। हालांकि अब तक निगरानी विभाग द्वारा मात्र दो हजार शिक्षकों के प्रमाण पत्रों के वैधता की जांच पूर्ण की गयी है।
जितेन्द्र कुमार ¨सह, इंस्पेक्टर, निगरानी विभाग