पटना.
बिहार के लगभग 3.5 लाख नियोजित शिक्षकों के लिए खुशखबरी है. पटना हाईकोर्ट
में 'समान कार्य के लिए समान वेतन' पर चली आ रही लंबी लड़ाई के बाद
न्यायालय ने शिक्षकों के हक में फैसला फैसला सुनाते हुए सरकार को शिक्षकों
को समान वेतन के भगतान का निर्देश दिया है.
दरअसल, मंगलवार को सुनाए गए फैसले में पटना हाईकोर्ट ने नियोजित शिक्षकों की बहुप्रतीक्षित मांग पर मुहर लगा दी है. शिक्षकों के हक में फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने नियोजित शिक्षकों को 'समान कार्य के लिए समान वेतन देने का फैसला सुनाया है.
बताया जाता है कि हाईकोर्ट के इस फैसले से नियोजित शिक्षकों को बड़ी राहत मिली है. न्यायालय ने लंबी सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था और आज सुनाए गए फैसले में नियोजित शिक्षकों के समान कार्य के लिए समान वेतन की दलील को न्यायालय ने सही ठहराया है. मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और और जस्टिस डॉ अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने इस मामले में कहा कि नियोजित शिक्षकों को समान कार्य के समान वेतन नहीं देना संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है और सरकार को इसे लागू करना चाहिए.
बताया जाता है कि सुनवाई के दौरान नियोजित शिक्षकों को मिल रहा वेतन पर शिक्षकों के पक्षकार वरीय अधिवक्ताओं ने दलील दी कि नियोजित शिक्षकों का वेतन विद्यालय में कार्यरत चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों से भी कम है, जिसके बाद आदालत ने सरकार को फटकार भी लगाई थी.
बता दें कि राज्य के लगभग 3.5 लाख नियोजित शिक्षक समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग को लेकर पिछले कई सालों से आंदोलनरत थे और शिक्षकों ने कई बार हड़ताल का रास्ता भी अपनाया था. अदालत के इस फैसले के बाद सूबे के विद्यालयों में कार्यरत शिक्षिकों में खुशी की लहर देखी जा रही है.
दरअसल, मंगलवार को सुनाए गए फैसले में पटना हाईकोर्ट ने नियोजित शिक्षकों की बहुप्रतीक्षित मांग पर मुहर लगा दी है. शिक्षकों के हक में फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने नियोजित शिक्षकों को 'समान कार्य के लिए समान वेतन देने का फैसला सुनाया है.
बताया जाता है कि हाईकोर्ट के इस फैसले से नियोजित शिक्षकों को बड़ी राहत मिली है. न्यायालय ने लंबी सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था और आज सुनाए गए फैसले में नियोजित शिक्षकों के समान कार्य के लिए समान वेतन की दलील को न्यायालय ने सही ठहराया है. मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और और जस्टिस डॉ अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने इस मामले में कहा कि नियोजित शिक्षकों को समान कार्य के समान वेतन नहीं देना संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है और सरकार को इसे लागू करना चाहिए.
बताया जाता है कि सुनवाई के दौरान नियोजित शिक्षकों को मिल रहा वेतन पर शिक्षकों के पक्षकार वरीय अधिवक्ताओं ने दलील दी कि नियोजित शिक्षकों का वेतन विद्यालय में कार्यरत चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों से भी कम है, जिसके बाद आदालत ने सरकार को फटकार भी लगाई थी.
बता दें कि राज्य के लगभग 3.5 लाख नियोजित शिक्षक समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग को लेकर पिछले कई सालों से आंदोलनरत थे और शिक्षकों ने कई बार हड़ताल का रास्ता भी अपनाया था. अदालत के इस फैसले के बाद सूबे के विद्यालयों में कार्यरत शिक्षिकों में खुशी की लहर देखी जा रही है.