बिहारशरीफ। हिन्दुस्तान संवाददाता
सूबे की सत्तासीन सरकार नियोजित शिक्षकों और पुस्तकालयाध्यक्षों का वर्षों से विभिन्न रूपों में चतुर्दिक शोषण कर रही है। नियोजित शिक्षकों को नियमित की अपेक्षा और भी ज्यादा काम लेकर परेशान और त्रस्त कर रही है। हद तो यह है दोनों की तनख्वाह में आसमान और जमीन की फासला है। सरकार नियोजित शिक्षकों व पुस्तकालयाध्यक्षों का शोषण बंद कर, शीघ्र वेतनमान की घोषणा करे।
नवनियुक्त माध्यमिक-उच्च माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. गणेश शंकर पाण्डेय ने कहा कि सरकार वार्ता के दौरान बार-बार वेतनमान व वेतन वृद्धि का दिलाशा देकर नियोजित शिक्षकों को ठगने का काम कर रही है। सरकार के इस कृत्य से नियोजित शिक्षकों का सरकार पर से ही भरोसा उठ गया है। जबकि, नियमित शिक्षकों की सेवानिवृत्ति के बाद नियोजित शिक्षकों ने ही सूबे की शिक्षा और शैक्षणिक व्यवस्था को ईमानदारी पूर्वक कुशलता से संभाला है। लेकिन, शिक्षक व शिक्षा विरोधी सरकार नियोजित शिक्षकों का आर्थिक, मानसिक और शारीरिक शोषण करने पर आमादा है। जो सरकार की शोषण नीति को दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में राज्य के 90 प्रतिशत स्कूलों का संचालन नियोजित शिक्षक ही कर रहे हैं। साथ ही शिक्षा को जीवंत बनाए हुए हैं। बावजूद, सरकार उन्हें वेतनमान की जगह न्यूनतम मानदेय देकर उनका मजाक उड़ा रही है, जो सर्वथा अनुचित है। उन्होंने कहा कि सरकार नियोजित शिक्षकों व पुस्तकालय अध्यक्षों के लिए शीघ्र वेतनमान की धोषणा करें। अन्यथा सूबे के नियोजित शिक्षक फिर विद्यालय छोड़कर सड़क पर आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।