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बिहार की छवि को कोई धूमिल करने का प्रयास करेगा तो उसे भी हम अवसर में तबदील कर देंगे: मुख्यमंत्री

पटना समाचार, 07 फरवरी 2017: (Patna News) मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने आज मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित संवाद कक्ष में बिहार के सभी नौ प्रमण्डलीय मुख्यालयों में 134.62 करोड़ रूपये की लागत से बनने वाले ‘परीक्षा भवनों’ तथा 10.50 करोड़ रूपये की लागत से बनने वाले बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के
‘प्रशासनिक भवन’ का केन्द्रीकृत शिलान्यास एवं बिहार के सभी नौ प्रमण्डलीय मुख्यालयों में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के ‘क्षेत्रीय कार्यालयों’ का केन्द्रीकृत उद्घाटन किया। मुख्यमंत्री ने विगत 12 वर्षों (2005-2016) के मैट्रिक एवं इंटर परीक्षा के परीक्षार्थियों के अंक पत्रों व प्रमाण-पत्रों को आॅनलाइन किये जाने, परीक्षार्थियों के अंक पत्रों और प्रमाण-पत्रों को डिजिटल लाॅकर के माध्यम से उपलब्ध कराये जाने की सुविधा तथा परीक्षार्थियों के अंक पत्रों और प्रमाण-पत्रों को वेरिफिकेशन हेतु क्यू0आर0 कोड तथा एम- सर्टिफिकेट द्वारा सत्यापन की व्यवस्था का शुभारंभ किया।
इस अवसर पर आयोजित समारोह का दीप प्रज्ज्वलित कर उद्घाटन करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं सबसे पहले शिक्षा विभाग और बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को बधाई देता हूं कि उन्होंने परीक्षा एवं मूल्यांकन में पूरी पारदर्शिता लाने के लिये ठोस कदम उठाये। आज से लगभग दो साल पहले वैशाली जिला में एक बहुमंजिले भवन पर खिड़की के किनारे खड़े होकर परीक्षा में चोरी कराने का फोटो सोशल मीडिया पर इतना वायरल हुआ कि उससे बिहार की बदनामी हुयी। उसी समय हमने सोचा कि हर सूरते हाल में परीक्षा इस प्रकार आयोजित की जाय कि कदाचार की कोई गुंजाइश न हो। अगली बार जब परीक्षा आयोजित हुयी तो शिक्षा विभाग ने जिला प्रशासन के सहयोग से जबर्दस्त तैयारी की और मुख्य सचिव तथा बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से जबर्दस्त माॅनिटरिंग हुयी, जिसका परिणाम यह हुआ कि परीक्षा में चोरी नहीं हुयी। बहुत से लोग परीक्षा में शामिल ही नहीं हुये। परीक्षा केन्द्रों पर अच्छे से काम हुआ किन्तु बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के कतिपय लोगों ने धंधा किया और पहले से भी कर रहे थे। जब यह प्रकट हुआ और समाचार पत्रों में भी काफी खबरें आयी तो मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक एवं प्रधान सचिव शिक्षा को मैंने निर्देश दिया कि अब जांच का मामला नहीं है, यह प्राथमिकी दर्ज करने का मामला है। यह सीधे-सीधे गड़बड़ी, धांधली और अपराध है, इसमें प्राथमिकी होगी और अनुसंधान होगा। फिर एफ0आई0आर0 हुआ, उसका अनुसंधान हुआ और उसके बाद क्या हुआ सबको मालूम है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस प्रकरण के बाद पटना के आयुक्त श्री आनंद किशोर ने अध्यक्ष बिहार विद्यालय परीक्षा समिति का कार्यभार संभाला और पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता लायी। सर्टिफिकेट, मार्क्शीट इत्यादि मैनुअल आवेदन के स्थान पर आॅनलाइन प्राप्त करने की सुविधा दी गयी। इनलोगों ने जो व्यवस्था की, वह सराहनीय है। उन्होंने कहा कि इनफाॅरमेशन टेक्नोलाॅजी का सदुपयोग कर पूरी व्यवस्था को पारदर्शी बनाया जा सकता है। अब धांधली की कोई गुंजाइश नहीं रहेगी। उन्होंने कहा कि वह शर्मिन्दा करने वाली घटना थी, उसके बाद उसे चैलेंज के रूप में स्वीकार किया गया। जबर्दस्त कार्रवाई हुयी और वह गुड गवर्नेंस का उदाहरण है। मुख्यमंत्री ने कहा कि फिर बिहार कर्मचारी चयन आयोग का प्रश्न पत्र लीक होने का मामला समाचार पत्रों में छपा है। उसे मैंने गंभीरता से लिया है। मैंने मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया है कि इस मामले को देखें और कार्रवाई करें। स्पेशल एस0आई0टी0 का गठन हो चुका है। सब काम चल रहा है। यदि कोई गड़बड़ किया होगा तो बच के नहीं जा पायेगा। उन्होंने कहा कि तंत्र को प्रभावशाली बनाये रखना है और इसमें जन सहयोग की भी आवश्यकता होगी।
मुख्यमंत्री ने एक उदाहरण देते हुये कहा कि जब से मानव जाति का सृजन हुआ है, तब से यह कहा जाता है कि लालची आदमी के गांव में ठग भूखे नहीं मरता। उन्होंने कहा कि चंद लोगों के कारण बदनामी होती है। कोई भी व्यक्ति अपने बच्चे को बिना पढ़े अच्छा अंक दिलाना चाहता है। इससे वह आगे क्या करेगा। उन्होंने मीडिया के लोगों से कहा कि समाज में परिवर्तन चाहते हैं तो इस प्रवृति को भी हाईलाइट करना चाहिये। उन्होंने कहा कि ऐसी प्रवृति वाले चंद लोग होते हैं, जो तंत्र को बदनाम करते हैं। ऐसी प्रवृति को आइसोलेट करना चाहिये और इस तरह की प्रवृत्ति पर भी लिखा जाना चाहिये। समाज सुधार के लिये भी यह जरूरी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने निश्चय यात्रा के क्रम में चेतना सभायें की और शराबबंदी तथा नशामुक्ति के पक्ष में मानव श्रृंखला का आह्वान किया। दो करोड़ लक्ष्य के विरूद्ध चार करोड़ लोग इसमें शामिल हुये। मुख्यमंत्री ने बालक-बालिकाओं को मानव श्रृंखला में शामिल होने के बिन्दू पर कहा कि शराबबंदी के पूर्व छोटी उम्र में बच्चों को शराब की लत लग रही थी। उन्होंने कहा कि आप जानते हैं कि अगर बच्चों में चेतना आ जाती है तो वे अपने परिवार के सभी सदस्यों को जागरूक करते हैं। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन में बच्चों को सीखाया जाता है कि भूकम्प आने पर क्या किया जाना चाहिये। ऐसे बच्चे घरों में जाकर पूरे परिवार को जागरूक करते हैं। उन्होंने कहा कि जनता का व्यापक समर्थन मिला है। उन्होंने कहा कि शराब पीना मौलिक अधिकार नहीं है। पढ़े-लिखे एवं सम्पन्न लोगों में चंद लोग अपनी आदत को बरकरार रखने के लिये पूरे समाज को बर्बाद करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि कुछ लोग बच्चों को परीक्षाओं में नकल क्यों कराना चाहते हैं, यह नहीं होना चाहिये। पढ़ने का मतलब डिग्री का ज्ञान नहीं होता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब हमने 2005 में सत्ता संभाली थी तो हमारे सामने एक चुनौती थी। साढ़े बारह प्रतिशत बच्चे विद्यालयों से बाहर थे, इसमें अधिकतम अल्पसंख्यक एवं महादलित समुदाय के बच्चे बाहर थे। स्कूल तक पहुंचाने के लिये कई व्यवस्थायें की गयी। तालिमी मरकज और उत्थान केन्द्र खोले गये और अब स्कूल से बाहर रहने वाले बच्चों का प्रतिशत एक प्रतिशत से भी कम है। 27 हजार नये स्कूल बनाये गये और चार लाख शिक्षकों का नियोजन हुआ। यह देखा गया कि छठी कक्षा के बाद मध्य विद्यालयों में छात्रायें कम स्कूल जा रही है तो पोशाक योजना लागू की गयी। उसके बाद 9वीं कक्षा की लड़कियों के लिये साइकिल योजना शुरू की गयी। पहले गांव की बात तो दूर पटना में भी लड़कियां साइकिल नहीं चलाती थी। जब योजना शुरू हुयी और लड़कियां साइकिल से स्कूल जाने लगी तो लोगों का सोच बदल गया, माहौल बदल गया। लड़कियों को आत्म सुरक्षा के लिये मार्शल आर्ट, जूडो कराटे का प्रशिक्षण भी दिया गया। बाद में लड़कों की ओर से भी साइकिल की मांग की जाने लगी तो उन्हें भी इस योजना का लाभ दिया गया।
मख्यमंत्री ने आंकड़ों के आधार पर कहा कि यदि लड़कियों को पढ़ा दिया जाय तो प्रजनन दर तेजी से घटेगा। उन्होंने कहा कि हर ग्राम पंचायत में इंटरस्तरीय विद्यालय खोलने का निर्णय लिया जा चुका है। एक-एक चीज पर नजर है। उन्होंने कहा कि प्राथमिक एवं मध्य विद्यालय में तो शिक्षकों की कमी नहीं है किन्तु उच्च विद्यालयों में शिक्षकों की कमी है। शिक्षा विभाग का दायित्व है कि वह सुनिश्चित करे कि उच्च विद्यालयों एवं इंटरस्तरीय विद्यालयों में शिक्षकों की कमी नहीं होनी चाहिये।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पटना, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, दरभंगा एवं गया में 5 मंजिला (जी+4) परीक्षा भवनों का निर्माण तथा सहरसा, सारण, मुंगेर एवं पूर्णिया में 4 मंजिला (जी+3) परीक्षा भवनों के निर्माण का शिलान्यास हुआ है किन्तु उन्होंने अध्यक्ष बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को निर्देश दिया कि हमलोगों की पाॅलिसी यूनिवर्सल है। सभी प्रमण्डलों में एक समान 5 मंजिला (जी+4) परीक्षा भवनों का निर्माण सुनिश्चित कराया जाय। उन्होंने कहा कि इस संरचना का निर्माण अच्छे ढ़ंग से होना चाहिये और भवन भूकम्परोधी भी बने, यह सुनिश्चित किया जाय। उन्होंने कहा कि बजट का 20 प्रतिशत हिस्सा शिक्षा पर खर्च हो रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार कक्षा 1 से 10 तक के छात्र-छात्राओं को चाहे वह किसी भी जाति का हो, यूनिवर्सल रूप से छात्रवृत्ति दे रही है। उन्होंने कहा कि पहले विद्यालयों में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति कम रहती थी। जब यह तय किया गया कि सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिये 75 प्रतिशत उपस्थिति आवश्यक है तो छात्र-छात्राओं की उपस्थिति बढ़ने लगी। उन्होंने कहा कि यदि शिक्षा विभाग आवश्यक समझे तो उपस्थिति का प्रतिशत 80 से 90 प्रतिशत भी ले जाय। उन्होंने कहा कि समय पर स्कूल खुले, समय पर शिक्षक विद्यालय आयें, इसके लिये जीविका के स्तर से भी निगरानी करायी जा रही है। अब पढ़ाई की गुणवत्ता पर ध्यान है। गुणवत्ता पर चर्चा अमेरिका और विदेशों में भी होती है। गुणवत्ता ऐसी चीज है जो धीरे-धीरे हासिल किया जा सकता है और आप यह नहीं कह सकते कि यही अंतिम है। उन्होंने कहा कि बहुत काम हो रहा है और इन सबमें सबका सहयोग चाहिये। उन्होंने कहा कि हम कोई भी कदम उठाते हैं तो पूरे विचार-विमर्श के बाद उठाते हैं।
मुख्यमंत्री ने निजी विद्यालयों के ऊपर कहा कि निजी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चे आगे चलकर डी0एम0, एस0पी0 कैसे बन पायेंगे। उन्होंने कहा कि इन विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों का वर्ग कक्ष, स्कूल पहुंचाने वाले वाहन ए0सी0 होते हैं। डी0एम0, एस0पी0 को बाढ़, सुखाड़, दुर्घटना एवं अन्य अवसरों पर रात-दिन, ठंड, गर्मी एवं बरसात की परवाह किये बिना स्थल पर मौजूद रहना पड़ता है। यहाॅ पढ़ने वाले बच्चे पब्लिक लाइफ में कैसे जायेंगे, हमें तो लगता है कि आगे चलकर न डी0एम0 मिलेंगे, न एस0पी0 मिलेंगे और न ही ढ़ंग का लोगों के बीच काम करने वाले कोई एम0एल0ए0 मिलेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों को जनहित में, अपने और अपने भावी पीढ़ी के हित में यह सोचना पड़ेगा कि जो सरकारी प्रणाली है, शिक्षा की व्यवस्था है, वही सटिक व्यवस्था है, इसमें अगर कोई कमी है तो इसे दुरूस्त किया जाय।
मुख्यमंत्री ने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा उठाये गये कदमों की सराहना करते हुये कहा कि यदि बिहार की छवि को कोई धूमिल करने का प्रयास करेगा तो उसे भी हम अवसर में तबदील कर देंगे और बिहार की छवि बढ़ेगी। प्रकाश पर्व एवं मानव श्रृंखला के अवसर पर बिहार की जो छवि बनी है, वही बिहार की असली छवि है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री के समक्ष बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा परीक्षा व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण एवं सुधार से संबंधित वृतचित्र का प्रदर्शन किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री को अध्यक्ष बिहार विद्यालय परीक्षा समिति श्री आनंद किशोर ने प्रतीक चिह्न भेंटकर स्वागत किया। इस अवसर पर पटना प्रमण्डल के आयुक्त सह अध्यक्ष बिहार विद्यालय परीक्षा समिति श्री आनंद किशोर ने स्वागत संबोधन तथा बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा किये गये परीक्षा सुधारों की संक्षिप्त विवरणी प्रस्तुत की।
कार्यक्रम को शिक्षा मंत्री श्री अशोक चौधरी, मुख्य सचिव श्री अंजनी कुमार सिंह, प्रधान सचिव शिक्षा श्री आर0के0 महाजन ने भी संबोधित किया और बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के द्वारा उठाये गये कदमों की सराहना की। धन्यवाद ज्ञापन सचिव शिक्षा श्री जीतेन्द्र श्रीवास्तव ने किया।

इस अवसर पर राष्ट्रीय उच्च शिक्षा अभियान के बिहार राज्य के उपाध्यक्ष श्री कामेश्वर झा, प्रधान सचिव गृह श्री आमिर सुबहानी, प्रधान सचिव सामान्य प्रषासन श्री डी0एस0 गंगवार, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री चंचल कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव श्री मनीष कुमार वर्मा, पुलिस उप महानिरीक्षक श्री शालिन, जिलाधिकारी पटना श्री संजय कुमार अग्रवाल सहित शिक्षा विभाग एवं बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अधिकारी, कर्मी एवं विशिष्ट व्यक्ति उपस्थित थे।

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