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NTA NET 2021: UGC NET पास कर शिक्षक बनने की राह मुश्किल, नियुक्ति में पीएचडी को दिया जाता है वेटेज

 नेट (नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट) पास कर चुके लाखों नौजवानों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। आने वाले समय में सहायक प्रोफेसर की सीधी भर्ती में पीएचडी को भी लगभग अनिवार्य करने की तैयारी चल रही है।

जहां नेट को न्यूनतम अर्हता के रूप में मान्यता मिली हुई है, वहां भी पीएचडी उम्मीदवारों को ज्यादा तरजीह दी जा री है। इस प्रकार आने वाले दिनों में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षा महत्वहीन साबित हो सकती है।

नेट या पीएचडी में से एक न्यूनतम योग्यता जरूरी-

विश्वविद्यालयों में सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए अभी नेट या पीएचडी में से एक न्यूनतम होना जरूरी है। जो उम्मीदवार पीएचडी है, उसे नेट करने की जरूरत नहीं है। जो नेट किया हुआ है, वह बिना पीएचडी के भी सहायक प्रोफेसर पद पर नियुक्ति पा सकता है, लेकिन पिछले समय से इस नियम का क्रियान्वयन हो रहा है कि नेट करने वाले उम्मीदवार को नियुक्ति के अवसर नहीं मिल पाते हैं।

नियमों को विश्वविद्यालयों द्वारा अपने-अपने तरीके से लागू किया जा सकता है। यूजीसी ने दोनों अर्हताओं को मंजूरी दी है। लेकिन, नियुक्ति प्रक्रिया में से नेट करने वाले उम्मीदवारों को 5-10 अंकों का वेटेज दिया जाता है, जबकि पीएचडी में 30 अंकों।

यह गैप इतना ज्यादा हो जाता है कि मेरिट बनने के बाद नेट उम्मीदवार पिछड़ जाता है। इसलिए नेट उम्मीदवार के लिए नियुक्ति के मौके नहीं रह जाते हैं। हाल में बिहार में निकली भर्तियों में नेट के लिए पांच और पीएचडी के लिए 30 अंकों की वेटेज दी गई।

रहे सके मौके भी खत्म हो जाएंगे-

इस बीच यूजीसी के नए नियमों पर भी अमल शुरू होने जा रहा है, जिसमें सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति में नेट करने वालों के लिए सहे मौके भी खत्म हो जाएंगे। नेट एक न्यूनतम अर्हता तो रहेगी, लेकिन शोध पत्रों के प्रकाशन, शिक्षक अनुभव समेत इतनी शर्तें जोड़ दी गई हैं कि नेट उम्मीदवारों के लिए दरवाजे करीब-करीब बंद हो जाएंगे।

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