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मनमानी: विभागीय आदेश के बगैर कर ली शिक्षकों की नियुक्ति, अब ऐसे शिक्षक होंगे बर्खास्त

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। शिक्षकों की नियुक्ति का विभागीय आदेश था नहीं और कर ली उनकी बहाली। अब इन्हें नौकरी से बर्खास्त किया जाएगा। इसे व्यवस्था का ही दोष कहा जाएगा कि जब नियुक्ति का विभागीय आदेश ही नहीं था तो किसके शह पर संबंधित नियोजन इकाई ने इनकी नियुक्ति की।
ऐसे शिक्षकों को बर्खास्त करने का निर्देश विभागीय स्तर पर जारी कर दिया गया है। इसको लेकर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव आरके महाजन ने 31 अक्टूबर 2017 के बाद बहाल शिक्षकों को हटाने का निर्देश दिया है। सचिव के इस आदेश के बाद ऐसे शिक्षकों की बेचैनी बढ़ गई है।
नियोजन इकाई ने अपने-अपने तरीके से शिक्षकों की कर ली बहाली
शिक्षक संगठनों ने समान काम समान वेतन के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। न्यायालय ने शिक्षकों के पक्ष में फैसला सुनाया। न्यायालय के पारित आदेश में तत्काल 'स्टेटस को ' रखने का आदेश निर्गत है। शिक्षा विभाग को जानकारी मिली कि न्यायालय से 'स्टेटस को ' के बावजूद नियोजन इकाई ने अपने-अपने तरीके से शिक्षकों की बहाली कर ली है। जबकि, शिक्षकों की बहाली के लिए विभागीय आदेश जरूरी है। अधिसूचना जारी होने के बाद ही शिक्षकों की बहाली का प्रावधान है।
बिना अधिसूचना बहाली मानी जाएगी अवैध
अधिसूचना के बिना बहाली अवैध मानी जाएगी। अपर मुख्य सचिव ने जिला शिक्षा अधिकारी को भेजे पत्र में कहा कि न्यायालय के आदेश पर अगर नियुक्ति की गई है तो अविलंब वैसे शिक्षकों की सूची भेजें, ताकि आगे की कार्रवाई की जा सके। दूसरी ओर समान काम समान वेतन के मामले में हाईकोर्ट के पारित आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दायर की गई है। इस याचिका में तीन अक्टूबर 2018 को सुनवाई पूरी हो चुकी है। न्यायालय ने निर्णय को सुरक्षित रखा गया है। 'स्टेटस को ' के बाद नियुक्त शिक्षकों की बेचैनी बढ़ गई है।

डीइओ ने डीपीओ को आवश्यक कार्रवाई का दिया निर्देश

उधर, जिला शिक्षा अधिकारी ललन प्रसाद सिंह ने जिला शिक्षा कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना को इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई का निर्देश दिया है। साथ ही, विभागीय रोक के बावजूद बहाल शिक्षकों की सूची सौंपने को कहा है।

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