पटना: बिहार शिक्षा परियोजना के एक पत्र ने ऐसा बवाल मचाया है कि शिक्षा विभाग में ऊपर से नीचे तक हड़कंप मच गया है. शिक्षक संघ का कहना है कि इस कदम से शिक्षकों संघ को तोड़ने की साजिश की जा रही है.
दरअसल, बिहार शिक्षा परियोजना की ओर से जारी एक पत्र में सभी डीईओ और डीपीओ निर्देश दिया गया कि प्रारंभिक शिक्षकों के लिए अक्टूबर और नवंबर माह के वेतन में जेनरल और एससी के लिए अलग अलग राशि जारी की गई है. पहले एससी कैटेगरी के शिक्षकों को प्राथमिकता के आधार पर वेतन देना सुनिश्चित करें.
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इसके बाद सीतामढ़ी के डीपीओ ने भी एक निर्देश जारी कर दिया कि सीतामढ़ी के एससी एसटी कैटेगरी के सभी शिक्षकों की सूची उपलब्ध कराया जाए. सीतामढ़ी डीपीओ का लेटर वायरल हो गया जिसके बाद हड़कंप मच गया. शिक्षक संघ नाराज हो गए और सरकार पर शिक्षकों को तोड़ने का आरोप लगा दिया. बिहार शिक्षक संघर्ष समिति ने तो इसके विरोध में आंदोलन करने की चेतावनी दी है.
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हंगामा होते देख बिहार शिक्षा परियोजना के निदेशक संजय कुमार सिंह ने नया संशोधित पत्र जारी किया जिसमें से विवादास्पद शब्दों को हटा दिया गया. संजय कुमार सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि पत्र को समझने में लोगों को भूल हुई है. इसमें अकाउंट्स से जुड़े पहलुओं को ध्यान में रखते हुए लिखा गया था. हालांकि शिक्षकों को ये दलील गले नहीं उतर रही है.
दरअसल, बिहार शिक्षा परियोजना की ओर से जारी एक पत्र में सभी डीईओ और डीपीओ निर्देश दिया गया कि प्रारंभिक शिक्षकों के लिए अक्टूबर और नवंबर माह के वेतन में जेनरल और एससी के लिए अलग अलग राशि जारी की गई है. पहले एससी कैटेगरी के शिक्षकों को प्राथमिकता के आधार पर वेतन देना सुनिश्चित करें.
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