मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि राज्य की सभी ग्राम पंचायतों में
प्लस टू स्कूल खोलकर ही दम लेंगे। बिहार की सभी लड़कियां कम-से-कम
इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई अवश्य करें, इसी मकसद से सभी पंचायतों में प्लस टू
स्कूल स्थापित करने का निर्णय हमलोगों ने लिया था।
अभी पांच हजार से अधिक पंचायतों में प्लस टू स्कूल स्थापित कर दिए गए हैं, जबकि पहले आधे से अधिक पंचायतों में हाईस्कूल भी नहीं थे।
मुख्यमंत्री ने शिक्षक दिवस पर श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि लड़की नहीं पढ़ेगी तो समाज कैसे तरक्की करेगा। जनसंख्या नियंत्रण मामले में भी लड़कियों की शिक्षा बहुत महत्व रखता है। यह देखा गया है कि अगर पत्नी इंटर तक पढ़ी है तो देश में प्रजनन दर 1.7 और बिहार में 1.6 है। मैट्रिक तक पत्नी पढ़ी है तो देश और बिहार दोनों में प्रजनन दर दो है। हमें बिहार के गौरवशाली अतीत को फिर से प्राप्त करना है। शिक्षकों से अपील की कि नयी पीढ़ी को शिक्षा के साथ-साथ प्रकृति के बारे में भी बताएं। प्रकृति के साथ छेड़-छाड़ नहीं करें, इसका बहुत दुष्परिणाम होता है।
किशनगंज और अररिया में 90 साल के बुजुर्ग ने भी ऐसी बाढ़ और तीन दिनों में इतनी बारिश नहीं देखी थी, जो इस बार हुई। यह तो कुदरत की मात्र डांट-फटकार है। अगर हम सचेत नहीं हुए तो आगे क्या परिणाम झेलना होगा, सोच लीजिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि 2006 में बिहार में स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों की संख्या 12.5 फीसदी थी, जो अब एक फीसदी से भी कम रही गई है। इसके लिए कई प्रयास हुए और योजनाएं बनीं। 20 हजार से अधिक नये प्राथमिक स्कूल खुले, नयी कक्षाएं बनी, बड़े पैमाने पर शिक्षकों का नियोजन हुआ।
लड़कियों की संख्या मिडिल स्कूल से उच्च शिक्षा तक बढ़े, इसके लिए पोशाक और साइकिल योजना लागू हुई। इसके अच्छे परिणाम आए। आज लड़के-लड़कियों की संख्या नौंवी कक्षा में बराबर हो गयी है। पर, शिक्षा की गुणवत्ता अब भी चुनौती बनी हुई है। इसके लिए कई पहल हुए हैं। शिक्षकों के प्रशिक्षण की भी व्यवस्था की गई है।
तीन नये विश्वविद्यालय अगले सत्र के पहले : मोदी उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि अगले शैक्षणिक सत्र (जुलाई 2018) के पहले राज्य सरकार द्वारा घोषित तीनों नए विश्वविद्यालयों का गठन कर दिया जाएगा। इनमें पाटलिपुत्र, पूर्णिया और मुंगेर विश्वविद्यालय शामिल हैं। ये तीनों विश्वविद्यालय क्रमश: मगध (बोधगया), बीएनमंडल (मधेपुरा) और तिलका मांझी (भागलपुर) विश्वविद्यालय को बांट कर बनाए जा रहे हैं। साथ ही आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन, स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और सेंटर फॉर रिवर स्टडीज की पढ़ाई जल्द शुरू होगी। उन्होंने कहा कि शिक्षकों के वेतन पर 14 हजार 434 करोड़ सालाना खर्च होता है।
इनमें विश्वविद्यालय शिक्षकों पर 2925 करोड़ और अन्य स्कूली शिक्षकों पर खर्च है। इसलिए शिक्षकों का दायित्व है कि वे छात्र-छात्राओं का रोल मॉडल बनें, ताकि वे उनसे प्रेरणा लें। शिक्षा मंत्री कृष्ण नंदन वर्मा ने कहा कि कल कैसा होगा, यह शिक्षकों की मेहनत और उनकी कुशलता पर निर्भर करता है। इसलिए शिक्षक बच्चों को बेहतर शिक्षा देने में कोई कसर नहीं छोड़ें। मौके पर शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन समेत शिक्षा विभाग के तमाम पदाधिकारी उपस्थित थे। नालंदा को मिला प्रथम पुरस्कार शिक्षक कल्याण कोष में सबसे अधिक योगदान के लिए नालंदा, पटना और पश्चिम चंपारण को क्रमश: प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया।
अभी पांच हजार से अधिक पंचायतों में प्लस टू स्कूल स्थापित कर दिए गए हैं, जबकि पहले आधे से अधिक पंचायतों में हाईस्कूल भी नहीं थे।
मुख्यमंत्री ने शिक्षक दिवस पर श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि लड़की नहीं पढ़ेगी तो समाज कैसे तरक्की करेगा। जनसंख्या नियंत्रण मामले में भी लड़कियों की शिक्षा बहुत महत्व रखता है। यह देखा गया है कि अगर पत्नी इंटर तक पढ़ी है तो देश में प्रजनन दर 1.7 और बिहार में 1.6 है। मैट्रिक तक पत्नी पढ़ी है तो देश और बिहार दोनों में प्रजनन दर दो है। हमें बिहार के गौरवशाली अतीत को फिर से प्राप्त करना है। शिक्षकों से अपील की कि नयी पीढ़ी को शिक्षा के साथ-साथ प्रकृति के बारे में भी बताएं। प्रकृति के साथ छेड़-छाड़ नहीं करें, इसका बहुत दुष्परिणाम होता है।
किशनगंज और अररिया में 90 साल के बुजुर्ग ने भी ऐसी बाढ़ और तीन दिनों में इतनी बारिश नहीं देखी थी, जो इस बार हुई। यह तो कुदरत की मात्र डांट-फटकार है। अगर हम सचेत नहीं हुए तो आगे क्या परिणाम झेलना होगा, सोच लीजिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि 2006 में बिहार में स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों की संख्या 12.5 फीसदी थी, जो अब एक फीसदी से भी कम रही गई है। इसके लिए कई प्रयास हुए और योजनाएं बनीं। 20 हजार से अधिक नये प्राथमिक स्कूल खुले, नयी कक्षाएं बनी, बड़े पैमाने पर शिक्षकों का नियोजन हुआ।
लड़कियों की संख्या मिडिल स्कूल से उच्च शिक्षा तक बढ़े, इसके लिए पोशाक और साइकिल योजना लागू हुई। इसके अच्छे परिणाम आए। आज लड़के-लड़कियों की संख्या नौंवी कक्षा में बराबर हो गयी है। पर, शिक्षा की गुणवत्ता अब भी चुनौती बनी हुई है। इसके लिए कई पहल हुए हैं। शिक्षकों के प्रशिक्षण की भी व्यवस्था की गई है।
तीन नये विश्वविद्यालय अगले सत्र के पहले : मोदी उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि अगले शैक्षणिक सत्र (जुलाई 2018) के पहले राज्य सरकार द्वारा घोषित तीनों नए विश्वविद्यालयों का गठन कर दिया जाएगा। इनमें पाटलिपुत्र, पूर्णिया और मुंगेर विश्वविद्यालय शामिल हैं। ये तीनों विश्वविद्यालय क्रमश: मगध (बोधगया), बीएनमंडल (मधेपुरा) और तिलका मांझी (भागलपुर) विश्वविद्यालय को बांट कर बनाए जा रहे हैं। साथ ही आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन, स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और सेंटर फॉर रिवर स्टडीज की पढ़ाई जल्द शुरू होगी। उन्होंने कहा कि शिक्षकों के वेतन पर 14 हजार 434 करोड़ सालाना खर्च होता है।
इनमें विश्वविद्यालय शिक्षकों पर 2925 करोड़ और अन्य स्कूली शिक्षकों पर खर्च है। इसलिए शिक्षकों का दायित्व है कि वे छात्र-छात्राओं का रोल मॉडल बनें, ताकि वे उनसे प्रेरणा लें। शिक्षा मंत्री कृष्ण नंदन वर्मा ने कहा कि कल कैसा होगा, यह शिक्षकों की मेहनत और उनकी कुशलता पर निर्भर करता है। इसलिए शिक्षक बच्चों को बेहतर शिक्षा देने में कोई कसर नहीं छोड़ें। मौके पर शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन समेत शिक्षा विभाग के तमाम पदाधिकारी उपस्थित थे। नालंदा को मिला प्रथम पुरस्कार शिक्षक कल्याण कोष में सबसे अधिक योगदान के लिए नालंदा, पटना और पश्चिम चंपारण को क्रमश: प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया।