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शिक्षक दिवस : 18 हजार सैलरी वाले टीचर को 4 महीने से है वेतन का इंतजार

बिहार के जमुई जिले के शिक्षक बालानंद कुमार नियोजित शिक्षक के रुप में पिछले 10 सालों से काम कर रहे हैं. दिसंबर 2007 में जिले के खैरा प्रखंड के चुआं पंचायत में पंचायत शिक्षक के रूप में नियोजन हुआ था.
2008 में स्कूल को उत्क्रमित होने के बाद वो अब प्रखंड शिक्षक के रूप में कार्य कर रहे हैं.

2007 में पंचायत शिक्षक के रुप में जब नियोजन हुआ था तब 4 हजार रुपये मानदेय मिलता था. दस साल के बाद आज 18 हजार कुछ रुपये मिलते है.लेकिन इन्हें मिलने वाला वेतन से इनके परिवार का गुजारा नहीं हो पाता.

एक संयुक्त परिवार में रहने वाले इस शिक्षक बालानंद कुमार पर जहां बुजुर्ग बिमार पिता के इलाज की जिम्मेदारी है वहीं बीमार बेटी का इलाज वो बनारस में करवा रहे हैं. किसान परिवार से आने वाले शिक्षक बालानंद अपने 5 भाइयों में एक मात्र नौकरी वाले हैं.

वेतन कम होने के कारण एक बेटा और एक बेटी का स्कूल का फीस देना भी मुश्किल हो जाता है. ट्यूशन और कोचिंग तो दूर की बात है.

इससे भी बड़ी समस्या है कि सरकार इनलोगों को समय पर वेतन भी नहीं भी दे पाती है.महीनों वेतन नहीं मिलने से कर्ज का बोझ हमेशा बना रहता है. महाजनों का तकादा इन्हें परेशान कर देती है.

शिक्षक बालानंद कुमार का कहना है कि अभी बीते 4 महीने से इनका वेतन भुगतान नहीं हुआ.वेतन का समय पर नहीं मिलने से ये परेशान रहते हैं. 18 हजार कुछ सौ की राशि से इनका परिवार कैसे चलेगा.घर के बीमार सदस्यों का इलाज कैसे होगा.समान काम करने के बाद भी समान वेतन नहीं है.

वेतन भुगतान में देरी को लेकर जिला शिक्षा पदाधिकारी विद्यानंद सिंह का कहना है कि विभाग से राशि मिलने के बाद वेतन का भुगतान होता है. शिक्षकों का बकाया राशि का भुगतान जल्द ही करवा दिया जाएगा.⁠⁠⁠⁠

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