कुछ लोग "शिक्षक चौपाल" से इतने खौफजदा है की रात में भी इसके सपने आते है ।
ये लोग जाते है आमरण अनशन पर लेकिन 4 घंटे में ही मंत्री के साथ सेल्फी लेकर चले आते है ।धरातल पर तो कुछ करते नही और भड़ास सोशल मीडिया पर निकालते है ।शर्म करो ऐसे लोग ।यही लोग शिक्षक समाज की अगुआई करेंगे ?
दूसरी तरफ़ है मनीष रौशन जी जिसने अपने संघ की तरफ़ से मानों आम शिक्षकों को लतारने का मानों लाइसेंस ले लिया हो ।इन्होंने अपने वाल पर कल जिस तरह का पोस्ट किया था और उसपर जो कॉमेंट्स दिया था वह एक शिक्षक की और उसके नेतृत्व कर्ता की भाषा कतई नही हो सकती ।
हम चौपाल के शिक्षक आभारी है विपिन बाबू के और मनीष बाबू के शिक्षक चौपाल को इतना publicity देने के लिये ।
शिक्षक चौपाल दरअसल एक विचारधारा है ।आम शिक्षक की भावना है जो सभी संघों को एकजुट देखना चाहता है ।वह चाहता है की सभी संघ अपना अहम और वैमनस्य त्यागकर एक मंच से एक जगह से,एक समय,एक तिथि पर सब मिलकर शिक्षकों की बहुप्रतीक्षित माँग समान काम समान वेतन और राज्यकर्मी के दर्जे के लिये आंदोलन करे ।जिससे यह हठी सरकार एकजुटता देखकर हमारी मांगो को अनदेखा ना करे ।
शिक्षक चौपाल न कोई संघ है और न कोई नेता ही है इसमें ।सभी आम शिक्षक है इसमें ।ये आम शिक्षक किसी संघ के जुड़े हो सकते है ।वैसे भी कलयुगे संघे शक्ति कहा भी गया है ।उद्देश्य नेक होना चाहिये ।
आप सभी संगठन एक मंच पर आ जायें शिक्षक चौपाल का उद्देश्य ख़त्म ।आप ही सर्वे सर्वा ।
हा लेकिन आप भोले-भाले शिक्षकों को पटना ले जाते हो आमरण अनशन के लिये और 4 घंटे में ही मंत्री के संग सेल्फी लेकर चले आते हो ।बिना किसी ठोस नतीजे के आमरण अनशन t-20 मैच की तरह समाप्त कर देते हो तो आम शिक्षकों को आपत्ति होगी ही ।तकलीफ होगी ही ।आखिर आम शिक्षक अपने खुद के पैसे लगाकर जाता है पूरी फिल्म देखने जाता है और आप ट्रेलर दिखाकर आ जाते हो तो शिक्षकों के कोप का /गुस्से का शिकार तो बनना ही पड़ेगा ।आखिर आपके पास इस बात का क्या जवाब है की आमरण अनशन मात्र फेकूआ मंत्री के 15 दिनों में सेवा शर्त के आश्वासन पर क्यों तोड़ दिये ?जो डेढ़ साल से ऐसा ही ब्यान दे रहे है ।उसपर विश्वास करना कहा तक उचित है ?
और आपलोगों की माँग सेवा शर्त नही बल्कि समान काम समान वेतन था तो उसका क्या हुआ ?कितने में सौदा किया ?ज़रा बताये विपिन जी और मनीष कुमार रौशन जी ।

ये लोग जाते है आमरण अनशन पर लेकिन 4 घंटे में ही मंत्री के साथ सेल्फी लेकर चले आते है ।धरातल पर तो कुछ करते नही और भड़ास सोशल मीडिया पर निकालते है ।शर्म करो ऐसे लोग ।यही लोग शिक्षक समाज की अगुआई करेंगे ?
- 04 मार्च को सभी प्रखंड में, 18 मार्च को जिला में व 23 मार्च 2017 को पटना में आक्रोशपूर्ण धरना-प्रदर्शन करने का संकल्प
- 7th पे कमीशन की सिफारिशें मंजूर : Q&A में समझें कब से मिलेगी बढ़ी सैलरी? कैसे और कितना फायदा मिलेगा फायदा ?
- छाती पर हाथ रख बोला शिक्षक- हम तुम्हारा काम करा देंगे लेकिन...
- शिक्षकों को 7 दिनों में वेतन मिले
- शिक्षकों के आंदोलन के समर्थन में उतरे विधायक
दूसरी तरफ़ है मनीष रौशन जी जिसने अपने संघ की तरफ़ से मानों आम शिक्षकों को लतारने का मानों लाइसेंस ले लिया हो ।इन्होंने अपने वाल पर कल जिस तरह का पोस्ट किया था और उसपर जो कॉमेंट्स दिया था वह एक शिक्षक की और उसके नेतृत्व कर्ता की भाषा कतई नही हो सकती ।
हम चौपाल के शिक्षक आभारी है विपिन बाबू के और मनीष बाबू के शिक्षक चौपाल को इतना publicity देने के लिये ।
शिक्षक चौपाल दरअसल एक विचारधारा है ।आम शिक्षक की भावना है जो सभी संघों को एकजुट देखना चाहता है ।वह चाहता है की सभी संघ अपना अहम और वैमनस्य त्यागकर एक मंच से एक जगह से,एक समय,एक तिथि पर सब मिलकर शिक्षकों की बहुप्रतीक्षित माँग समान काम समान वेतन और राज्यकर्मी के दर्जे के लिये आंदोलन करे ।जिससे यह हठी सरकार एकजुटता देखकर हमारी मांगो को अनदेखा ना करे ।
शिक्षक चौपाल न कोई संघ है और न कोई नेता ही है इसमें ।सभी आम शिक्षक है इसमें ।ये आम शिक्षक किसी संघ के जुड़े हो सकते है ।वैसे भी कलयुगे संघे शक्ति कहा भी गया है ।उद्देश्य नेक होना चाहिये ।
आप सभी संगठन एक मंच पर आ जायें शिक्षक चौपाल का उद्देश्य ख़त्म ।आप ही सर्वे सर्वा ।
हा लेकिन आप भोले-भाले शिक्षकों को पटना ले जाते हो आमरण अनशन के लिये और 4 घंटे में ही मंत्री के संग सेल्फी लेकर चले आते हो ।बिना किसी ठोस नतीजे के आमरण अनशन t-20 मैच की तरह समाप्त कर देते हो तो आम शिक्षकों को आपत्ति होगी ही ।तकलीफ होगी ही ।आखिर आम शिक्षक अपने खुद के पैसे लगाकर जाता है पूरी फिल्म देखने जाता है और आप ट्रेलर दिखाकर आ जाते हो तो शिक्षकों के कोप का /गुस्से का शिकार तो बनना ही पड़ेगा ।आखिर आपके पास इस बात का क्या जवाब है की आमरण अनशन मात्र फेकूआ मंत्री के 15 दिनों में सेवा शर्त के आश्वासन पर क्यों तोड़ दिये ?जो डेढ़ साल से ऐसा ही ब्यान दे रहे है ।उसपर विश्वास करना कहा तक उचित है ?
और आपलोगों की माँग सेवा शर्त नही बल्कि समान काम समान वेतन था तो उसका क्या हुआ ?कितने में सौदा किया ?ज़रा बताये विपिन जी और मनीष कुमार रौशन जी ।
- अशोक चौधरी बोलते हैं सभी 1-8 TET/STET की बहाली संभव नहीं
- नियोजित शिक्षक महासंघ का कैंडल मार्च : आगाज अच्छा है तो अंजाम भी अच्छा ही होगा
- EPF : ई पी एफ के संबंध मे जारी निर्देश
- नियोजित शिक्षकों की मांगे जायज , सरकार कर रही है सौतेला व्यवहार
- शिक्षक चौपाल कभी भी किसी भी शिक्षक संघ को धरना-प्रदर्शन, आमरण अनशन,तालाबंदी करने से रोकता नही
- कर्मचरियो, नियोजित शिक्षकों को स्थाई जितनी सैलरी मिले आदेश जारी
- कल विधानपरिषद में शिक्षकों की मांगों पर ये बिहार सरकार का ध्यानाकृष्ट करेंगे
- प्राइवेट कर्मचारी भी होंगे 20 लाख ग्रेच्युटी के हकदार, अबतक 10 लाख है सीमा
- बिहार मे बहार है भ्रष्टाचारियो की सरकार है।महागठबंधन सरकार की जय हो
- BSSC SCAM : पहचाना गया पेपर लीक का असली ‘गुरू-घंटाल’ गुरुजी
