पुर्नरक्षित वेतनमान लागू नहीं होना शिक्षा विभाग की लचर कार्यप्रणाली को साबित करता है। संयोजक शशांक पाण्डेय ने कहा कि नियोजित टीईटी शिक्षक अपनी मांग हर हाल में सरकार से लेकर रहेंगे। इसके लिए शिक्षकों को उग्र आंदोलन ही क्यों नहीं करना पड़े। सह-संयोजक आशा पाण्डेय ने कहा कि जहां तक पूर्ण वेतनमान का सवाल है, सरकार ध्यान नहीं दे रही है। सर्विस बुक के संधारण का काम जान-बूझकर लटकाया जा रहा है। टीईटी शिक्षकों के साथ सरकार दोहरी नीति अपनाने का काम कर रही है। उपाध्यक्ष प्रेम सिंह कुशवाहा ने कहा कि शिक्षा विभाग में पसंद व चयन के नियम पर पुनरिक्षित वेतन देने का काम हो रहा है। सचिव हरेन्द्र सिंह ने कहा कि अधिकारियों के मनमानी का हाल यह है कि एक ही प्रखंड में कुछ शिक्षकों को पुनरिक्षित वेतन मिल रहा व कुछ शिक्षकों को अभी भी पुराना वेतन मिल रहा है। शिक्षकों की इस दुर्दशा के लिए सरकार व अधिकारी ही है। मौके पर आशीष, वंशीधर समेत काफी संख्या में शिक्षक मौजूद थे।
सर्विस बुक संधारण का काम जान-बुझकर लटकाने का लगाया आरोप
डीईओ कार्यालय के समीप धरना देेते टीईटी-एसटीईटी उतीर्ण शिक्षक।