बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) के लिए सामान्य कोटि
के उम्मीदवारों की उम्र सीमा 35 साल करने से राज्य के लाखों अभ्यर्थी आवेदन
से वंचित हो जाएंगे। अभ्यर्थियों में इसे लेकर आक्रोश है। अभ्यर्थियों का
कहना है कि अधिकतम उम्र सीमा 37 साल होनी चाहिए।
पूर्व के वर्षों में टीईटी में उम्र सीमा 37 ही थी लेकिन इस बार घटा दी गई है। बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश कार्यालय सचिव नवनीत कुमार मिश्र ने बताया कि पिछले वर्षों में हुए टीईटी में उम्र सीमा 37 साल थी, जबकि इस बार सामान्य के लिए 35 साल की गई है। ऐसे में कई अभ्यर्थी फॉर्म भरने से वंचित रह जाएंगे। अभ्यर्थियों का कहना है कि केंद्र और अन्य राज्य सरकार की ओर से आयोजित टीईटी में उम्रसीमा नहीं होती।
पटना | एआईएसएफके छात्रों ने गुरुवार को पूरे राज्य में टीईटी एवं एसटीईटी परीक्षा में बीएड तथा प्रशिक्षित अभ्यर्थियों को ही फॉर्म भरने की अनुमति देने के खिलाफ आक्रोश मार्च निकाला। पटना एनआईटी मोड़ से पटना विश्वविद्यालय तक छात्रों ने जुलूस निकालकर प्रदर्शन किया। पीयू गेट पर पहुंचकर छात्रों ने शिक्षामंत्री अशोक चौधरी का पुतला भी फूंका। संगठन के राज्य सचिव सुशील कुमार ने कहा कि राज्य सरकार ने प्रशिक्षित होना अनिवार्य कर दिया है। इसकी जगह पूर्व की भांति नियत अवधि में बीएड की अनिवार्यता लागू की जाए। संगठन ने मैट्रिक-इंटर की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन बहिष्कार कर रहे शिक्षकों के समान कार्य समान वेतन की मांग का समर्थन किया। जिला सचिव सुशील उमाराज ने कहा कि अगर मांगें नहीं मानी जाती हैं तो 11 अप्रैल को मुख्यमंत्री का घेराव किया जाएगा।
पूर्व के वर्षों में टीईटी में उम्र सीमा 37 ही थी लेकिन इस बार घटा दी गई है। बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश कार्यालय सचिव नवनीत कुमार मिश्र ने बताया कि पिछले वर्षों में हुए टीईटी में उम्र सीमा 37 साल थी, जबकि इस बार सामान्य के लिए 35 साल की गई है। ऐसे में कई अभ्यर्थी फॉर्म भरने से वंचित रह जाएंगे। अभ्यर्थियों का कहना है कि केंद्र और अन्य राज्य सरकार की ओर से आयोजित टीईटी में उम्रसीमा नहीं होती।
पटना | एआईएसएफके छात्रों ने गुरुवार को पूरे राज्य में टीईटी एवं एसटीईटी परीक्षा में बीएड तथा प्रशिक्षित अभ्यर्थियों को ही फॉर्म भरने की अनुमति देने के खिलाफ आक्रोश मार्च निकाला। पटना एनआईटी मोड़ से पटना विश्वविद्यालय तक छात्रों ने जुलूस निकालकर प्रदर्शन किया। पीयू गेट पर पहुंचकर छात्रों ने शिक्षामंत्री अशोक चौधरी का पुतला भी फूंका। संगठन के राज्य सचिव सुशील कुमार ने कहा कि राज्य सरकार ने प्रशिक्षित होना अनिवार्य कर दिया है। इसकी जगह पूर्व की भांति नियत अवधि में बीएड की अनिवार्यता लागू की जाए। संगठन ने मैट्रिक-इंटर की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन बहिष्कार कर रहे शिक्षकों के समान कार्य समान वेतन की मांग का समर्थन किया। जिला सचिव सुशील उमाराज ने कहा कि अगर मांगें नहीं मानी जाती हैं तो 11 अप्रैल को मुख्यमंत्री का घेराव किया जाएगा।