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शोध के लिए सवैतनिक छुट्टी ली, क्या किया बताया नहीं

पटना हाईकोर्ट ने पटना विश्वविद्यालय के तीन वरीय शिक्षकों-प्रो. रामजतन सिन्हा, प्रो. नवल चौधरी और प्रो.अशोक सिन्हा को नोटिस दी है। मसला, सवैतनिक अवकाश का है। दरअसल, एक याचिका में आरोप है कि कई शिक्षक शोध/शिक्षण कार्य के नाम पर सवैतनिक अवकाश पर चले जाते हैं।
वे छुट्टी के दौरान का वेतन तो ले लेते हैं, मगर छुट्टी में शोध/शिक्षण या कौन सा काम किया, यह नहीं बताते। विश्वविद्यालय शोध या अन्य शैक्षणिक कार्यों के लिए यह अवकाश देता है। सोमवार को पटना हाईकोर्ट में इस लाइन पर लंबी बहस हुई। कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश हेमंत गुप्ता एवं न्यायमूर्ति सुधीर सिंह की खंडपीठ ने प्रो. रामजतन सिन्हा, प्रो. अशोक कुमार सिन्हा, प्रो. नवल किशोर चौधरी को बतौर पक्षकार इस मामले में अपना पक्ष रखने का आदेश दिया। प्रो.रामजतन सिन्हा और प्रो.नवल किशोर चौधरी रिटायर कर गए हैं। डॉ. धर्मप्रकाश ने सवैतनिक अवकाश की गड़बड़ी को रोकने के लिए जनहित याचिका दायर की हुई है। कोर्ट ने तीन प्रोफेसरों से 4 हफ्ते में जवाब मांगा है। सुनवाई के दौरान पटना विश्वविद्यालय की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि ऐसा करने वाले शिक्षकों से जवाब-तलब किया जा रहा है। कोर्ट ने छुट्टियों का दुरुपयोग करने वालों पर कार्रवाई जल्द करने को कहा।

लाभ उठाने वालों की लंबी सूची

विश्वविद्यालय,शोध एवं अन्य शैक्षणिक कार्यकलापों में शामिल होने वाले शिक्षकों को वेतन का लाभ देते हुए छुट्टी देता है, बशर्ते ऐसी छुट्टी पर जाने वाले शिक्षक छुट्टी के दौरान किए गए शोध कार्य या अन्य कार्यकलापों का ब्योरा देंगे। याचिका के अनुसार पटना विश्वविद्यालय में ऐसे शिक्षकों की लंबी फेहरिस्त है, जिन्होंने सवैतनिक अवकाश लिया, वेतन उठाया लेकिन छुट्टी में किए गए अपने काम का ब्योरा नहीं दिया।

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