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सेवा-शर्त के विषय में बिंदुवार विश्लेषण : प्रदेश सचिव TSUNSS

सेवा-शर्त के विषय में मेरी कल की पोस्ट का कुछ पूर्वाग्रह के ग्रसित बंधुओं ने गलत मतलब निकाल लिया। कुछ लोगों ने पोस्ट किया कि अब हमें कोई आंदोलन ही नहीं करना चाहिए। कुछ लोग कहने लगे कि मैं लोगों को भ्रमित कर रहा हूँ। तो कुछ कहने लगे मैं महासंघ/शिक्षक चौपाल के डर से अपने संघ का बचाव कर रहा हूँ।
तो इन सभी आरोपों का मैं बिंदुवार विश्लेषण करना चाहूँगा:-
1) मैंने ये कतई नहीं कहा कि आंदोलन नहीं करना चाहिए। मैंने तो सातवें वेतन को लेकर हमारे सभी साथियों ने, विशेषकर बेगूसराय के साथियों ने, जो आंदोलन किया उसकी भूरी-भूरी प्रशंसा की। उसी आंदोलन के दवाब में मुख्यमंत्री को मंच से उस अफ़वाह का खंडन करना पड़ा। ये संभव हो पाया तो केवल उन शिक्षकों की वजह से जिन्होंने ज़मीन पर ज़ोरदार आंदोलन किया न कि उनकी वजह से जो सोशल मीडिया पर एकता का राग अलाप रहे थे।
हमलोग निजी संस्थानों से प्रशिक्षण को लेकर वैसा आंदोलन नहीं कर सके। इसी कारण हमें हाईकोर्ट की शरण में जाना पड़ा। यदि हम उस वक़्त भी ज़मीन पर आंदोलन कर पाते पूरे बिहार भर में तो शायद हमें न्यायालय की शरण में नहीं जाना पड़ता। इसीलिए आंदोलन के महत्व और सार्थकता को कोई नकार नहीं सकता। मैं पुरज़ोर आंदोलन के समर्थन में हूँ।
2) जो लोग मुझ पर भ्रमित करने का आरोप लगा रहे हैं मैं उनसे केवल इतना कहूँगा कि तथ्यों को पढ़िए और समझिए। मेरी कही बातों पर भरोसा मत कीजिए। आप सभी शिक्षक बुद्धिजीवी एवं विवेकशील हैं। केवल अध्ययन करने की जरुरत है। मैं चाहता हूँ कि आप सभी सुप्रीम के कोर्ट के जजमेंट को अक्षरशः पढ़ें। 108 पन्नों की रिपोर्ट को पढ़ें, हमारी नियमावली को पढ़ें, लीक हुई रिपोर्ट को पढ़ें और संभव हो तो थोड़ा-सा कानूनी पक्ष को जानने समझने का प्रयास करें। मैंने उतना ही लिखा जितना मैं समझ सका। हो सकता है कि आपकी समझ मुझसे बेहतर है।
3) मैं महासंघ/शिक्षक चौपाल के कॉन्सेप्ट से वैचारिक तौर पर सहमत हूँ। लेकिन इनकी कार्यप्रणाली को लेकर स्पष्ट नहीं हूँ। मैंने परसों ही तथाकथित महासंघ के स्वघोषित संयोजक से बात की और कहा कि मैं आप सभी से मिलकर निजी तौर पर बात करना चाहता हूँ। तो उनका सीधा जवाब आया कि मैं पहले इस्तीफ़ा दे दूं तभी वो मुझसे बात करेंगे। ये क्या बात हुई। ये कैसी शर्त है? क्या महासंघ में शामिल होने से पहले सभी ने अपने संघ से इस्तीफ़ा दिया? मैं तो केवल बात विचार-विमर्श करना चाहता हूँ, वो भी निजी तौर पर। उसके लिए इस्तीफ़ा दे दूं!!! ऐसे में तो महासंघ की मंशा पर संदेह होता है।
अब मैं समझा कि किसी भी बड़े संघ ने आजतक इनको समर्थन क्यों नहीं दिया।
चलिए, छोड़िए इन सब बातों को। एक बात स्पष्ट समझ लीजिए। पहले लड़ाई सड़क पर लड़ी जाती है। उसके बाद न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाया जाता है। हमने सड़क पर आंदोलन की तिथि घोषित कर दी है। इस महीने 18/19 को सभी जिलों में आंदोलन की तैयारी को लेकर बैठक है। आप सभी TET-STET शिक्षक एकता और एकजुटता की मिशाल पेश करें और आगामी आंदोलन में हिस्सा लें।
Amit Vikram
प्रदेश सचिव
TSUNSS

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