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तीन बार दक्षता परीक्षा फेल शिक्षकों को हटाने पर सुप्रीम कोर्ट की रोक

क्या यही न्याय है ? और हम किसकी गुनाहों की सजा काट रहे है ?
पॉलिटिकल रिपोर्टर | पटना सुप्रीम कोर्ट ने 3 बार में भी दक्षता परीक्षा पास नहीं करने वाले नियोजित शिक्षकों को नौकरी से हटाने पर रोक लगा दी है। हाल की परीक्षा में करीब 2000 शिक्षक तीसरी बार भी फेल हो गए थे।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ व न्यायमूर्ति एएम खानविल्कर ने निर्मला कुमारी और मीसा कुमारी की याचिका पर यह आदेश दिया। प्रदेश में साढ़े 3 लाख नियोजित शिक्षक हैं। नियोजन करते वक्त ही सरकार ने तय कर दिया था कि इनको दक्षता परीक्षा पास करनी होगी, तभी ये काम कर सकते हैं। ये शिक्षक सरकार के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट गए थे।
जबकि टेट अहर्ता परीक्षा पास २०११ के योग्य अभ्यथी सड़को की धुल फाँक रहे है ? जानते है क्यू ?
क्यू की हम ५०००-१०००० रूपये नियोजन इकाइयों के चक्कर लगाने में लगा सकते है, लेकिन केस के किये कोई १०० रुपए देगा तो उसका हिसाब १०० बार मांगेगा। अगर २००० लोग सुप्रीम कोर्ट से, जबकि हाई कोर्ट ने कोई रहत नहीं दी थी और सरकार के अधिनियम के अनुसार भी ये अयोग्य हैं, राहत पा सकते है तो हम ५०००० क्यू नहीं ? अगर १०००० लोग ५०० रूपये इकट्ठा करे तो ५० लाख रूपये इकट्ठा कर सकते है किसी भी बड़े से बड़े महाधिवक्ता को हायर कर,विजयी हो सकते है।सरकार को सभी टेट सफल को बहाल करना ही होगा क्यू की जब एमन,प्रोफेसर्स,उपभोक्ता फोरम के ख़ाली पदों को भरने के लिए कोर्ट आदेश दे सकती है तो शिक्षको के ख़ाली पदों पर क्यू नहीं ? इंडियास्पेंड के ताज़ा रिपोर्ट में बिहार में शिक्षको के ३७% पद रिक्त पड़े है।इस मामले में मुफ्त और अनियार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम २००९ भी है, जो हमें केस में सहायता करेगा।
जरुरत है नियोजन से पहले नियोजित होकर,नियति की चिंता किये बगैर निर्मल नियत,से न्याय हेतु पहल करने की।

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