# प्रश्न- कल हाईकोर्ट में क्या संभावना है??
# उत्तर- कल 'समान काम समान वेतन' के मुद्दे पर सभी केस for admission की श्रेणी में 3 नंबर से लेकर 11 नंबर तक कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सुधीर सिंह के कोर्टरूम न.-1 में लिस्टेड है।
कल सभी केसों की एकीकृत सुनवाई होगी। लगभग सभी केस में माननीय पी के शाही बहस करेंगे। लगभग केस पूरी तरह से माननीय पी के शाही के मार्गदर्शन में ड्राफ्ट किया गया है। शायद पी के शाही के सलाहानुसार ही इसी केस के साथ केस टैग करवाने का निर्णय लिया गया। आप शायद इस बात को समझते होंगे कि एक ही मुद्दे पर अधिक केसों की संख्या और वरिष्ठतम वकीलों की मौजूदगी एक मनोवैज्ञानिक दवाब डालती है। साथ ही कोर्ट को यह भी संदेश जाता है कि इस केस से वृहद् पैमाने पर लोगों के हित जुड़े हैं।
पिछले डेट की तरह ही सबसे वरिष्ठ अधिवक्ता यानि पी के शाही जी सभी केसों के तरफ़ से बहस की पहल करेंगे और सभी केस के सम्बंधित अधिवक्तागण भी अपना पक्ष रखेंगे। एक साथ इतने सारे वकीलों की मौजूदगी में सरकारी वकील निश्चित तौर पर कमज़ोर पड़ेंगे। कल उनकी डेट बढ़ाने की रणनीति भी कारगर सिद्ध न होगी। पहले ही सरकारी वकील काफ़ी समय ले चुके हैं।
माननीय न्यायाधीश का रुख इस केस में शिक्षकों के पक्ष में रहा है। पिछली दो सुनवाई से वो लगातार सरकार पर तल्ख़ टिपण्णी कर रहे हैं और सरकार से तीख़े सवाल पूछ रहे हैं जिसका जवाब सरकारी वक़ील देने में असमर्थ रहे थे। माननीय मुख्य न्यायाधीश स्वयं 26 अक्टूबर के सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले की पंक्तियाँ पढ़ कर सुना रहे थे और स्पष्ट कहा था कि किसी भी प्रकार के कर्मचारी को समान काम समान वेतन मिलना चाहिए। ये उनका अधिकार है। इस बार पूरी उम्मीद है कि कल होने वाली बहस निर्णायक होगी।
साथियों, इस बात कि शत-प्रतिशत संभावना है कल की सुनवाई नियोजित शिक्षकों के इतिहास मेंं स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा। आप सभी आशान्वित रहें और अपने ईष्ट-देव/देवी, ईश्वर-अल्लाह से दुआ करें कि फ़ैसला हमारे पक्ष में जाए।
तब तक के लिए दुआ करते रहिए।
# उत्तर- कल 'समान काम समान वेतन' के मुद्दे पर सभी केस for admission की श्रेणी में 3 नंबर से लेकर 11 नंबर तक कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सुधीर सिंह के कोर्टरूम न.-1 में लिस्टेड है।
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कल सभी केसों की एकीकृत सुनवाई होगी। लगभग सभी केस में माननीय पी के शाही बहस करेंगे। लगभग केस पूरी तरह से माननीय पी के शाही के मार्गदर्शन में ड्राफ्ट किया गया है। शायद पी के शाही के सलाहानुसार ही इसी केस के साथ केस टैग करवाने का निर्णय लिया गया। आप शायद इस बात को समझते होंगे कि एक ही मुद्दे पर अधिक केसों की संख्या और वरिष्ठतम वकीलों की मौजूदगी एक मनोवैज्ञानिक दवाब डालती है। साथ ही कोर्ट को यह भी संदेश जाता है कि इस केस से वृहद् पैमाने पर लोगों के हित जुड़े हैं।
पिछले डेट की तरह ही सबसे वरिष्ठ अधिवक्ता यानि पी के शाही जी सभी केसों के तरफ़ से बहस की पहल करेंगे और सभी केस के सम्बंधित अधिवक्तागण भी अपना पक्ष रखेंगे। एक साथ इतने सारे वकीलों की मौजूदगी में सरकारी वकील निश्चित तौर पर कमज़ोर पड़ेंगे। कल उनकी डेट बढ़ाने की रणनीति भी कारगर सिद्ध न होगी। पहले ही सरकारी वकील काफ़ी समय ले चुके हैं।
माननीय न्यायाधीश का रुख इस केस में शिक्षकों के पक्ष में रहा है। पिछली दो सुनवाई से वो लगातार सरकार पर तल्ख़ टिपण्णी कर रहे हैं और सरकार से तीख़े सवाल पूछ रहे हैं जिसका जवाब सरकारी वक़ील देने में असमर्थ रहे थे। माननीय मुख्य न्यायाधीश स्वयं 26 अक्टूबर के सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले की पंक्तियाँ पढ़ कर सुना रहे थे और स्पष्ट कहा था कि किसी भी प्रकार के कर्मचारी को समान काम समान वेतन मिलना चाहिए। ये उनका अधिकार है। इस बार पूरी उम्मीद है कि कल होने वाली बहस निर्णायक होगी।
साथियों, इस बात कि शत-प्रतिशत संभावना है कल की सुनवाई नियोजित शिक्षकों के इतिहास मेंं स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा। आप सभी आशान्वित रहें और अपने ईष्ट-देव/देवी, ईश्वर-अल्लाह से दुआ करें कि फ़ैसला हमारे पक्ष में जाए।
तब तक के लिए दुआ करते रहिए।
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