पटना. अनलॉक 1 शुरू होते ही बिहार विद्यालय परीक्षा समिति
(Bihar School Examination Board) के खिलाफ एसटीईटी (STET) परीक्षार्थियों
ने आंदोलन तेज कर दिया है और एक बार फिर से रिजल्ट की मांग उठने लगी है.
परीक्षार्थियों का कहना है कि बोर्ड अध्यक्ष आनंद किशोर ने जानबूझकर
परीक्षार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है क्योंकि परीक्षा के 5 माह
बाद जब रिजल्ट की बारी आई तो परीक्षा में धांधली बताकर
परीक्षा रद्द कर दिया गया है. परीक्षार्थियों के समर्थन में छात्र संगठन भी समर्थन में उतर गए हैं और जनाधिकार छात्र परिषद और एबीवीपी (Janadhikar Student Council and ABVP) ने रिजल्ट नहीं जारी होने पर राज्यव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी है.
परीक्षार्थी विवेक रंजन, सुदर्शन साह, मोहम्मद जावेद समेत कई अभ्यर्थियों ने आरोप लगाते हुए कहा है कि जब राज्य सरकार शिक्षक बहाली के लिए अधिसूचना जारी कर दी तब परीक्षा रद्द करना सरकार और बोर्ड की मंशा पर सवाल खड़ा कर रहा है. इनका कहना है कि अभ्यर्थियों ने बड़ी उम्मीद से कर्ज लेकर, पसीना बहाकर बीएड की डिग्री हासिल की और एसटीईटी की तैयारी कर अच्छे ढंग से परीक्षा दी, अब परीक्षार्थियों को आगे काटो तो खून नहीं वाली हालत हो चुकी है.
अभ्यर्थियों का कहना है कि हर जगह गुहार लगाने के बाद जब मांगों पर विचार नहीं हुआ तो परीक्षार्थी ट्विटर और फेसबुक के जरिये ऊना दर्द बयां कर रहे हैं और बोर्ड का चिट्ठा खोलने में लगे हैं. बता दें कि एसटीईटी परीक्षा 28 जनवरी 2020 को राज्य के 317 केंद्रों पर ली गयी थी. दो पाली में हुई परीक्षा में दो लाख 47 हजार 241 परीक्षार्थी शामिल हुए थे. इसमें प्रथम पाली में एक लाख 81 हजार 738 और दूसरी पाली में 65 हजार 503 परीक्षार्थी शामिल हुए थे.
28 जनवरी को परीक्षा आयोजित होते ही प्रश्न पत्र के साथ कई बिंदुओं पर जांच के लिए बोर्ड ने चार सदस्यीय जांच कमिटी का गठन कर दिया था. जांच कमिटी ने 5 माह बाद जैसे ही रिपोर्ट सौंपी की परीक्षा में धांधली, गड़बड़ी हुई है तो बोर्ड ने कमिटी की रिपोर्ट के आधार पर परीक्षा को रद्द कर दिया था.
बोर्ड का स्पष्ट कहना था कि प्रश्न पत्र मोबाइल से लीक हुआ है. जांच कमिटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि एसटीईटी परीक्षा के दौरान कई केंद्रों पर प्रश्न पत्र को लेकर सवाल उठे है. वहीं बोर्ड की मानेंं तो परीक्षा के दौरान मोबाइल के माध्यम से प्रश्न पत्र कई जगह आदान प्रदान किया गया और परीक्षा केंद्रों पर तोड़ फोड़, हंगामा, प्रश्न पत्र फाड़ने तथा मारपीट जैसी घटनाएं भी हुई.
दरअसल अब परीक्षार्थियों का आक्रोश इसलिए भी बढ़ता जा रहा है कि परीक्षा के वक्त बोर्ड अध्यक्ष ने किसी भी तरह के प्रश्न पत्र लीक, हंगामा, धांधली को अफवाह और गलत करार दिया था, लेकिन वही बोर्ड अध्यक्ष ठीक रिजल्ट जरी होने के वक्त जांच कमिटी की रिपोर्ट का हवाला देकर परीक्षा को रद्द कर देते हैं जिससे कि लाखों अभ्यर्थियों का ना सिर्फ शिक्षक बनने का सपना अधूरा रह गया.
अभ्यर्थी ये भी कहते हैं कि हमलोगों के भविष्य के साथ भद्दा मजाक भी किया गया है. हालांकि मामला हाईकोर्ट तक पहुंच चुका है और पहली सुनवाई में न्यायालय ने बोर्ड को ओएमआर शीट को सुरक्षित रखने का आदेश भी सुनाया है.
परीक्षा रद्द कर दिया गया है. परीक्षार्थियों के समर्थन में छात्र संगठन भी समर्थन में उतर गए हैं और जनाधिकार छात्र परिषद और एबीवीपी (Janadhikar Student Council and ABVP) ने रिजल्ट नहीं जारी होने पर राज्यव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी है.
परीक्षार्थी विवेक रंजन, सुदर्शन साह, मोहम्मद जावेद समेत कई अभ्यर्थियों ने आरोप लगाते हुए कहा है कि जब राज्य सरकार शिक्षक बहाली के लिए अधिसूचना जारी कर दी तब परीक्षा रद्द करना सरकार और बोर्ड की मंशा पर सवाल खड़ा कर रहा है. इनका कहना है कि अभ्यर्थियों ने बड़ी उम्मीद से कर्ज लेकर, पसीना बहाकर बीएड की डिग्री हासिल की और एसटीईटी की तैयारी कर अच्छे ढंग से परीक्षा दी, अब परीक्षार्थियों को आगे काटो तो खून नहीं वाली हालत हो चुकी है.
अभ्यर्थियों का कहना है कि हर जगह गुहार लगाने के बाद जब मांगों पर विचार नहीं हुआ तो परीक्षार्थी ट्विटर और फेसबुक के जरिये ऊना दर्द बयां कर रहे हैं और बोर्ड का चिट्ठा खोलने में लगे हैं. बता दें कि एसटीईटी परीक्षा 28 जनवरी 2020 को राज्य के 317 केंद्रों पर ली गयी थी. दो पाली में हुई परीक्षा में दो लाख 47 हजार 241 परीक्षार्थी शामिल हुए थे. इसमें प्रथम पाली में एक लाख 81 हजार 738 और दूसरी पाली में 65 हजार 503 परीक्षार्थी शामिल हुए थे.
28 जनवरी को परीक्षा आयोजित होते ही प्रश्न पत्र के साथ कई बिंदुओं पर जांच के लिए बोर्ड ने चार सदस्यीय जांच कमिटी का गठन कर दिया था. जांच कमिटी ने 5 माह बाद जैसे ही रिपोर्ट सौंपी की परीक्षा में धांधली, गड़बड़ी हुई है तो बोर्ड ने कमिटी की रिपोर्ट के आधार पर परीक्षा को रद्द कर दिया था.
बोर्ड का स्पष्ट कहना था कि प्रश्न पत्र मोबाइल से लीक हुआ है. जांच कमिटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि एसटीईटी परीक्षा के दौरान कई केंद्रों पर प्रश्न पत्र को लेकर सवाल उठे है. वहीं बोर्ड की मानेंं तो परीक्षा के दौरान मोबाइल के माध्यम से प्रश्न पत्र कई जगह आदान प्रदान किया गया और परीक्षा केंद्रों पर तोड़ फोड़, हंगामा, प्रश्न पत्र फाड़ने तथा मारपीट जैसी घटनाएं भी हुई.
दरअसल अब परीक्षार्थियों का आक्रोश इसलिए भी बढ़ता जा रहा है कि परीक्षा के वक्त बोर्ड अध्यक्ष ने किसी भी तरह के प्रश्न पत्र लीक, हंगामा, धांधली को अफवाह और गलत करार दिया था, लेकिन वही बोर्ड अध्यक्ष ठीक रिजल्ट जरी होने के वक्त जांच कमिटी की रिपोर्ट का हवाला देकर परीक्षा को रद्द कर देते हैं जिससे कि लाखों अभ्यर्थियों का ना सिर्फ शिक्षक बनने का सपना अधूरा रह गया.
अभ्यर्थी ये भी कहते हैं कि हमलोगों के भविष्य के साथ भद्दा मजाक भी किया गया है. हालांकि मामला हाईकोर्ट तक पहुंच चुका है और पहली सुनवाई में न्यायालय ने बोर्ड को ओएमआर शीट को सुरक्षित रखने का आदेश भी सुनाया है.