पटना : पटना विश्वविद्यालय के सिंडिकेट सदस्य पप्पू
वर्मा ने कहा कि नीति आयोग द्वारा बिहार के संदर्भ में दिया गया रिपोर्ट
बिहार में बदहाल हो चुके शिक्षा,स्वास्थ्य और रोजगार के इन तीनों क्षेत्रों
में बिहार का दुर्दशा बताता है।
एक तरफ सिर्फ खानापूर्ति के लिए झूठी शिक्षा व्यवस्था को बढ़ा चढ़ा कर पेश किया जाता है ताकि राज्य की जनता भ्रमित रहे शिक्षकों को पढ़ाई के कार्य के बदले सरकार अपने कार्यों में ज्यादा उलझा कर रखती है। हालांकि इसके बावजूद बिहार के छात्र कम संसाधनों में भी अपने मेहनत के दम पर बिहार का नाम पूरे देश दुनिया में रोशन कर रहें है। वहीं बदहाल हो चुके शिक्षा व्यवस्था के कारण बिहार के लाखों छात्र मेडिकल, इंजीनियरिंग,व प्रतियोगी परीक्षा के तैयारी करने करने के लिए या एक बेहतर शिक्षा ग्रहण करने हेतु बड़े पैमाने पर बिहार से बाहर रहकर पढ़ाई करने को बाध्य हैं। आज भी लोग अपने बच्चों को अच्छी स्कूलिंग के लिए या तो बिहार से बाहर भेज देते हैं या तो बिहार के प्राइवेट स्कूलों के ऊपर निर्भर है।
मजदूरों को वापस बिहार आने के लिए अफरा-तफरी का माहौल
वर्मा ने कहा कि नीति आयोग के रिपोर्ट से बिहार शर्मसार हुआ है और स्वास्थ्य,शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में सरकार के किए जा रहे दावों का पोल खोलता है। वैश्विक महामारी के समय बिहार से रोजगार के लिए पलायन कर गए मजदूरों को वापस बिहार आने के लिए अफरा-तफरी का माहौल रहा जिसके कारण बिहार पूरे देश दुनिया में शर्मसार हुआ है।खानापूर्ति के लिए झूठी शिक्षा व्यवस्था को बढ़ा चढ़ा कर पेश कर रही राज्य सरकार
नीति आयोग द्वारा दिए गए रिपोर्ट के बाद बिहार वासियों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आज बिहार में शिक्षा का जो स्थिति है वह किसी से छुपा हुआ नहीं है।एक तरफ सिर्फ खानापूर्ति के लिए झूठी शिक्षा व्यवस्था को बढ़ा चढ़ा कर पेश किया जाता है ताकि राज्य की जनता भ्रमित रहे शिक्षकों को पढ़ाई के कार्य के बदले सरकार अपने कार्यों में ज्यादा उलझा कर रखती है। हालांकि इसके बावजूद बिहार के छात्र कम संसाधनों में भी अपने मेहनत के दम पर बिहार का नाम पूरे देश दुनिया में रोशन कर रहें है। वहीं बदहाल हो चुके शिक्षा व्यवस्था के कारण बिहार के लाखों छात्र मेडिकल, इंजीनियरिंग,व प्रतियोगी परीक्षा के तैयारी करने करने के लिए या एक बेहतर शिक्षा ग्रहण करने हेतु बड़े पैमाने पर बिहार से बाहर रहकर पढ़ाई करने को बाध्य हैं। आज भी लोग अपने बच्चों को अच्छी स्कूलिंग के लिए या तो बिहार से बाहर भेज देते हैं या तो बिहार के प्राइवेट स्कूलों के ऊपर निर्भर है।