बेगूसराय. जिला प्रशासन के आदेश के बाद भी गलत तरीके
से शिक्षक नियोजन करने के आरोप में नावकोठी बीडीओ सह तत्कालीन गौराडीह
बीडीओ भागलपुर का तीन सैलरी इंक्रीमेंट रोक दी गई है। बिहार राज्यपाल के
आदेश पर ग्रामीण विकास विभाग के विशेष सचिव राहुल रंजन महिवाल ने उक्त आदेश
दिया है। दरअसल प्रखंड नियोजन इकाई गोराडीह में द्वितीय चरण शिक्षक नियोजन
2008 में हुई थी।
जिसमें व्यापक तौर पर धांधली की गई थी, बाद में मामला सामने आने पर तत्कालीन ग्रामीण विकास पदाधिकारी सह बीडीओ गोराडीह भागलपुर तथा वर्तमान में ग्रामीण विकास पदाधिकारी सह बीडीओ नावकोठी निरंजन कुमार के खिलाफ अनियमितता और प्रक्रियात्मक गलतियों, अनधिकृत अनुपस्थिति के लिए डीएम भागलपुर के द्वारा आरोप पत्र गठित किया गया था। जिसके आलोक में विभागीय कार्रवाई की गई। मालूम हो कि डीएम ने अपने जांच प्रतिवेदन में आरोपित पदाधिकारी द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण पर उसके खिलाफ रिपोर्ट किया था।
भागलपुर में पदस्थापन के दौरान की थी गड़बड़ी
मालूम हो कि 2008 में जब शिक्षक नियोजन किया गया था तब जिला प्रशासन ने इसके लिए आदेश ही नहीं दिया था। साथ ही संबंधित बीडीओ के खिलाफ जांच चल रही थी। बीडीओ को कहा गया था कि जांच प्रतिवेदन आने तक नियोजन नहीं करे। बावजूद बीडीओ के द्वारा यह कार्य कर लिया गया।
इसके बाद वे छुट्टी पर भी चले गए। संयोगवश जिला में जब यह मामला आया तो शिक्षकों के योगदान पर डीईओ ने रोक लगा दी। हालांकि बाद में गोराडीह के ग्रामीणों ने शिक्षक नियोजन में अनियमितता पर तत्कालीन डीएम भागलपुर से शिकायत भी की है। इस शिकायत पर डीएम के आदेश के पर तत्कालीन डीडीसी ने बीडीओ से स्पष्टीकरण भी पूछा था।
जिसमें व्यापक तौर पर धांधली की गई थी, बाद में मामला सामने आने पर तत्कालीन ग्रामीण विकास पदाधिकारी सह बीडीओ गोराडीह भागलपुर तथा वर्तमान में ग्रामीण विकास पदाधिकारी सह बीडीओ नावकोठी निरंजन कुमार के खिलाफ अनियमितता और प्रक्रियात्मक गलतियों, अनधिकृत अनुपस्थिति के लिए डीएम भागलपुर के द्वारा आरोप पत्र गठित किया गया था। जिसके आलोक में विभागीय कार्रवाई की गई। मालूम हो कि डीएम ने अपने जांच प्रतिवेदन में आरोपित पदाधिकारी द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण पर उसके खिलाफ रिपोर्ट किया था।
भागलपुर में पदस्थापन के दौरान की थी गड़बड़ी
मालूम हो कि 2008 में जब शिक्षक नियोजन किया गया था तब जिला प्रशासन ने इसके लिए आदेश ही नहीं दिया था। साथ ही संबंधित बीडीओ के खिलाफ जांच चल रही थी। बीडीओ को कहा गया था कि जांच प्रतिवेदन आने तक नियोजन नहीं करे। बावजूद बीडीओ के द्वारा यह कार्य कर लिया गया।
इसके बाद वे छुट्टी पर भी चले गए। संयोगवश जिला में जब यह मामला आया तो शिक्षकों के योगदान पर डीईओ ने रोक लगा दी। हालांकि बाद में गोराडीह के ग्रामीणों ने शिक्षक नियोजन में अनियमितता पर तत्कालीन डीएम भागलपुर से शिकायत भी की है। इस शिकायत पर डीएम के आदेश के पर तत्कालीन डीडीसी ने बीडीओ से स्पष्टीकरण भी पूछा था।