सुपौल. शिक्षा विभाग द्वारा प्रारंभिक शिक्षक नियोजन
के लिए अधिसूचना जारी किए जाने के एक वर्ष बाद भी नियोजन की प्रक्रिया पूरी
नहीं की जा सकी है। बीटीईटी-सीटीईटी अभ्यर्थियों द्वारा बहाली की मांग को
लेकर पिछले वर्ष चलाए गए अनशन आंदोलन के बाद विभाग द्वारा जुलाई 2019 में
बहाली के लिए अधिसूचना जारी की
गई थी। इसके साथ ही नियोजन का प्रथम शिड्यूल जारी कर अगस्त-सितम्बर से आवेदन भी लिया गया। लेकिन इसी दौरान नियोजन प्रक्रिया में कक्षा एक से पांच शिक्षक पद के लिए बीएड के बजाए डीएलएड योग्यताधारी अभ्यर्थियों को प्राथमिकता देने व एनआईओएस से सेवाकालीन प्रशिक्षित डीएलएड अभ्यर्थियों को मौका देने की मांग को लेकर मामला हाईकोर्ट व एनसीटीई में फंस गया था।
3 बार जारी हुआ संशोधित नियोजन कार्यक्रम
अधिसूचना जारी होने के बाद विभाग द्वारा बहाली के लिए तीन बार संशोधित नियोजन कार्यक्रम जारी किया गया। अंतिम संशोधित कार्यक्रम के अनुसार नियोजन इकाइयों में आवेदन की आखिरी तिथि 23 नवम्बर था। जमा लिए गए आवेदन के आलोक में पांच दिसम्बर तक मेधासूची तैयार की गई। 11 दिसंबर तक नियोजन समिति द्वारा मेधा सूची का अनुमोदन के बाद 16 दिसम्बर तक सूची का प्रकाशन किया गया। आपत्ति आवेदन के निराकरण के बाद 29 फरवरी तक अंतिम मेधा सूची का प्रकाशन करना था। अंतिम चयन सूची के अभ्यर्थियों का प्रमाण पत्रों की जांच के बाद 31 मार्च को नियोजन इकाइयों द्वारा नियोजन पत्र जारी किया जाना था।
नियोजन में देरी से अभ्यर्थियों का टूट रह सब्र
शिक्षक नियोजन में हो रही देरी से शिक्षक बनने का सपना संजोए अभ्यर्थियों का सब्र टूटने लगा है। अभ्यर्थियों ने बताया कि वे लोग पिछले आठ वर्षों से सरकार के शिक्षक बहाली कुचक्र में फंसे हैं। पिछले वर्ष जुलाई में ही शुरू हुई नियोजन प्रक्रिया एक वर्ष बाद भी अपने अंतिम मुकाम तक नहीं पहुंच सकी है। जैसे-जैसे नियोजन की गाड़ी धीमी पड़ती गई, नियोजन प्रक्रिया में पेंच फंसता गया और सरकार ठोस निर्णय लेने से बचती रही। अभ्यर्थियों का कहना है कि वे लोग प्रथम बिहार टीईटी परीक्षा 2011 पास करने तथा रेगुलर मोड से प्रशिक्षित रहने के बाद भी शिक्षक बहाली के इंतजार में दिन काट रहे है। अभ्यर्थियों का कहना है कि फिर से नियोजन की कवायद शुरू होने के बाद शिक्षक बनने की आस जगी है।
दो वर्षों की मिली छूट का नहीं दिख रहा लाभ
टीईटी 2011 में पास अभ्यर्थियों का कहना है कि शिक्षक नियोजन प्रक्रिया में उन्हें शामिल कराने के लिए विभाग द्वारा प्रमाण पत्रों की वैधता में दो वर्षों की छुट दी गईं है। लेकिन एक वर्ष उहापोह में ही बीत गया। वहीं अब विभिन्न सत्रों में पास टीईटी व सीटीईटी को नियोजन में शामिल करने तथा बीटीईटी 2011 को कोई प्राथमिकता नहीं दिए जाने से दो वर्षों का मिले छूट का लाभ नहीं दिख रहा है। अभ्यर्थी जय प्रकाश कुमार, रविन्द्र कुमार, सोहन कुमार, मृत्युंजय कुमार, अजय कुमार आदि का कहना है कि विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव आर के महाजन द्वारा शिक्षक हड़ताल के दौरान लिखित आदेश जारी कर बीटीईटी पास वंचित शेष अभ्यर्थियों को नियोजन के लिए पहल की बात कही गई थी।
गई थी। इसके साथ ही नियोजन का प्रथम शिड्यूल जारी कर अगस्त-सितम्बर से आवेदन भी लिया गया। लेकिन इसी दौरान नियोजन प्रक्रिया में कक्षा एक से पांच शिक्षक पद के लिए बीएड के बजाए डीएलएड योग्यताधारी अभ्यर्थियों को प्राथमिकता देने व एनआईओएस से सेवाकालीन प्रशिक्षित डीएलएड अभ्यर्थियों को मौका देने की मांग को लेकर मामला हाईकोर्ट व एनसीटीई में फंस गया था।
3 बार जारी हुआ संशोधित नियोजन कार्यक्रम
अधिसूचना जारी होने के बाद विभाग द्वारा बहाली के लिए तीन बार संशोधित नियोजन कार्यक्रम जारी किया गया। अंतिम संशोधित कार्यक्रम के अनुसार नियोजन इकाइयों में आवेदन की आखिरी तिथि 23 नवम्बर था। जमा लिए गए आवेदन के आलोक में पांच दिसम्बर तक मेधासूची तैयार की गई। 11 दिसंबर तक नियोजन समिति द्वारा मेधा सूची का अनुमोदन के बाद 16 दिसम्बर तक सूची का प्रकाशन किया गया। आपत्ति आवेदन के निराकरण के बाद 29 फरवरी तक अंतिम मेधा सूची का प्रकाशन करना था। अंतिम चयन सूची के अभ्यर्थियों का प्रमाण पत्रों की जांच के बाद 31 मार्च को नियोजन इकाइयों द्वारा नियोजन पत्र जारी किया जाना था।
नियोजन में देरी से अभ्यर्थियों का टूट रह सब्र
शिक्षक नियोजन में हो रही देरी से शिक्षक बनने का सपना संजोए अभ्यर्थियों का सब्र टूटने लगा है। अभ्यर्थियों ने बताया कि वे लोग पिछले आठ वर्षों से सरकार के शिक्षक बहाली कुचक्र में फंसे हैं। पिछले वर्ष जुलाई में ही शुरू हुई नियोजन प्रक्रिया एक वर्ष बाद भी अपने अंतिम मुकाम तक नहीं पहुंच सकी है। जैसे-जैसे नियोजन की गाड़ी धीमी पड़ती गई, नियोजन प्रक्रिया में पेंच फंसता गया और सरकार ठोस निर्णय लेने से बचती रही। अभ्यर्थियों का कहना है कि वे लोग प्रथम बिहार टीईटी परीक्षा 2011 पास करने तथा रेगुलर मोड से प्रशिक्षित रहने के बाद भी शिक्षक बहाली के इंतजार में दिन काट रहे है। अभ्यर्थियों का कहना है कि फिर से नियोजन की कवायद शुरू होने के बाद शिक्षक बनने की आस जगी है।
दो वर्षों की मिली छूट का नहीं दिख रहा लाभ
टीईटी 2011 में पास अभ्यर्थियों का कहना है कि शिक्षक नियोजन प्रक्रिया में उन्हें शामिल कराने के लिए विभाग द्वारा प्रमाण पत्रों की वैधता में दो वर्षों की छुट दी गईं है। लेकिन एक वर्ष उहापोह में ही बीत गया। वहीं अब विभिन्न सत्रों में पास टीईटी व सीटीईटी को नियोजन में शामिल करने तथा बीटीईटी 2011 को कोई प्राथमिकता नहीं दिए जाने से दो वर्षों का मिले छूट का लाभ नहीं दिख रहा है। अभ्यर्थी जय प्रकाश कुमार, रविन्द्र कुमार, सोहन कुमार, मृत्युंजय कुमार, अजय कुमार आदि का कहना है कि विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव आर के महाजन द्वारा शिक्षक हड़ताल के दौरान लिखित आदेश जारी कर बीटीईटी पास वंचित शेष अभ्यर्थियों को नियोजन के लिए पहल की बात कही गई थी।