औरंगाबाद। केंद्रीय विद्यालय बभंडीह को अबतक सरकार से जमीन नहीं मिली है।
विद्यालय खुले करीब नौ वर्ष बीत गया पर जमीन नहीं मिली है। जब विद्यालय
खुला था तो बभंडीह मध्य विद्यालय के भवनों में संचालित होता था। बाद में इस
विद्यालय को शिक्षा विभाग के मॉडल स्कूल के भवन में स्थानांतरित किया गया
जो आजतक इसी भवन में चल रहा है।
विद्यालय के खुलने के बाद पांच डीएम बदल गए पर केंद्रीय विद्यालय को जमीन नहीं मिल सकी। विद्यालय के लिए करीब आठ एकड़ जमीन का प्रस्ताव बना पर मिला नहीं। जिला प्रशासन ने चार एकड़ जमीन का प्रस्ताव राज्य सरकार के राजस्व विभाग को भेजा पर निर्णय नहीं हो सका। केंद्रीय विद्यालय को जमीन देने का मामला अबतक राज्य सरकार के पास लंबित है। केंद्रीय विद्यालय को जमीन नहीं मिलने के कारण 11 एवं 12वीं की पढ़ाई शुरू नहीं हो सकी है। जमीन के बिना विद्यालय का भवन का निर्माण नहीं हो सका है। विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं को कई सुविधा नहीं मिल पा रही है। बताया जाता है कि विद्यालय को जमीन देने का मामला राजनीतिक भेंट चढ़ गया। राज्य सरकार का रवैया उदासीन है। जिले के जनप्रतिनिधियों का रवैया जमीन के मामले में उदासीन है। बताया गया कि सासाराम केंद्रीय विद्यालय को करीब सात एकड़ जमीन मिल गया और विद्यालय का भवन भी बन गया। यह वहां के सांसद रहे मीरा कुमार के प्रयास से संभव हुआ। यहां के भी जनप्रतिनिधि इस विद्यालय और विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों की समस्या की ओर ध्यान देते तो शायद जमीन का मामला अबतक लंबित नहीं रहता। डीएम सह विद्यालय के चेयरमैन राहुल रंजन महिवाल ने बताया कि केंद्रीय विद्यालय को जमीन देने का प्रस्ताव राज्य सरकार के पास पहले ही भेजा गया है पर वहां से आजतक कोई आदेश नहीं आया है। विद्यालय के प्राचार्य अनूप शुक्ला ने बताया कि विद्यालय को जमीन मिल जाती तो भवन का निर्माण शुरू हो जाता। 11 एवं 12वीं की पढ़ाई शुरू होती तो उसका लाभ यहां के बच्चों को मिलता।
विद्यालय के खुलने के बाद पांच डीएम बदल गए पर केंद्रीय विद्यालय को जमीन नहीं मिल सकी। विद्यालय के लिए करीब आठ एकड़ जमीन का प्रस्ताव बना पर मिला नहीं। जिला प्रशासन ने चार एकड़ जमीन का प्रस्ताव राज्य सरकार के राजस्व विभाग को भेजा पर निर्णय नहीं हो सका। केंद्रीय विद्यालय को जमीन देने का मामला अबतक राज्य सरकार के पास लंबित है। केंद्रीय विद्यालय को जमीन नहीं मिलने के कारण 11 एवं 12वीं की पढ़ाई शुरू नहीं हो सकी है। जमीन के बिना विद्यालय का भवन का निर्माण नहीं हो सका है। विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं को कई सुविधा नहीं मिल पा रही है। बताया जाता है कि विद्यालय को जमीन देने का मामला राजनीतिक भेंट चढ़ गया। राज्य सरकार का रवैया उदासीन है। जिले के जनप्रतिनिधियों का रवैया जमीन के मामले में उदासीन है। बताया गया कि सासाराम केंद्रीय विद्यालय को करीब सात एकड़ जमीन मिल गया और विद्यालय का भवन भी बन गया। यह वहां के सांसद रहे मीरा कुमार के प्रयास से संभव हुआ। यहां के भी जनप्रतिनिधि इस विद्यालय और विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों की समस्या की ओर ध्यान देते तो शायद जमीन का मामला अबतक लंबित नहीं रहता। डीएम सह विद्यालय के चेयरमैन राहुल रंजन महिवाल ने बताया कि केंद्रीय विद्यालय को जमीन देने का प्रस्ताव राज्य सरकार के पास पहले ही भेजा गया है पर वहां से आजतक कोई आदेश नहीं आया है। विद्यालय के प्राचार्य अनूप शुक्ला ने बताया कि विद्यालय को जमीन मिल जाती तो भवन का निर्माण शुरू हो जाता। 11 एवं 12वीं की पढ़ाई शुरू होती तो उसका लाभ यहां के बच्चों को मिलता।