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बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ कार्यकारिणी की बैठक , आमरण अनशन करने के विषय पर विचार विमर्श

बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ जिला इकाई सीवान कार्यकारिणी की बैठक पचरुखी इकाई के कार्यालय वैशाखी बाजार पर जिलाध्यक्ष ठाकुर प्रसाद यादव की अध्यक्षता में हुई। बैठक में मुख्य रूप से होली के पूर्व वेतन भुगतान नहीं होने पर पचरुखी अंचल इकाई के सचिव जय प्रकाश सिंह द्वारा आमरण अनशन करने के विषय पर विचार विमर्श किया गया। चार माह से जीओबी मद का वेतन बकाया है।
जबकि राज्य सरकार ने पिछले माह ही वेतन मद में राशि जारी कर दिया है। बैठक में उपस्थित शिक्षक नेताओं ने इस पर अपना अपना विचार व्यक्त किया। संघ ने जीओबी मद का वेतन भुगतान नहीं होने का मुख्य कारण शिक्षा पदाधिकारियों की लापरवाही बताया। संघ के सीवान अनुमंडल के उपसचिव राकेश कुमार सिंह ने बताया कि सरकार शिक्षकों से शिक्षण कार्य के अलावा और भी कार्य लेती हैं। वेतन भुगतान के लिए कोई पदाधिकारी जिम्मेवारी लेने को तैयार नहीं है। यदि ससमय उपयोगिता शिक्षा विभाग द्वारा पटना भेज दिया गया रहता तो आज ट्रेजरी लॉक की समस्या उत्पन्न नहीं होती। वहीं संघ के राज्य कार्यकारिणी के सदस्य राजकिशोर राय ने बताया कि शिक्षक आज आमरण अनशन की बात करता है तो ऐसा प्रतीत होता है कि पदाधिकारियों मे वेतन भुगतान के प्रति संवेदना नहीं है। पदाधिकारियों के जिसके चलते शिक्षक चुनाव के आचार संहिता जैसे समय पर आमरण अनशन करने को बाध्य हैं। वहीं जिला के प्रधान सचिव जय प्रकाश चौधरी ने बताया कि संघ का प्रतिनिधिमंडल शनिवार को जिलाधिकारी से मिल कर कोषागार का लाॅक खुलवाने का निवेदन करेंगे। ताकि होली जैसे महत्वपूर्ण त्योहार पर शिक्षकों को वेतन नसीब हो सके। ताकि शिक्षकों के घर भी रंगीन होली हो सके। नहीं तो मजबूरन शिक्षक रंगहीन होली मना सके।

बैठक में शामिल शिक्षक संघ के नेता।

एसएसए का भी दो माह का बकाया

इस बैठक में दीनानाथ पाण्डेय, गणेश शर्मा, मुन्ना कुमार, जय प्रकाश सिंह, विकास दत्ता, सपना कुमारी, संगीता कुमारी, संध्या मिश्रा, असगर अली,मनोज कुमार, रंजन राय,अमरलाल चौधरी, सहित बडी संख्या मे शिक्षक एवं शिक्षक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इधर भले ही सर्व शिक्षा अभियान के तहत शिक्षकों का वेतन दो का मिल गया। लेकिन अभी भी दो माह का वेतन बकाया है। शिक्षकों का कहना है कि विभाग कभी भी नियमित रूप से वेतन भुगतान नहीं करता है। इससे शिक्षकों काे हर माह आर्थिक संकट से जूझना पड़ता है। शिक्षकों को कर्ज लेकर काम चलना पड़ता है। दो भी दो माह का वेतन मिलता है, शिक्षक पुराना कर्ज चुकाने में भी परेशान हो जाते है। 

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