शिक्षकों को गावं गावं जाकर शौचालय का सर्वे करना है. वैसे तो पहले से ही शिक्षकों के जिम्मे बहुत गैर-शैक्षणिक कार्य हैं और अब उन्हें ये नै जिम्मेवारी भी सौंप दी गई. वैशाली जिले के चेहराकलां के प्रखंड विकास पदाधिकारी ने बकायदा पत्र लिखकर हाईस्कूल के शिक्षकों को पंचायत में घर-घर जाकर शौचालय का सर्वे करने और रिपोर्ट बनाने का फरमान जारी किया है. सर्वे के दौरान शिक्षकों को यह पता लगाना होगा कि किस घर में शौचालय है और कहां नहीं है.
इतना ही नहीं, सर्वे को लेकर शिक्षकों को कार्यशाला लगाकर प्रशिक्षित भी किया गया है, जिसके बाद शिक्षक घर-घर जाकर शौचालय का सर्वे कर रहे हैं. चयनित स्थल पर कुदाल चलाकर उसकी तस्वीर कैमरे में कैद कर रहे हैं. हालांकि बीडीओ के इस पत्र से शिक्षकों में खलबली मच गई है और माध्यमिक शिक्षक संघ ने इसे तुगलकी फरमान ठहराते हुए हुए आदेश वापस लेने की मांग की है. संघ के महासचिव शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि बीडीओ को हाईस्कूल के शिक्षकों को आदेश देने का अधिकार नहीं है. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार यह आदेश तीन दिनों में वापस नहीं लेती है, तो शिक्षक आंदोलन करेंगे और सड़क पर उतरेंगे. सिंह ने साफ कहा कि इससे सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में कमी आएगी.
इस आदेश से नाराज शिक्षकों का कहना है कि अभी मैट्रिक और इंटर परीक्षा 2019 का स्कूलों में रजिस्ट्रेशन चल रहा है और इस बीच एक नया आदेश आ गया है. शिक्षक शैक्षणिक कार्य करें या शौचालय की गिनती करें. इससे पहले भी शिक्षा विभाग ने शिक्षकों को खुले में शौच करने वालों यानी लोटे की निगरानी के लिए शिक्षकों को प्रतिनियुक्त किया था, जिस पर बिहार में बवाल मचा था और सरकार को आदेश वापस लेना पड़ा था.