इस व्यवस्था के तहत विद्यालय प्रधान के माध्यम से सभी शिक्षकों को अपना पूरा डाटा शिक्षा विभाग को देना होगा। जिसकी जांच के बाद इसी माह भारत सरकार को उपलब्ध कराना है। ऐसे फर्जी गुरुजी की पहचान के लिए केंद्र सरकार ने नई व्यवस्था लागू की है। जिसके तहत सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों की कुंडली शिक्षा विभाग सहित सरकार की वेबसाइट पर कैद होगी। इसके लिए भारत सरकार सरकारी विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों का डाटावेश तैयार कर उसे वेबसाइट पर अपलोड करेगी। इसकी घोषणा भी उनके संबंधित विद्यालय के विद्यालय प्रधान को कराना होगा।
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सात हजार शिक्षकों का तैयार हो रहा डाटावेश :
सर्वशिक्षा अभियान के डीपीओ मो. अहसन ने बताया कि जिले के दो हजार प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत करीब सात हजार शिक्षकों का डाटावेश तैयार कर अपलोड किया जा रहा है। जिसका ब्यौरा सरकार को भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। हालांकि, अभी उच्च विद्यालयों के शिक्षकों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है।
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29 से पूर्व विभाग को उपलब्ध कराना है ब्यौरा :
शिक्षकों को अपने संबंधित बीएओ के माध्यम से 29 जुलाई तक अपने बही खाता के साथ अपना पूरा ब्यौरा जिला शिक्षा विभाग के कार्यालय में उपलब्ध कराना है। जिससे उसका डाटावेश तैयार किया जा सके। इसके लिए सरकार की ओर से जिले के तमाम जिला शिक्षा पदाधिकारियों व वरीय अधिकारियों को पत्र भी जारी कर दिया गया है। भारत सरकार सरकारी विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों का डाटावेश तैयार कर उसे वेबसाइट पर अपलोड करते हुए उसे कंप्यूटराइज करेगी। जिससे पता चल सके कि कौन से जिले में कितने शिक्षक हैं और उनकी योग्यता क्या है।
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सर्वशिक्षा अभियान को सौंपी गई है जिम्मेदारी :
शिक्षकों का डाटावेश तैयार करने की जिम्मेदारी सर्वशिक्षा अभियान को दी गई है। सरकार के निर्देश पर सभी शिक्षकों का पूरा डाटा कंप्यूटर में अपलोड कर केंद्र सरकार को उपलब्ध कराना है। इसके लिए संबंधित पदाधिकारियों को दिशा निर्देश जारी कर दिए गए हैं। इस आदेश का अनुपालन नहीं करने वाले शिक्षकों पर विभागीय कार्रवाई तय है।
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फर्जी शिक्षकों पर गिरेगी गाज :
शिक्षकों को अपना नाम-पता के साथ शैक्षणिक योग्यता, नियोजन पत्र, योग्यता, बहाली की तिथि, कैटेगरी आदि की पूरी जानकारी देनी होगी। बायोडाटा देने वाले शिक्षकों का उनके विद्यालय के प्रधान पूरी तरह से जांच लेंगे कि उनके द्वारा दिया गया डाटावेश सही है या नहीं। उन्हें यह भी क्लीयर करना होगा कि उनके द्वारा जारी की गई शिक्षकों की सूची व दिए गए सारे दस्तावेज सही है। जो गलत पाए जाने पर इसकी सारी जवाबदेही प्रधानाध्यापक पर ही होगी। इससे फर्जी दस्तावेज व सर्टिफिकेट पर बहाल शिक्षकों पर गाज गिरेगी।
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कोट
सरकारी विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों का डाटावेश तैयार कर उसे विभाग व सरकार की वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा। इससे फर्जी सर्टिफिकेट पर बहाल शिक्षकों की भी पहचान की जा सकेगी। इसके लिए संबंधित पदाधिकारियों सहित जिले में कार्यरत शिक्षकों को निर्देश जारी कर दिया गया है।
अनिल कुमार शर्मा, डीएओ