स्थानीय लोगों के अनुसार धनपुरा सहित आसपास के गांवों के छात्र छात्राओं को दसवीं कक्षा तक की शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से साल 2013 में मध्य विद्यालय को हाई स्कूल में अपग्रेड किया गया लेकिन बीते पांच वर्षों के दौरान यहां दसवीं तक अध्यापन के लिए महज एक शिक्षक का ही पदस्थापन किया गया है । विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक त्रिलोकी उपाध्याय बताते हैं कि विद्यालय में पहली से आठवीं तक चार सौ छात्र छात्राओं का नामांकन है जिसके लिए केवल तीन शिक्षक उपलब्ध है जबकि नौवीं व दसवीं के लिए केवल एक ही शिक्षक का पदस्थापन किया गया है । ऐसी स्थिति में पहली से दसवीं तक कक्षाओं का सुचारू संचालन दुष्कर कार्य प्रतीत होता है । पर्याप्त शिक्षकों के अभाव में एक कमरे में तीन तीन कक्षाओं के छात्र छात्राओं को बैठा कर अध्यापन कार्य कराना मजबूरी बन गई है । वैसे साल 2015 से मैट्रिक परीक्षा में विद्यालय के छात्र छात्राएं शामिल हो रहे हैं जिनकी सफलता का प्रतिशत औसत से अधिक है । बावजूद इसके यहां शिक्षकों सहित अन्य आवश्यक सुविधाओं के अभाव में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा का दावा खोखला साबित हो रहा है । प्रभारी प्रधानाध्यापक के अनुसार यहां शिक्षकों सहित अन्य साधनों की कमी के संबंध में बार बार विभाग से पत्राचार किया जा रहा है लेकिन विभाग द्वारा कोई नोटिस नहीं लिया जा रहा है ।
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महज चार शिक्षकों के सहारे चल रही एक से 10वीं तक की कक्षाएं
स्थानीय लोगों के अनुसार धनपुरा सहित आसपास के गांवों के छात्र छात्राओं को दसवीं कक्षा तक की शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से साल 2013 में मध्य विद्यालय को हाई स्कूल में अपग्रेड किया गया लेकिन बीते पांच वर्षों के दौरान यहां दसवीं तक अध्यापन के लिए महज एक शिक्षक का ही पदस्थापन किया गया है । विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक त्रिलोकी उपाध्याय बताते हैं कि विद्यालय में पहली से आठवीं तक चार सौ छात्र छात्राओं का नामांकन है जिसके लिए केवल तीन शिक्षक उपलब्ध है जबकि नौवीं व दसवीं के लिए केवल एक ही शिक्षक का पदस्थापन किया गया है । ऐसी स्थिति में पहली से दसवीं तक कक्षाओं का सुचारू संचालन दुष्कर कार्य प्रतीत होता है । पर्याप्त शिक्षकों के अभाव में एक कमरे में तीन तीन कक्षाओं के छात्र छात्राओं को बैठा कर अध्यापन कार्य कराना मजबूरी बन गई है । वैसे साल 2015 से मैट्रिक परीक्षा में विद्यालय के छात्र छात्राएं शामिल हो रहे हैं जिनकी सफलता का प्रतिशत औसत से अधिक है । बावजूद इसके यहां शिक्षकों सहित अन्य आवश्यक सुविधाओं के अभाव में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा का दावा खोखला साबित हो रहा है । प्रभारी प्रधानाध्यापक के अनुसार यहां शिक्षकों सहित अन्य साधनों की कमी के संबंध में बार बार विभाग से पत्राचार किया जा रहा है लेकिन विभाग द्वारा कोई नोटिस नहीं लिया जा रहा है ।
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