विगत माह के 27 से 31मार्च के शिक्षक आंदोलन का सभी ने अपनी तरह से मूल्यांकन किया तथा सभी संघ प्रमुखों के बारे में अलग अलग राय दी,कुछ ने संघ प्रमुखों को दलाल कहा,कुछ लोगों ने राजनीति चमकाने का आरोप लगाया।
हमें यह बात नहीं भूलना चाहिए कि 2015 में भी यही संघ प्रमुख थे जब हमें चायनीज़ वेतनमान मिला,तब विधान सभा चुनाव का माहौल था ,परिस्थितियां हमारे अनुकूल थी और सरकार का रूख भी सकारात्मक था।
सभी शिक्षक संघो में एकता स्थापित करने का मतलब है भारत और पाकिस्तान द्वारा कश्मीर मुद्दे का समाधान प्राप्त कर लेना।एकता तो संभव नहीं है परंतु कुछ साझे प्रस्ताव पर सहमति स्थापित की जा सकती है।एकता स्थापित तभी संभव है जब सभी शिक्षकों को सरकार एक ही संवर्ग में कर दे ,मतलब प्राथमिक और माध्यमिक
अब बात लाठी चार्ज की,यहाँ भी हमलोग आरोप प्रत्यारोप में न फँसे।अगर पाठक जी और राजू सिंह ने लाठी चार्ज करवाया तो पूरण गुट क्यों मार खाया,राजू जी खुद पत्थर क्यों खाये।पत्थरबाजी पर लाठी चार्ज नहीं हुआ और टमाटर फेकने से लाठी चार्ज हो जायेगा ऐसा सोचना हमारी संकीर्ण मानसिकता का परिचायक है।सरकार द्वारा पुलिस बलों को यह आदेश दिया गया था कि प्रदर्शनकारियों से सख्ती से निबटें।
अब लाठी चार्ज का दूसरा पक्ष ,अमित विक्रम के अनुसार टमाटर लाठी चार्ज करने के लिए फेंका गया।
##मैंने भी चार लाठियां खाई है,लेकिन मुझे इसका कोई अफ़सोस नहीं ##अगर जानबूझकर लाठी चार्ज करवाया गया था तब भी इसका उद्देश्य पावन था न कि अनैतिक ।
अगर इसी लाठी चार्ज से एक बड़ा आंदोलन शुरू हो जाता तथा सरकार"" समान कार्य समान वेतन""लागू कर देती तो सारे फेसबुकिये नेताओं की बोलती बंद हो जाती। इस आंदोलन का सकारात्मक पहलु ये है कि हमारी आवाज देश के उच्च सदनों तक पहुंचा। विधानसभा में विधायकों ने हमारे संघ की मांगों को पुरजोर तरीके से उठाया।
समान काम समान वेतन पाने के तरीके
1. 4 लाख नियोजित शिक्षक पटना जाने वाले सभी रास्तो को बंद कर दें।
2..बिजली ,पानी की आपूर्ति बाधित कर दे।
3 सभी नियोजित और संविदाकर्मी एक साथ हड़ताल घोषित कर दे ,अन्य नियमित कर्मी समर्थन में कार्य बहिष्कार कर दे।
हम खुद घर से निकलते नहीं और दोष शिक्षक नेताओ को देते हैं, हम अपना थोड़ा सा भी नुकसान नहीं सह पाते।जिस किसी को भी पूर्ण वेतनमान की लड़ाई लड़नी है वे आगे आएं और उपरोक्त का पालन करें।
पूरण जी ,पप्पू जी ,मार्कण्डेय पाठक जी ,बंशीधर बृजवासी जी ,शिवेन्द्र पाठक जी, अपनी क्षमता जानते है फिर भी लड़ाई का शंखनाद किया इस बात का हमें आभार प्रकट करना चाहिए।जब हमारी शत प्रतिशत भागीदारी ही नहीं होगी तो पूर्ण वेतनमान सपना ही रहेगा 2019 के बाद भी। आत्मचिंतन करें मित्रों कि आपने कितना सहयोग दिया।
आपका साथी
मृत्युंजय कुमार
TSUNSS जमुई।
हमें यह बात नहीं भूलना चाहिए कि 2015 में भी यही संघ प्रमुख थे जब हमें चायनीज़ वेतनमान मिला,तब विधान सभा चुनाव का माहौल था ,परिस्थितियां हमारे अनुकूल थी और सरकार का रूख भी सकारात्मक था।
सभी शिक्षक संघो में एकता स्थापित करने का मतलब है भारत और पाकिस्तान द्वारा कश्मीर मुद्दे का समाधान प्राप्त कर लेना।एकता तो संभव नहीं है परंतु कुछ साझे प्रस्ताव पर सहमति स्थापित की जा सकती है।एकता स्थापित तभी संभव है जब सभी शिक्षकों को सरकार एक ही संवर्ग में कर दे ,मतलब प्राथमिक और माध्यमिक
अब बात लाठी चार्ज की,यहाँ भी हमलोग आरोप प्रत्यारोप में न फँसे।अगर पाठक जी और राजू सिंह ने लाठी चार्ज करवाया तो पूरण गुट क्यों मार खाया,राजू जी खुद पत्थर क्यों खाये।पत्थरबाजी पर लाठी चार्ज नहीं हुआ और टमाटर फेकने से लाठी चार्ज हो जायेगा ऐसा सोचना हमारी संकीर्ण मानसिकता का परिचायक है।सरकार द्वारा पुलिस बलों को यह आदेश दिया गया था कि प्रदर्शनकारियों से सख्ती से निबटें।
अब लाठी चार्ज का दूसरा पक्ष ,अमित विक्रम के अनुसार टमाटर लाठी चार्ज करने के लिए फेंका गया।
##मैंने भी चार लाठियां खाई है,लेकिन मुझे इसका कोई अफ़सोस नहीं ##अगर जानबूझकर लाठी चार्ज करवाया गया था तब भी इसका उद्देश्य पावन था न कि अनैतिक ।
अगर इसी लाठी चार्ज से एक बड़ा आंदोलन शुरू हो जाता तथा सरकार"" समान कार्य समान वेतन""लागू कर देती तो सारे फेसबुकिये नेताओं की बोलती बंद हो जाती। इस आंदोलन का सकारात्मक पहलु ये है कि हमारी आवाज देश के उच्च सदनों तक पहुंचा। विधानसभा में विधायकों ने हमारे संघ की मांगों को पुरजोर तरीके से उठाया।
समान काम समान वेतन पाने के तरीके
1. 4 लाख नियोजित शिक्षक पटना जाने वाले सभी रास्तो को बंद कर दें।
2..बिजली ,पानी की आपूर्ति बाधित कर दे।
3 सभी नियोजित और संविदाकर्मी एक साथ हड़ताल घोषित कर दे ,अन्य नियमित कर्मी समर्थन में कार्य बहिष्कार कर दे।
हम खुद घर से निकलते नहीं और दोष शिक्षक नेताओ को देते हैं, हम अपना थोड़ा सा भी नुकसान नहीं सह पाते।जिस किसी को भी पूर्ण वेतनमान की लड़ाई लड़नी है वे आगे आएं और उपरोक्त का पालन करें।
पूरण जी ,पप्पू जी ,मार्कण्डेय पाठक जी ,बंशीधर बृजवासी जी ,शिवेन्द्र पाठक जी, अपनी क्षमता जानते है फिर भी लड़ाई का शंखनाद किया इस बात का हमें आभार प्रकट करना चाहिए।जब हमारी शत प्रतिशत भागीदारी ही नहीं होगी तो पूर्ण वेतनमान सपना ही रहेगा 2019 के बाद भी। आत्मचिंतन करें मित्रों कि आपने कितना सहयोग दिया।
आपका साथी
मृत्युंजय कुमार
TSUNSS जमुई।