डिसूजा जी का पोस्ट पढा और पढ़कर बड़ा ही ताज्जुब हुआ कि एक शिक्षक नेता होकर भी अभी वो ज्ञान और दूरदर्शिता से बहुत दूर हैं।
"उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा है कि Tss में ही Tsunss का विलय कर दिया जाए"
अब मेरे बुद्धिजीवी शिक्षक साथी ही उन्हें बताएं कि क्या एक पेड़ से निकले हुए किसी शाखा विशेष में कोई पूरा एक पेड़ ही समा सकता है भला ? पेड़ और उसकी शाखा में जो सार्थक अंतर है वही अंतर Tsunss रूपी पेड़ और Tss रूपी शाखा में है। Tsunss वो पेड़ है जिससे Tss नाम की एक शाखा निकली है और ये उतना ही सच है जितना रोज सुबह सूरज का पूरब से उदय होना।
और हां पेड़ से अलग हुई किसी शाखा की कोई अपनी पहचान नही होती और ना ही उनकी समाज मे कोई इज्जत या कीमत ही रह जाती है।शाखा की कीमत और पहचान तो तभी तक है जब तक वो अपने जन्मदाता पेड़ से जुड़ी हुई हो।
इसलिए उनके मान्यवर दलभक्तों उन्हें बयान तो कम से कम सही देने को बोलिये । माना कि वो हर मोर्चे पर असफल हैं पर बोलने का कौशल तो एक शिक्षक नेता के पास होना ही चाहिए।
"उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा है कि Tss में ही Tsunss का विलय कर दिया जाए"
अब मेरे बुद्धिजीवी शिक्षक साथी ही उन्हें बताएं कि क्या एक पेड़ से निकले हुए किसी शाखा विशेष में कोई पूरा एक पेड़ ही समा सकता है भला ? पेड़ और उसकी शाखा में जो सार्थक अंतर है वही अंतर Tsunss रूपी पेड़ और Tss रूपी शाखा में है। Tsunss वो पेड़ है जिससे Tss नाम की एक शाखा निकली है और ये उतना ही सच है जितना रोज सुबह सूरज का पूरब से उदय होना।
और हां पेड़ से अलग हुई किसी शाखा की कोई अपनी पहचान नही होती और ना ही उनकी समाज मे कोई इज्जत या कीमत ही रह जाती है।शाखा की कीमत और पहचान तो तभी तक है जब तक वो अपने जन्मदाता पेड़ से जुड़ी हुई हो।
इसलिए उनके मान्यवर दलभक्तों उन्हें बयान तो कम से कम सही देने को बोलिये । माना कि वो हर मोर्चे पर असफल हैं पर बोलने का कौशल तो एक शिक्षक नेता के पास होना ही चाहिए।