ये वही कुंदन सिंह हैं जिनकी चर्चा अमित विक्रम जी ने अपने पोस्ट में की है... कुंदन सिंह की कलम से अमित विक्रम
""अमित विक्रम जी अगर तुम्हारी बात सही भी है तो तुमसे मैं पूछता हूँ......
1. तुमने टमाटर लाया हीं क्यों था।
2. अब पछतावा क्यों होने लगा तुम्हारे अपने कुकृत्यों पर।
3. किस लालच में ये कार्य कर रहे हो।
4. जब पाठक जी की मंशा तुम्हे शुरू से मालूम थी तो आवाज क्यों नहीं उठाई।
5. दोषारोपण करने के पहले प्रमाण साथ में रखो ।
संघ को अपने लालच के कारण कमजोर करने की कोशिश मत करो वार्ना धोबी के कुत्ता वाला हाल होगा । ना घर के ना घाट के ।""
कुन्दन सिंह
भोजपुर इकाई
""अमित विक्रम जी अगर तुम्हारी बात सही भी है तो तुमसे मैं पूछता हूँ......
1. तुमने टमाटर लाया हीं क्यों था।
2. अब पछतावा क्यों होने लगा तुम्हारे अपने कुकृत्यों पर।
3. किस लालच में ये कार्य कर रहे हो।
4. जब पाठक जी की मंशा तुम्हे शुरू से मालूम थी तो आवाज क्यों नहीं उठाई।
5. दोषारोपण करने के पहले प्रमाण साथ में रखो ।
संघ को अपने लालच के कारण कमजोर करने की कोशिश मत करो वार्ना धोबी के कुत्ता वाला हाल होगा । ना घर के ना घाट के ।""
कुन्दन सिंह
भोजपुर इकाई