भागलपुर। जिन विषयों में छात्रों का पंजीयन होगा, उसी विषयों में उन्हें
परीक्षा की अनुमति मिलेगी। बुधवार को कुलपति तिलकामांझी भागलपुर
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. नलिनी कांत झा की अध्यक्षता में हुई बैठक में
संबद्ध कॉलेजों के प्राचार्यो को निर्देश दिया गया।
उन्होंने कहा कि जिन विषयों में राज्य सरकार से संबंद्धन प्राप्त है, उन्हीं विषयों में छात्रों का नामांकन लिया जाए। बिना मान्यता वाले विषयों में नामांकन लेने की स्थिति में विवि परीक्षा फॉर्म भरने की अनुमति नहीं देगा। छात्रों को होने वाली परेशानी के लिए खुद कॉलेज प्रबंधन जिम्मेदार होंगे। साथ ही जिन छात्रों का जिस विषयों में पंजीयन हुआ है, उसी विषयों में परीक्षा फॉर्म भरवाया जाए। ऐसा नहीं हुआ तो छात्रों को परीक्षा फॉर्म भरने की अनुमति नहीं मिलेगी। अगर चोरी-छिपे फॉर्म भरवा भी लिया गया तो परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं मिलेगी।
वीसी ने प्राचार्यो को निर्देश दिया कि जिन विषयों में जितनी सीटें हैं, उतने ही छात्रों का नामांकन लिया जाए और उसका पंजीयन कराया जाए। प्राचार्यो से कहा गया कि संबद्ध कॉलेजों में भी पठन-पाठन का माहौल बनाया जाए। चूंकि संबद्ध कॉलेजों के शिक्षकों की सेवा का नियमितीकरण हो गया है, इसलिए शिक्षकों की कॉलेज में पांच घंटे उपस्थिति अनिवार्य की जाए। शिक्षकों को छात्रों को पढ़ाने के लिए कहा जाए। बैठक के बाद प्राचार्यो को स्नातक पार्ट की परीक्षा का एडमिट कार्ड उपलब्ध कराया गया और निर्देश दिया गया कि परीक्षा के दौरान ऐसी व्यवस्था हो कि छात्रों को परीक्षा के बाद कोई परेशानी नहीं उठानी पड़े।
उन्होंने कहा कि जिन विषयों में राज्य सरकार से संबंद्धन प्राप्त है, उन्हीं विषयों में छात्रों का नामांकन लिया जाए। बिना मान्यता वाले विषयों में नामांकन लेने की स्थिति में विवि परीक्षा फॉर्म भरने की अनुमति नहीं देगा। छात्रों को होने वाली परेशानी के लिए खुद कॉलेज प्रबंधन जिम्मेदार होंगे। साथ ही जिन छात्रों का जिस विषयों में पंजीयन हुआ है, उसी विषयों में परीक्षा फॉर्म भरवाया जाए। ऐसा नहीं हुआ तो छात्रों को परीक्षा फॉर्म भरने की अनुमति नहीं मिलेगी। अगर चोरी-छिपे फॉर्म भरवा भी लिया गया तो परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं मिलेगी।
वीसी ने प्राचार्यो को निर्देश दिया कि जिन विषयों में जितनी सीटें हैं, उतने ही छात्रों का नामांकन लिया जाए और उसका पंजीयन कराया जाए। प्राचार्यो से कहा गया कि संबद्ध कॉलेजों में भी पठन-पाठन का माहौल बनाया जाए। चूंकि संबद्ध कॉलेजों के शिक्षकों की सेवा का नियमितीकरण हो गया है, इसलिए शिक्षकों की कॉलेज में पांच घंटे उपस्थिति अनिवार्य की जाए। शिक्षकों को छात्रों को पढ़ाने के लिए कहा जाए। बैठक के बाद प्राचार्यो को स्नातक पार्ट की परीक्षा का एडमिट कार्ड उपलब्ध कराया गया और निर्देश दिया गया कि परीक्षा के दौरान ऐसी व्यवस्था हो कि छात्रों को परीक्षा के बाद कोई परेशानी नहीं उठानी पड़े।