मधुबनी। मिथिला विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष डा.चन्द्रमोहन झा ने
प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से कहा है कि बिहार में नीतीश सरकार उच्च शिक्षा
की बर्बादी पर तुली हुई है।
एक ओर सरकार गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा की बात करती है दूसरी ओर सभी विश्वबिद्यालयों और कालेजों में शिक्षकों और उपस्करों का घोर अभाव है। विश्वविद्यालयों में 75 प्रतिशत शिक्षक अवकाश ग्रहण कर चुके हैँ। नई शिक्षा नीति के तहत सरकार उच्च शिक्षा को कारपोरेटों के हाथ सौंपना चाहती है। प्रो.झा ने कहा कि डा.अशोक चौधरी के बिहार के शिक्षा मंत्री बनने पर थोड़ी उम्मीद बनी थी लेकिन उनसे भी शिक्षाकर्मी निराश हैं। अक्टूबर माह से ही विश्वविद्यालय कर्मियों का पेंशन एवं वेतन बकाया है। शिक्षकों की आर्थिक स्थिति खराब है। मार्च 2016 से फरवरी 2017 तक का बजट पारित है फिर भी पेंशन और वेतन भुगतान नहीं किया जाना अनर्थ है। सरकार विश्वविद्यालय कर्मियों के वेतन और पेंशन का अविलंब भुगतान करें।
एक ओर सरकार गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा की बात करती है दूसरी ओर सभी विश्वबिद्यालयों और कालेजों में शिक्षकों और उपस्करों का घोर अभाव है। विश्वविद्यालयों में 75 प्रतिशत शिक्षक अवकाश ग्रहण कर चुके हैँ। नई शिक्षा नीति के तहत सरकार उच्च शिक्षा को कारपोरेटों के हाथ सौंपना चाहती है। प्रो.झा ने कहा कि डा.अशोक चौधरी के बिहार के शिक्षा मंत्री बनने पर थोड़ी उम्मीद बनी थी लेकिन उनसे भी शिक्षाकर्मी निराश हैं। अक्टूबर माह से ही विश्वविद्यालय कर्मियों का पेंशन एवं वेतन बकाया है। शिक्षकों की आर्थिक स्थिति खराब है। मार्च 2016 से फरवरी 2017 तक का बजट पारित है फिर भी पेंशन और वेतन भुगतान नहीं किया जाना अनर्थ है। सरकार विश्वविद्यालय कर्मियों के वेतन और पेंशन का अविलंब भुगतान करें।