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खुली व्यवस्था की पोल, 82 प्रधानों को भेजा गया नोटिस

सुपौल। सूबे में चौपट हो चुकी शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार कई कदम उठा रही है। ताकि स्कूली बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्रदान की जा सके। परन्तु सरकार के उद्देश्य को सरजमीन पर उतारने में शिक्षा विभाग पूरी तरह असफल साबित हो रहा है।
फलस्वरूप अपने बच्चों के भविष्य को लेकर ¨चतित अभिभावक या खुद बच्चों द्वारा भी प्रदेश के कई हिस्सों से निजी विद्यालय की तर्ज पर सरकारी विद्यालयों में समान शिक्षा व्यवस्था लागू करने की मांग की जाने लगी है। शिक्षा विभाग के रवैये को देखते हुए सूबे के मुखिया ने अब जीविका को विद्यालय के संचालन की निगरानी करने की नई जिम्मेवारी दी है। बीते एक माह के अंदर जीविका दीदियों द्वारा सरकारी विद्यालयों में किये गये अनुश्रवण ने शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है। जीविका ग्राम संगठन के समाजिक कार्यसमिति सदस्यों द्वारा किये गये निरीक्षण के दौरान अधिकांश विद्यालयों में व्यापक पैमाने पर गड़बड़ी उजागर हुई है। बीआरसी कार्यालय द्वारा प्रखंड क्षेत्र में ऐसे तकरीबन 82 विद्यालयों के प्रधानाध्यापक को नोटिस भेजकर स्पष्टीकरण पत्र प्राप्त होते ही जवाब देने को कहा गया है। ससमय व संतोषजनक जवाब नहीं मिलने की स्थिति में वैसे प्रधानाध्यापक के विरूद्ध विभागीय कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। जीविका दीदियों द्वारा किये जा रहे विद्यालय के औचक निरीक्षण से प्रधानों के बीच खलबली मच गई है। दरअसल विद्यालय में लगातार गिरती जा रही शिक्षा व्यवस्था के स्तर से ¨चतित सरकार ने गंभीरता दिखाते हुए लगातार अनुश्रवण व निरीक्षण कार्य को जरूरी बताया। ताकि शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाया जा सके और सरकारी मध्य व प्राथमिक विद्यालयों में शैक्षणिक माहौल बनाया जा सके। इसी गरज से इस कार्य की जिम्मेवारी जीविका ग्राम संगठन को दी गई। जीविका कार्यालय के प्रखंड परियोजना प्रबंधक(वीपीआइयू) द्वारा बीआरसी को भेजे गए जांच प्रतिवेदन में छात्रों की उपस्थिति को लेकर सबसे बड़ा खुलासा हुआ है। प्रतिवेदन के अनुसार ग्राम संगठन के समाजिक कार्यसमिति के सदस्यों ने जब विभिन्न विद्यालयों का अनुश्रवण किया तो कई प्रकार के मामले पाये गये। अधिकांश विद्यालयों में शैक्षणिक माहौल का घोर अभाव पाया गया। मध्याह्न भोजन योजना के संचालन में कहीं अनियमितता तो कहीं बंद पाया गया। कई विद्यालयों के प्रधान तो कहीं सहायक शिक्षक गायब मिले। निरीक्षण के दौरान सबसे बड़ा खुलासा बच्चों की उपस्थिति को लेकर हुआ है। असैनिक कार्यों के क्रियान्वयन पर भी सवाल उठाए गए हैं। बीआरसी कार्यालय द्वारा संबंधित विद्यालयों के प्रधानाध्यापक को कारण पृच्छा नोटिस जारी करते हुए कृत कार्रवाई की प्रतिलिपि जिला शिक्षा पदाधिकारी व सर्व शिक्षा अभियान के डीपीओ के अलावे मुख्यमंत्री कार्यालय पटना को भेजा गया है। प्रखंड क्षेत्र स्थित सरकारी विद्यालयों में पठन-पाठन व विद्यालय संचालन मे व्यापक पैमाने पर अनियमितता बरती जाती है। ऐसा नहीं कि पोषक क्षेत्र के अभिभावक या जनप्रतिनिधि विभागीय स्तर पर शिकायत नहीं करते हैं। स्थानीय से लेकर जिला स्तर के अधिकारियों तक लिखित शिकायत की जाती है। परंतु शिकायत के आलोक में जांच को लेकर शिथिलता बरती जाती है। कुछ विद्यालयों में जांच के नाम पर खानापूर्ति होने के बाद मैनेज पद्धति के बल पर मामले को दबा दिया जाता है। परिणामस्वरूप नियम को ताक पर रखकर विद्यालय का संचालन करने वाले प्रधान व सहायक शिक्षक अपने मनमानेपन से बाज नहीं आते। अभिभावकों की मानें तो केंद्र या राज्य सरकार शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए भले ही निरंतर प्रयास कर रही है। विभिन्न योजनाओं का संचालन कर करोड़ों रूपये पानी की तरह बहाया जा रहा है। परंतु मैनेज पद्धति के दवाब में विभागीय स्तर पर निगरानी व निरीक्षण का अभाव रहने के कारण विद्यालय प्रधान व सहायक शिक्षक अपने कर्तव्यों से विमुख होकर सरकार को ठेंगा दिखा रहे है।

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