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मूल्यांकन हस्तक से अनजान हैं शिक्षक

सीतामढ़ी। नगर के व्यस्ततम इलाके में स्थित मध्य विद्यालय मेहसौल। यहां के शिक्षक व शिक्षिका न तो शिक्षक साथी का उपयोग करते हैं और न ही मूल्यांकन हस्तक (क्वेश्चन बैंक)के बारे में जानते हैं।
बगैर पुस्तक के भगवान भरोसे स्कूल का पठन-पाठन जारी है। एक ओर अतिक्रमण का कहर तो दूसरी ओर गंदे तालाबनुमा जलाशय से निकल रही सड़ांध है। खंडहर में तब्दील स्कूल के पुराने भवन की छत सुरसा की तरह मुंह बाये खड़ी है। दैनिक जागरण के ऑपरेशन ब्लैकबोर्ड अभियान के तहत टीम ने स्कूल की गतिविधियों को कैमरे में कैद करते हुए शिक्षक व बच्चों से बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत पर आधारित रपट।
शिक्षक साथी का नहीं उपयोग
स्कूलों में बच्चों को सहज शिक्षण को लेकर विभाग द्वारा उपलब्ध शिक्षक साथी का उपयोग नहीं किया जा रहा है। जागरण टीम ने वर्ग 8ए में पढ़ा रही एक शिक्षिका से पूछा कि शिक्षक साथी का उपयोग होता है क्या? मैडम का जवाब था-हां हम सब शिक्षक साथी मिलकर सहयोग करते है। शिक्षक साथी का मतलब पूछने पर मैडम कुछ नहीं बोल सकीं। तभी पास में खड़ी एक शिक्षिका व शिक्षक ने संभलते हुए कहा कि पिछले वर्ष शिक्षक साथी मिला था। शिक्षक साथी हेल्प बुक है जिसके माध्यम से बच्चों को पढ़ाने में सहायता मिलती है। टीम ने उपस्थित शिक्षकों से पूछा कि क्या मूल्यांकन हस्तक के बारे में जानती हैं। क्या है मूल्यांकन हस्तक। क्या इस संबंध में कोई प्रशिक्षण दिया गया है। सभी शिक्षकों का एक ही जवाब था- जी ऐसा कुछ नहीं है। न तो मूल्यांकन हस्तक के बारे में जानते है और न ही इस तरह का कोई प्रशिक्षण ही दिया गया है।
शिक्षा मंत्री हैं नीतीश कुमार
वर्ग कक्षा आठ। मैडम जी कक्षा में पढ़ा रही थी। किसी बच्चे के पास पुस्तक नहीं था। जागरण टीम ने बच्चों से पूछा बताएं आप में से कौन कौन बाल संसद व मीना मंच के सदस्य है। एक छात्र खड़े होकर बोला जी मैं हूं शिक्षा मंत्री। उक्त बच्चा स्कूल ड्रेस में नहीं था। ऐसे अधिकांश बच्चे थे जिनके शरीर पर स्कूल ड्रेस नहीं दिखा। बाल संसद के शिक्षा मंत्री से पूछा जब आप ड्रेस में नहीं आएंगे तो बच्चे भी ड्रेस में नहीं आएंगे। टीम के बातों से प्रभावित होकर बच्चों ने एक स्वर में कहा जी अब हम सभी ड्रेस में ही स्कूल आएंगे। पूछा आप बाल संसद के शिक्षा मंत्री है क्या आप बिहार के शिक्षा मंत्री का नाम बता सकते है। जवाब था नीतीश कुमार। पास में खड़े शिक्षक लज्जित हो गए। बच्चों से धीमी आवाज में कहने लगे कई बार बताया है फिर भी नहीं बोल सका।
..और घर जाने को निकलीं मैडम स्कूल में लौटी
स्कूल में टिफिन का समय था। जागरण टीम जैसे ही मुख्य द्वार से स्कूल में प्रवेश कर रही थी कि दो शिक्षिका एक शिक्षक को इशारे में यह कहते हुए निकल रही थी, अब चलते हैं। ऐन वक्त पर उक्त शिक्षक की नजर जागरण टीम पर पड़ी। शिक्षक ने हाथ से संकेत देते हुए स्कूल में वापस लौटने का ईशारा किया। जागरण टीम को यह समझते देर न लगी। उन्होंने कह दिया घर जा रही है तो जाइये मैं रुकावट नहीं हूं। इस पर दोनों शिक्षिका ने कहा कि जी मैं लहठी खरीदने के लिए जा रही हूं।
अतिक्रमण व प्रदूषण का दंश झेल रहा स्कूल
स्कूल के आगे से अतिक्रमण और पीछे से तलाबनुमा जलाशय से सरांध निकल रही प्रदूषण स्कूल के वातावरण को प्रभावित कर रहा था। स्कूल में बड़े हादसा का संकेत दे रहा पुराना जर्जन भवन का छत सुरसा की तरह मुहं बाये खड़ा था। ऐसे में स्कूल के शिक्षक, शिक्षिकाएं व बच्चे दहशतजदां है। शिक्षक इस बात से ¨चतित थे कि कब स्कूल का छत व दीवार गिर जाएगा और बड़ा हादसा हो जाएगा । कहा कि जान जोखिम में डालकर स्कूल का संचालन किया जाता है। स्कूल के सामने के छह कमरा को अतिक्रमण किया गया है। प्रधानध्यापक बताते है कि शिक्षा विभाग के अधिकारी से लेकर सीओ तक से अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए आग्रह किया गया, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है।
विज्ञान किट का उपयोग नहीं
बच्चों के लिए स्कूल में उपलब्ध कराया गया विज्ञान किट खराब हो चुका है। लिहाजा इसका उपयोग नहीं होता है। स्कूल में नामांकित 672 बच्चों में से 333 की उपस्थिति बनी थी। इस स्कूल में सीआरसी का संचालन होता है। सीआरसी का एक हॉल रसोईघर का कार्य कर रहा है तो एक भवन में भंडारण होता है। सीआरसी का कार्यालय हेडमास्टर साहब का चेम्बर बना हुआ है। प्रधानाध्यापक बताते है कि रोटेशन पर वर्ग का संचालन किया जाता है। शौचालय का टंकी खराब है। जिससे निकल रही गंध स्कूल के वातावरण को प्रदूषित कर रही है
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