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शिक्षकों के लिए जरूरत 45 हजार किताबों की, छपीं महज 18 हजार

मुजफ्फरपुर, वरीय संवाददाता बिहार में सरकारी स्कूलों के बच्चे ही नहीं, मास्टर साहब भी किताबों से वंचित हैं। टीचर ट्रेनिंग कर रहे शिक्षकों के लिए किताबों का टोटा है। जरूरत 45 हजार किताबों की मगर छपीं महज 18 हजार।
27 हजार किताबों के लिए मुजफ्फरपुर समेत सूबे के विभिन्न जिलों के शिक्षक हर दिन पटना का चक्कर काट रहे हैं। सूबे के विभिन्न डायट और कॉलेज में ट्रेनिंग कर रहे लगभग तीन हजार शिक्षकों को किताबें नहीं मिली हैं।

मुजफ्फरपुर में चार टीचर ट्रेनिंग स्कूल-कॉलेज में ट्रेनिंग कर रहे 200 से अधिक शिक्षक समेत सूबे के लगभग तीन हजार शिक्षकों को सिलेबस की किताबें नहीं मिली हैं। ट्रेनिंग कर रहे शिक्षकों ने बताया कि शुरू में कुछ शिक्षकों को किताबें मिल गईं। अब खरीदने जाने पर कहा जाता है कि किताबें हैं ही नहीं। चार महीने हो गए, हमलोग पढ़ाई कैसे करें।

बिहार स्टेट टेक्स्ट बुक को छापनी थी किताबें
टीचर ट्रेनिंग सिलेबस में नौ सेटों की किताबें छापने का जिम्मा बिहार स्टेट टेक्स्ट बुक को दिया गया था। एससीईआरटी के निदेशक संजीवन सिन्हा ने बताया कि शिक्षकों की संख्या के आधार पर किताबें छापनी थी। बिहार स्टेट टेस्ट बुक के एमडी बीएन पटेल ने बताया कि हमने दो-दो हजार प्रति सेट के अनुसार नौ सेटों की 18 हजार किताबें छापी थी। कागज की कमी के कारण ऐसा हुआ। पांच हजार का आंकड़ा दिया गया था। तीन हजार प्रति सेट के अनुसार 27 हजार किताबें अब छपवायी जा रही हैं। दो हफ्ते के बाद शिक्षकों को किताबें मिलने लगेंगी।

बच्चों को भी नहीं मिली हैं किताबें
मुजफ्फरपुर में अभी भी लगभग एक लाख बच्चों को किताबें नहीं मिली हैं। प्राइमरी और मिडिल स्कूल के बच्चों को किताबें विभाग की ओर से नि:शुल्क दी जाती हैं। ये किताबें बाजार में उपलब्ध नहीं हैं। श्री पटेल ने बताया कि 80 फीसदी बच्चों की किताबें उपलब्ध करा दी गई है। बाकी किताबें भी जल्द ही उपलब्ध करा दी जाएंगी।

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