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Result Scam : कैसे चलता था बोर्ड में टॉपर्स टॉप का धंधा?..जानिए पूरी खबर

पटना [जेएनएन]। आइए जानें कैसे- कैसे उपक्रम कर टॉपर्स के घोटाले की प्रक्रिया चली। इंटर टॉपर घोटाले की बुनियाद परीक्षा शुरू होने के पूर्व पड़ चुकी थी। टॉपर के नाम पहले ही तय हो चुके थे। विशुन रॉय कॉलेज के प्रिंसिपल बच्चा राय और बिहार बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद ने हाथ मिला लिया था।

छूटी हुई कॉपियों की जांच के बहाने फर्जी टॉपरों की कॉपी जांच के लिए बालक उच्च विद्यालय, राजेंद्र नगर को मिनी सेंटर चुना गया। सेंटर पर मूल्यांकन कार्य देखने के बहाने लालकेश्वर खुद पहुंचे। र्जी टॉपरों की कॉपी साथ ले गए।
आगे का काम उनके द्वारा बनाए आधा दर्जन से अधिक कर्मियों की टीम ने किया। पुलिस को मिले कुछ अहम साक्ष्य से अनुमान लगाया जा रहा है कि टीम में शामिल सदस्य बोर्ड का रिजल्ट तैयार होने पर नजर जमाए बैठे थे। अधिक नंबर पाने वाले छात्रों की लिस्ट तैयार की गई।
फर्जी टॉपरों के कॉपी पर दिए गए नंबर को फाइनल रिजल्ट में छेड़छाड़ कर कई बार नंबर बढ़ाया -घटाया गया था। पुलिस को मिली फाइनल मार्कशीट में टॉपर के विषय के सामने सफेद इंक का प्रयोग मिला है।
चार बार तय हुई रिजल्ट तिथि
पुलिस सूत्रों की मानें तो इंटर साइंस परीक्षा परिणाम देर से आने के पीछे घोटाला बड़ी वजह हो सकती है। पहले इंटर साइंस का परीक्षा परिणाम 3 मई को आने वाला था लेकिन, परिणाम घोषित नहीं हुआ और अगली तारीख 5 मई को तय हुई। 5 मई को परिणाम घोषित नहीं हुआ और तारीख तय हुई 8 मई की, अंतत: 10 मई को इंटर साइंस का परीक्षा परिणाम घोषित हुआ। इसी बीच फाइनल परीक्षा परिणाम के रिजल्ट में छेड़छाड़ होने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
छात्रों के नंबर अपलोड करने वाले हिरासत में
मेरिट घोटाले में शुक्रवार को एसआइटी ने बिहार बोर्ड के चार कर्मियों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। इनमें कंप्यूटर में छात्रों के नंबर अपलोड करने वाले दो कर्मी व कॉपियों को मूल्यांकन केंद्र तक पहुंचाने वाले दो कर्मचारी हैं। जांच में पता चला है कि कॉपियों के सीरियल नंबर को काली स्याही से मिटाकर दूसरा अंक चढ़ाया गया है। जब्त कॉपियों से एफएसएल सही नंबर पता करने में जुटी है।
वैशाली डीईओ की भूमिका संदिग्ध
बच्चा राय की विभाग में इतनी गहरी पैठ थी कि उसे परीक्षा केंद्र और मूल्यांकन केंद्र की जानकारी पहले ही मिल जाती थी। केंद्र पर कौन-कौन शिक्षक होंगे, यह भी पता चल जाता था। इसकी पूरी जवाबदेही जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) सह परीक्षा नियंत्रक सत्यनारायण प्रसाद की थी।
इसलिए मेरिट घोटाले में उनकी भूमिका से इन्कार नहीं किया जा सकता। टीम ने शुक्रवार को उन्हें हिरासत में लेकर घंटों पूछताछ की, जिसमें कई अहम जानकारियां हासिल हुईं।
जब्त होगी बच्चा राय की काली कमाई
मेरिट घोटाले के मुख्य आरोपी अमित कुमार उर्फ बच्चा राय की काली कमाई जब्त होगी। आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है। एसआइटी की अबतक हुई जांच में यह सच खुलकर सामने आया है कि बच्चा राय पैसे के बल पर बिहार विद्यालय परीक्षा समिति से जो चाहे करा लेता था।
इसके बदले वह बच्चों के अभिभावकों से लाखों रुपये की वसूली करता था और इसी पैसे के बल पर वह परीक्षा समिति के नीति निर्धारकों को अपने इशारों पर नचाता था।

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