Advertisement

7th पे कमीशन की सिफारिशें मंजूर : Q&A में समझें कब से मिलेगी बढ़ी सैलरी? कैसे और कितना फायदा मिलेगा फायदा ?

नई दिल्ली. मोदी सरकार की कैबिनेट ने बुधवार को 7th पे कमीशन की सिफारिशों को मंजूरी दे दी। सैलरी 23.55% तक बढ़ाई जा सकती है। सरकार के मंत्री शाम तक इसका औपचारिक एलान करेंगे। इस इजाफे का फायदा सेंट्रल गवर्नमेंट के 50 लाख इम्प्लॉइज और 58 लाख पेंशनर्स को मिलेगा।
7 Q&A में समझें कैसे और कितना फायदा...
#1 कब से लागू होगा?
1 जनवरी 2016 से।

#2 कितनी सैलरी बढ़ेगी?
23.5% तक बढ़ेगी। लेकिन क्लास-1, 2, 3 और 4 में कितने-कितने फीसदी बढ़ेगी, इसका ऐलान शाम तक होगा। पेंशनर्स की सैलरी 24% तक बढ़ेगी।

#3 तो अब मेरी सैलरी बढ़कर कितनी हो जाएगी?
ये शाम के क्लासवाइज ऐलान के बाद साफ हो सकेगा। 7th पे-कमीशन में अब न्यूनतम 18 हजार और अधिकतम 2.5 लाख रुपए सैलरी रहेगी। पहले ये अमाउंट 7 हजार और 90 हजार था।

#4 बढ़ी हुई सैलरी कब से मिलने लगेगी?
जुलाई की सैलरी से, जो अगस्त में आएगी।

#5 जनवरी से जून 2016 के 6 महीनों के एरियर का क्या?
वो भी मिलेगा। लेकिन एक बार में ही पूरा एरियर मिलेगा या किश्तों में, ये तय होना बाकी।

#6 कब तक के लिए है?
अगले 10 साल तक इसी पे कमीशन के आधार पर सरकार से सैलरी मिलेगी।

#7 तो क्या अगले 10 साल तक यही सैलरी मिलती रहेगी?
नहीं, 7th पे कमीशन के मुताबिक जो आपकी सैलरी होगी, उस पर सालाना 3 फीसदी का इनक्रिमेंट मिलेगा। साथ ही महंगाई भत्ता में बढ़ोत्तरी होने पर भी सैलरी बढ़ेगी।

क्या थीं सिफारिशें...

- यह 70 साल में सबसे कम बढ़ोत्तरी की सिफारिश है। जबकि 6th पे कमीशन में 20% सैलरी बढ़ाने की सिफारिश की गर्इ थी।
- बेसिक पे, पेंशन और अलाउंस मिलाकर बात करें तो टोटल सैलरी में कुल 23.55% की बढ़ोत्तरी की सिफारिश हुई थी।
- माना जा रहा है कि कैबिनेट ने ही इसे मंजूर कर दिया है।

केंद्र पर कितना आएगा बोझ

- सैलरी बढ़ाने से केंद्र पर 1.02 लाख करोड़ रुपए का बोझ आएगा जो कुल जीडीपी का 0.7% है।
- 39100 करोड़ रुपए सैलरी, 29300 करोड़ रुपए अलाउंस और 33700 करोड़ रुपए पेंशन बढ़ाने पर खर्च होंगे।
- आम बजट पर 73650 करोड़ रुपए और रेलवे बजट पर 28450 करोड़ रुपए का बोझ आएगा।
- इम्प्लॉइज को अगस्त महीने से एरियर के साथ सैलरी दिए जाने की उम्मीद है। जनवरी से अब तक के एरियर्स भी मिलेंगे।

सेक्रेटरीज की कमेटी ने ज्यादा बढ़ोतरी की सिफारिश की थी

- पीके सिन्हा की अगुआई वाली सेक्रेटरीज की कमेटी ने पे कमीशन की सिफारिशों से भी 30% ज्यादा सैलरी तय करने की बात कही थी।
- यानी 18,000 की जगह करीब 27,000 और 2, 25,000 की जगह 3, 25,000 रुपए सैलरी करने का प्रपोजल दिया था।

क्या थीं कमीशन की अहम सिफारिशें?

- केंद्र के इम्प्लॉइज की बेसिक पे 16% और अलाउंस 67% तक बढ़ाने की बात कही गई है। टोटल सैलरी 23.55% बढ़ाई जाए। पेंशन में एवरेज 24% की बढ़ोत्तरी हो।
- मिनिमम बेसिक पे 7 हजार से बढ़कर 18 हजार रुपए किया जाए। सैलरी में सालाना 3% इन्क्रीमेंट हो।
- केंद्र के सभी इम्प्लॉइज के लिए भी वन रैंक-वन पेंशन हो। इसके दायरे में 10 साल पहले रिटायर हुए इम्प्लॉइज भी होंगे।
- ग्रैच्युटी की लिमिट 10 से बढ़ाकर 20 लाख रुपए। जब भी डीए 50% बढ़ेगा, ग्रैच्युटी लिमिट 25% बढ़ेगी।
- सैलरी तय करने के लिए पे बैंड और ग्रेड पे का सिस्टम खत्म।
- 56 तरह के अलाउंस खत्म किए जाएं, सभी को एक जैसी पेंशन।
- पैरा मिलिट्री फोर्स के लिए भी शहीद का दर्जा। मिलिट्री सर्विस पे दोगुना होगा। यह सिर्फ आर्मी पर लागू होगा। बाकी पर नहीं।

क्या है सेवन्थ पे कमीशन?

- कमीशन के चेयरमैन अशोक कुमार माथुर हैं। उन्होंने कुछ महीने पहले फाइनेंस मिनिस्टर जेटली को सिफारिशें सौंपी थीं।
- यह कमीशन यूपीए सरकार ने फरवरी 2014 में बनाया था। इसे 18 महीने में रिपोर्ट सौंपनी थी। लेकिन इसका टर्म अगस्त 2015 में चार महीने के लिए बढ़ा दिया गया था।

सरकारें क्यों बनाती है पे कमीशन?

बढ़ती महंगाई और इम्प्लॉइज बेनिफिट के तकरीबन हर 10 साल बाद केंद्र सरकार पे कमीशन बनाती है। यह केंद्र के इम्प्लॉई का पे स्केल, रिटायरमेंट के बेनिफिट और दूसरे बेनिफिट्स पर चर्चा करता है।

कब-कब बने कमीशन?

पहला पे कमीशन : जनवरी 1946 में बना था। इसकी रिपोर्ट मई 1947 में भारत की अंतरिम सरकार को सौंपी गई थी।
दूसरा पे कमीशन : अगस्त 1957 में बना। इसकी रिपोर्ट 1959 में सौंपी गई। इससे सरकार पर करीब 40 करोड़ रुपए का बोझ बढ़ा।
तीसरा पे कमीशन : अप्रैल 1970 में बना। मार्च 1973 में रिपोर्ट सौंपी। इससे सरकार पर 144 करोड़ रुपए का बोझ बढ़ा।
चौथा पे कमीशन : जून 1983 में बना। चार साल में तीन फेज में इसकी रिपोर्ट सब्मिट की गई। सरकार पर 1,282 करोड़ रुपए का बोझ बढ़ा।
पांचवां पे कमीशन : 9 अप्रैल 1994 को आयाेग बना। तीन साल बाद इसकी रिपोर्ट सौंपी। सरकार पर 17,000 करोड़ रुपए का बोझ बढ़ा।
छठा पे कमीशन : अक्टूबर 2006 में बना। मार्च 2008 में रिपोर्ट सौंपी। 1 जनवरी 2006 में सिफारिशें लागू की गईं। इससे सरकार पर 22,000 करोड़ रुपए का बोझ बढ़ा।

तब राज्य सरकारों के पास सेलरी देने के लिए पैसे नहीं थे

- पांचवें पे कमीशन की सिफारिशें लागू होने के बाद केंद्र ने राज्य सरकारों से भी अपने इम्प्लॉइज की सैलरी का रिव्यू करने को कहा।
- हालात ये बन गए थे कि 2000 में 13 राज्यों के पास अपने इम्प्लॉइज को सेलरी देने के लिए पैसे नहीं बचे।
- इस फाइनेंशियल क्राइसिस से उबरने के लिए पश्चिम बंगाल, बिहार, उड़ीसा, असम, मणिपुर, मेघालय और मिजोरम ने एक ऐसा सिस्टम बनाने की मांग की जिसके तहत केंद्र सरकार राज्य सरकारों से सलाह लिए बगैर सेलरी न बढ़ाए। वर्ल्ड बैंक ने भी इसे क्रिटिसाइज किया था।

तब सबसे कम 10 रुपए बढ़ी थी सैलरी

- पहले पे कमीशन में रेलवे के क्लास-4 इम्प्लॉई की सैलरी 10 रुपए से 30 रुपए तक बढ़ाई गई थी।
- क्लास-3 इम्प्लॉई की सैलरी में 35 से 60 रुपए का इजाफा हुआ था।
- कमीशन ने रेलवे इम्प्लॉई के लिए मिनिमम पे 55 रुपए फिक्स किया था।

Sponsored link :
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC

UPTET news

Blogger templates