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फर्जी हस्ताक्षर पर 13.81 लाख का वेतन भुगतान

रोहतास। शिक्षा विभाग के स्थानीय कार्यालय में नियम व निर्देश को ताक पर रख शिक्षकों को वेतन भुगतान करने की बात आम हो गई है। विभाग ने कुछ ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है। कोर्ट में मामला लंबित होने व मार्गदर्शन प्राप्त नहीं होने के बाद भी तथाकथित प्रबंध समिति के सचिव व प्रधानाध्यापक की फर्जी हस्ताक्षर
पर सदर प्रखंड के प्राथमिक सह संस्कृत मध्य विद्यालय सुखारी टोला के सेवामुक्त प्रधानाध्यापक को लगभग 13.81 लाख रुपए वेतन मद में भुगतान किया है। मामला प्रकाश में आते ही स्कूल प्रबंध समिति के वर्तमान सचिव शंभूनारायण ¨सह ने शनिवार को डीएम के समक्ष साक्ष्य के साथ लिखित शिकायत की है। जिसमें उन्होंने शिक्षा विभाग के डीपीओ स्थापना के अलावा विभागीय लिपिक सत्यनारायण ¨सह पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं।
आवेदन में सचिव ने कहा है कि संस्कृत शिक्षा बोर्ड द्वारा गठित प्रबंध समिति को दरकिनार कर फर्जी तरीके से समिति गठित कर सेवामुक्त प्रधानाध्यापक जंगबहादुर ¨सह को वेतन भुगतान से 1380906 रुपए इस वर्ष 30 मार्च को डीपीओ स्थापना द्वारा की गई है। जो नियम के प्रतिकूल व राशि गबन का मामला है। इसमें विभागीय अधिकारी व लिपिक की भूमिका से भी इंकार नहीं किया जा सकता। जबकि अधिकारी ने वेतन भुगतान को ले विभागीय निदेशक से मार्गदर्शन मांगा है, जो अभी तक प्राप्त नहीं हो सका है। साथ ही मामले से जुड़े एक मुकदमा हाई कोर्ट में लंबित है। सूत्रों की मानें तो गलत विपत्र व आनन फानन में वेतन भुगतान करने की नई बात नहीं है। इसके पूर्व भी काराकाट प्रखंड के संस्कृत विद्यालय जमुआ टोला में सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक की जाली हस्ताक्षर से शिक्षकों का वेतन विभाग ने किया है।

इस संबंध में डीएम अनिमेष कुमार पराशर ने कहा कि नियम व निर्देश को ताक पर रख वेतन भुगतान करना गंभीर मामला है। संस्कृत विद्यालय सुखारी टोला के मामला को गंभीरता से लिया गया है। पूरे मामले की जांच करा दोषी लोगों पर उचित कार्रवाई की जाएगी।
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