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विश्वविद्यालय कर रहा जांच में देरी : बिहार शिक्षक नियोजन Latest Updates

अब तक प्लस टू के 429 शिक्षकों की हुई है जांच
दरभंगा : प्रमंडल के जिलों में शिक्षक नियोजन की निगरानी की जांच सुस्त चाल में है. अभी तक मात्र 429 प्लस टू शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की ही जांच हो पायी है. इसमें से भी कितनों का प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया अथवा मेधा सूची का उल्लंघन कर नियोजित किया गया, यह आंकड़ा स्पष्ट नहीं है.
यह तो विभागीय खुलासा के बाद ही पता चलेगा, लेकिन जिस प्रकार फर्जी रुप से नियोजित शिक्षकों के त्याग पत्र देने का सिलसिला अन्य जिलों में शुरू हुआ है, वैसी स्थिति प्रमंडल के दरभंगा, मधुबनी एवं समस्तीपुर जिलों में देखने को नहीं मिल रहा है.
इससे जाहिर होता है कि इन जिलों में फर्जी रुप से शिक्षक नियुक्त नहीं हैं अथवा उनकी मानसिकता अभी त्याग पत्र देने की नहीं है. न्यायालय ने लचीला रुख अपनाते हुए नौ जुलाई तक इनपर कोई आपराधिक मुकदमा नहीं करने का निर्णय दिया है, ऐसे में ऐसे फर्जी शिक्षकों को अभी ही पैर समेट लेने में भलाई है. अन्यथा जब कानून का शिकंजा कसेगा तो उन्हें लेने के देने पड़ जायेंगे. बहरहाल अभी तो प्लस टू शिक्षकों की ही जांच हो पायी है. जब जांच का दायरा पंचायत शिक्षक ों तक आयेगा तो बड़े-बड़े कारनामे सामने आने की संभावना है.
इस बात का अंदाजा अभी इसी से लगाया जा सकता है कि पंचायत नियोजन इकाईयों द्वारा मेधा सूची एवं प्रमाण पत्रों के सत्यापित प्रति उपलब्ध कराने में देरी किया जा रहा है वही अधिकतर पंचायतों ने प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं कराया है.
नहीं मिल रही है मेधा सूची
पंचायत नियोजन संबंधी अभिलेख संधारण की जिम्मेवारी पंचायत सचिवों पर है. वर्ष 2006 से ही नियोजन की जांच चल रही है. विगत के नियोजन प्रक्रिया के आधे-अधूरे अभिलेख को  हस्तगत कराने से जांच प्रक्रिया प्रभावित होने की संभावना बनी हुई है. इस मामले में पंचायत सचिव यह तर्क देते हैं कि उन्हें प्रभार में इतने ही अभिलेख हस्तगत कराये गये हैं. ऐसे में संभावना है कि पूर्व के नियोजन में घालमेल को लेकर फंसने वाले अभिलेख को पूर्व के पंचायत सचिवों ने प्रभार में नहीं दिया है. ऐसे में मेधा सूची एवं नियोजन पंजी को लेकर भारी उधेड़बुन का माहौल है. ऐसी स्थिति में जांच प्रभावित होने की संभावना जतायी जा रही है.
दायरे में 10000 शिक्षक
2006 से अबतक करीब दस हजार विभिन्न स्तर के शिक्षक पद पर नियोजित है, जिनपर निगरानी जांच चल रही है. प्रारंभिक शिक्षकों की संख्या करीब आठ हजार है. इन शिक्षकों के नियोजन से संबंधित अभिलेख की जांच चल रही है.
जांच से डीइओ बेघर
डीइओ कार्यालय में चल रहा है. जिस कारण से इस कार्यालय का कामकाज भी प्रभावित हो रहा है. निगरानी दल जांच प्रक्रिया को डीइओ कक्ष में संपादित कर रहे हैं जिस कारण से जिला शिक्षा पदाधिकारी को भी अपना कार्यालय कार्य निष्पादित करने में कठिनाई हो रही है. बताया जा रहा है कि डीइओ श्रीकृष्ण सिंह अपना कार्य निबटाने में अन्य कार्यालयों की शरण ले रहे हैं.
मुखिया व पंचायत सचिव गंभीर नहीं
पंचायत नियोजन इकाईयों के  प्रमाण पत्रों एवं मेधा सूची की सत्यापित प्रति उपलब्ध कराने में आनाकानी से प्रखंड के शिक्षा अधिकारियों की परेशानी बढ़ी हुई है. इधर विभाग बीइओ पर दबाव बनाये हुए हैं कि सभी नियोजन इकाईयों के प्रमाण पत्रों को निगरानी दल को उपलब्ध कराये तो दूसरी ओर पंचायतों के मुखिया व पंचायत सचिव इनकी बातों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं.
कई बीइओ ने तो इस मुद्दे पर जिला प्रशासन से सख्त रुख अपनाने पर ही प्रमाण पत्र की सत्यापित प्रति उपलब्ध होने की बात कहते हैं.
कई स्तरों पर जांच की समीक्षा
शिक्षक नियोजन की निगरानी जांच के प्रगति की कई स्तरों पर समीक्षा हो रही है. सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता वाले इस कार्य में शिक्षा विभाग एक ओर जहां डीइओ व डीपीओ स्थापना से राज्यस्तरीय समीक्षा बैठक में प्रगति एवं गतिरोध की जानकारी ले रही है तथा गतिरोध दूर करने के उपाय सुलझा रहे हैं. 
वहीं डीइओ एवं डीपीओ भी बीइओ के साथ बैठक कर रहे हैं, जबकि जिले के जिला पदाधिकारी भी एसडीओ एवं बीडीओ से बैठक करते देखे जा रहे हैं. जबकि बीइओ पंचायतों के  मुखिया एवं पंचायत सचिव से बैठक कर निगरानी जांच में सहयोग करने का निर्देश दे रहे हैं. वहीं विभिन्न जिलों के निगरानी दलों का भी समय समय पर समीक्षा होने की बात बतायी जा रही है.
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