मुजफ्फरपुर : बिहार राज्य अतिथि सहायक प्राध्यापक संघ मुजफ्फरपुर इकाई के अध्यक्ष डॉ.ललित किशोर व पूíणया विश्वविद्यालय के अध्यक्ष चंदन सिंह ने संयुक्त रूप से राजनीतिक पार्टियों के नाम खुला पत्र जारी किया
है। डॉ.ललित ने बताया कि यूजीसी के मापदंड के अनुसार नियुक्त अतिथि सहायक प्राध्यापक की समस्या का समाधान किए बगैर बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग ने आननफानन में आधा-अधूरा विज्ञापन प्रकाशित करा दिया। इसमें रोस्टर व आरक्षण की कमी को भी नहीं दर्शाया गया है। दूसरी ओर यूजीसी के सभी मानकों को पूरा करने के बाद विभिन्न विश्वविद्यालयों में नियुक्त अतिथि सहायक प्राध्यापकों की सेवा नियमित नहीं की गई है। तीन सितंबर को अतिथि सहायक प्राध्यापक अपनी मागों को लेकर पटना में मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री को माग पत्र देने के लिए जा रहे थे, तभी लाठी से सभी को पीटा गया। इसमें दर्जनों अतिथि सहायक प्राध्यापक घायल हो गए और कई को पीट-पीटकर गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। राजनीतिक पाíटयों द्वारा 10 से 19 लाख तक रोजगार देने की बात हो रही है। वहीं, करीब दो हजार बहाल अतिथि सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। फिर भी राजनीतिक पाíटयां इसपर चुप्पी साधे हैं। ऐसे में संघ ने विभिन्न विश्वविद्यालयों में नियुक्त अतिथि सहायक प्राध्यापकों की सेवा समायोजित करते हुए शेष रिक्तियों पर प्रकाशित विज्ञापन में संशोधन करते हुए बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग द्वारा पुन: विज्ञापन प्रकाशित कराने की माग की है।विवि में प्रमाणपत्र बनाने को उगाही का आरोप
अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के विवि संगठन मंत्री प्रो.लक्ष्मेश्वर ने कर्मियों पर अवैध पैसा वसूली और नहीं देने पर छात्र-छात्राओं को परेशान करने का आरोप लगाया है। कहा कि बीआरएबीयू में डिग्री सेक्शन में एक भी कर्मचारी ठीक से नहीं बैठते हैं। कई कर्मी घर से ही काम करते हैं और वहां जाकर जो पैसा देता उसी का काम होता है। डिग्री के लिए विवि में तीन-चार वर्षो से छात्र-छात्राएं चक्कर काट रही हैं। अधिकारियों से शिकायत पर भी कोई असर नहीं हो रहा है। उन्होंने प्रति कुलपति व कुलसचिव से फोन पर इसकी शिकायत की है। कहा है कि यदि शीघ्र रोक नहीं लगी तो चुनाव के बाद विवि में इसके खिलाफ आमरण अनशन और आंदोलन होगा।