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कोर्ट ने लिया संज्ञान तो विभाग को याद आई वरीयता

बक्सर। नियमों को ताक पर रखकर काम करने के लिए मशहूर जिले के शिक्षा विभाग को अब जब कोर्ट ने संज्ञान लिया है तो स्नातक कला एवं विज्ञान शिक्षकों की प्रोन्नति में वरीयता की याद आई है। अन्यथा विभाग ने कोर्ट के आदेश को दरकिनार करते हुए हेडमास्टर समेत शिक्षकों की प्रोन्नति के लिए न केवल पत्र जारी किया था बल्कि फोल्डर फाइल की भी मांग की थी।


मामला स्नातक कला व विज्ञान शिक्षकों की प्रोन्नति का है। हाईकोर्ट में चल रहे इस मामले में कोर्ट ने जब प्रधान सचिव को तलब किया तब सरकारी अधिवक्ता ने समय की मांग की और विभाग ने आनन-फानन में वरीयता सूची संधारित करने के लिए नया आदेश जारी किया। स्थापना डीपीओ द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि प्रखंडाधीन स्नातक कला एवं विज्ञान में वर्ष 2012 में प्रोन्नति प्राप्त शिक्षकों से आवश्यक कागजातों की मांग की है। ताकि, दोबारा वरीयता सूची का संधारण किया जा सके। बताते चलें कि वर्ष 2012 में तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा नियमों को ताक पर रखकर जिले में स्नातक कला एवं विज्ञान शिक्षकों को प्रोन्नति दी गई। इसके तहत जो इसकी अर्हता नहीं रखते थे वैसे शिक्षकों को भी प्रोन्नति का लाभ दे दिया गया। सबसे महत्वपूर्ण की इसके लिए वरीयता सूची का भी निर्माण नहीं किया गया। दैनिक जागरण ने मामले को उठाया तो तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा उसकी जांच कराई गई। जांच में गड़बड़ी उजागर हुई। हालांकि, उसके बाद भी तत्कालीन डीईओ ने शिक्षकों को प्रोन्नति दे दी। मामला विधानसभा तक पहुंचा और इस मामले में तत्कालीन डीईओ पर कार्रवाई भी हुई। उन्हें जिले से हटा दिया गया। दूसरी तरफ डीईओ द्वारा की गई गलत प्रोन्नति को लेकर कुछ शिक्षक कोर्ट चले गए। कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई और कोर्ट ने ग्रेड के आधार पर दोबारा वरीयता सूची बनाकर शिक्षकों को प्रोन्नति देने का आदेश दिया। लेकिन विभाग ने उसे दरकिनार कर दिया और प्रधानाध्यापक के पद के लिए पिछले नवंबर माह में आवेदन मांग दिया। इससे पूर्व शिक्षक कोर्ट में इस मामले में अवमानना का मामला भी दायर किए। लेकिन विभाग ने अवमानना के मामले को भी ताक पर रख दिया और प्रधानाध्यापक पद पर प्रोन्नति के लिए नया आदेश जारी कर दिया। अब जब कोर्ट ने विभाग के प्रधान सचिव को इस मामले में तलब किया तो विभाग आनन-फानन में वरीयता सूची संधारण करने की बात कर रहा है।

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