पटना : राज्य में हजारों की संख्या में चल रहे कोचिंग संस्थानों पर अब
राज्य सरकार नकेल कसने की तैयारी कर रही है. शिक्षा विभाग ने कोचिंग
संस्थानों को 31 जनवरी तक रजिस्ट्रेशन करवाने का अल्टीमेटम दिया गया है.
साथ ही सभी जिलों से यह आंकड़ा मंगाया जा रहा है कि वहां कितने कोचिंग
संस्थानों का रजिस्ट्रेशन है. उसका आंकड़ा शिक्षा विभाग ने मांगा है.
फिलहाल पटना कोचिंग के मामले में कोटा को टक्कर दे रहा है. एक अनुमान के
मुताबिक अकेले राजधानी में चार हजार से अधिक कोचिंग संस्थान करोड़ों का
बिजनेस कर रहे हैं, जबकि, पूरे राज्य में रजिस्टर्ड कोचिंग संस्थानों की
संख्या पांच सौ के आगे नहीं बढ़ पायी है.
राज्य सरकार ने 2010 में बिहार कोचिंग संस्थान अधिनियम बनाया था. इसके
तहत सभी कोचिंग संस्थानों को रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य कर दिया गया.
शुरुआती दिनों में कुछ संस्थाओं ने रजिस्ट्रेशन भी कराया.
शिक्षा विभाग के पास मौजूद आंकड़ों की माने तो पांच साल पहले करीब 500
कोचिंग संस्थानों ने ही रजिस्ट्रेशन करवाया था. विभाग को जिलों से नये
आकड़े नहीं मिले हैं. अब शिक्षा मंत्री डॉ अशोक चौधरी के निर्देश के बाद
कोचिंग संस्थानों की जांच के लिए राज्य मुख्यालय व जिला स्तर पर टीम बनायी
जा रही है. निर्धारित समय सीमा के बाद औचक निरीक्षण किया जायेगा. इसमें
अगर किसी संस्थान का रजिस्ट्रेशन नहीं मिला तो संबंधित कोचिंग संस्थान को
बंद तक कर दिया जायेगा. सरकार कोचिंग संस्थानों के लिए फीस निर्धारण का भी
मन बना रही है.
किसी भी कोचिंग संस्थान का रजिस्ट्रेशन तीन साल के लिए होगा. तीन साल
के बाद उन्हें फिर से रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. उन्हें पांच हजार रुपये के
शुल्क के साथ आवेदन करना होगा. आवेदन में संस्थानों को पाठ्यक्रम का
निर्धारण करना होगा कि उनके संस्थान में क्या पढ़ाया जायेगा और कब तक उसे
पूरा किया जायेगा. साथ ही हर कोर्स के लिए छात्र-छात्राओं की संख्या
निर्धारित होगी. ऐसा नहीं कि आवेदन में 50 छात्रों का बैच लिखा हो और पढ़ा
100 को रहे हों. कोचिंग संस्थानों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की योग्यता और
फीस भी सरकार की नजर होगी. पढ़ाने वाले फैकल्टी की योग्यता कम से कम स्नातक
होना चाहिए.
वे गैर सरकारी शिक्षक या फिर सेवानिवृत शिक्षक हो सकेंगे. साथ ही जो
भी पाठ्यक्रम होंगे उसकी फीस भी निर्धारित की जायेगी. इसके अलावा संस्थानों
की बिल्डिंग और अन्य सुविधाएं भी पर्याप्त होनी चाहिए. तीन साल बाद फिर से
रजिस्ट्रेशन के लिए तीन हजार का शुल्क देना पड़ता है. कोचिंग संस्थानों और
उनके कार्यकलाप की जांच का जिम्मा जिले के डीएम और एसडीएम को दिया गया है.
वे ही रजिस्ट्रेशन के लिए आये आवेदन पत्रों की जांच कर संस्थान का
निबंधन को हरी झंडी देते हैं. आवेदन देने के तीस दिन अंदर सारी अहर्ता पूरा
करने वाले संस्थानों का निबंधन हो जाता है. इसके लिए डीएम की अध्यक्षता
में कमेटी गठित की जाती है. पुलिस अधीक्षक सदस्य, जिला शिक्षा पदाधिकारी
सदस्य सचिव और अंगीभूत महाविद्यालय के प्राचार्य सदस्य होते हैं.
नियमों का नहीं हो रहा पालन
राज्य में पिछले कई सालों से कोचिंग संस्थानों में बढ़ोतरी हुई है.
पटना समेत सभी जिलों, अनुमंडलों में भी कोचिंग संस्थान खुल गये हैं. राज्य
सरकार के पास फिलहाल इसका कोई ताजा आंकड़ा नहीं है कि कितने कोचिंग संस्थान
हैं और अब तक कितने का रजिस्ट्रेशन हो सका है.
शिक्षा विभाग में मिली शिकायत के अनुसार राजधानी में ही कई कोचिंग
संस्थान तो एेसे हैं जो एक कमरे में चल रहे हैं. उसमें निर्धारित बच्चों से
ज्यादा छात्र-छात्राएं तो पढ़ ही रहे हैं, सुविधा के नाम पर भी उन्हें वह
सब चीजें नहीं दी जा रही है, जो दी जानी चाहिए. साथ ही फीस भी मनमाने ढंग
से वसूली जाती है.
डॉ अशोक चौधरी, शिक्षा मंत्री