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151 एचएम पर जुर्माना लगाये जाने से आक्रोशित हैं शिक्षक

2013 में साधनसेवियों ने दी थी जांच रिपोर्ट, अब की जा रही कार्रवाई
समस्तीपुर : जिले के लगभग सभी स्कूलों में छह सितंबर से मध्याह्न भोजन योजना ठप है. इसका प्रमुख कारण प्रधानाध्यापकों के द्वारा मध्याह्न भोजन योजन से अपने आप को अलग कर लेना है. इस वजह से स्कूल आने वाले करीब आठ लाख बच्चों को भोजन से वंचित होना पड़ रहा है. प्रधानाध्यापकों द्वारा मिड डे मील से अपने को अलग रखने के पीछे का सबसे प्रमुख कारण 151 एचएम पर लाखों रुपये जुर्माना कर उसके वेतन से राशि की कटौती किया जाना है.
 
इस कार्रवाई से जिले के सभी शिक्षकों में आक्रोश है. विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, वर्ष 2013 में मध्याह्न भोजना के साधनसेवियों के मिड डे मील से संबंधित जांच रिपोर्ट सौंपी गयी थी. जांच रिपोर्ट में कई स्कूलों में एमडीएम में अनियमितता बरते जाने एवं विभाग की ओर से दी जाने वाली राशि एवं खाद्यान्न का गबन करने का आरोप लगाया गया है. इस रिपोर्ट के आधार पर उस समय भी संबंधित प्रधानाध्यापकों से स्पष्टीकरण पूछे गये थे.
 
लगभग सभी आरोपित प्रधानाध्यापकों ने अपना जवाब भी दे दिया था. इसके बाद इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया. इधर, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी मध्याह्न भोजन योजना के पद पर संजय कुमार चौधरी के योगदान करने के बाद उन फाइलों पर कार्रवाई शुरू की गयी. शिक्षक संघों का कहना है कि प्रधान सचिव के जिस पत्र के आलोक में विभागीय पदाधिकारी के द्वारा कार्रवाई की जा रही है, वह वर्ष 2016 में प्राप्त हुआ है.
 
जबकि यह जो भी आरोप है वह वर्ष 2013 का है. इस पत्र के आलोक में 151 शिक्षकों पर लाखों रुपये का जुर्माना किया गया है. साथ ही उस जुर्माने की राशि को संबंधित एचएम के वेतन से कटौती की जा रही है, जो कहीं से भी न्याय संगत नहीं है. जबकि विभागीय पदाधिकारी का कहना है कि वरीय पदाधिकारियों के पत्र के आलोक में की जा रही कार्रवाई पूरी तरह न्याय संगत है. संघ एवं पदाधिकारियों के बीच इसी मसले पर जिच है, जिस वजह से एचएम अपने आप को मिड डे मील से अलग कर रखा है. 
डीएम के आदेश पर अमल नहीं
 
सूत्रों की मानें तो जिलाधिकारी के आदेश पर तत्काल अमल किया जाता तो आज यह नौबत नहीं आती. बताया जाता है कि 10 अगस्त को शिक्षा विभाग के अधिकारियों एवं शिक्षक संघ के प्रतिनिधियों के साथ जिलाधिकारी ने बैठक की थी. बैठक में डीएम ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया था कि मध्याह्न भोजन योजना के संचालन को लेकर जो परिस्थिति उत्पन्न होने वाली है उससे मिड डे मील के निदेशक एवं प्रधान सचिव को अवगत कराते हुए मार्गदर्शन की मांग करें. डीएम ने वैकल्पिक व्यवस्था करने के लिये भी अभी से ही तैयारी करने का निर्देश दिया था.
 

पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने डीएम के आदेश पर अमल नहीं की. आश्चर्य की बात तो यह है कि अगस्त के अंतिम सप्ताह में भी इसको लेकर बैठक हुुई. उस समय तक भी विभाग को इससे अवगत नहीं कराया गया. सूत्रों की मानें तो चार सितंबर को निदेशक मध्याह्न भोजन योजना को मार्गदर्शन के लिए पत्र भेजा गया. इस वजह से स्कूलों में मध्याह्न भोजन योजना पूरी तरह ठप हो गयी.
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