भोजपुर । शिक्षक नियोजन में जुगाड़ टेक्नोलाजी के सहारे गुरुजी बने आठ लोगों पर तीन अलग-अलग मामलों में प्राथमिकी दर्ज कर कानून का शिकंजा कस दिया गया है। प्रमाणपत्रों के जाच के बाद अनुभव प्रमाण पत्रों के फर्जी पाये जाने के बाद विजिलेन्स के इन्सपेक्टर श्री नारायण सिंह ने तीन अलग-अलग मामले दर्ज करवाये।
बड़हरा थाना में दर्ज काड संख्या 154/16 के तहत कुल छह लोग फर्जीवाड़े के अभियुक्त बनाये गये। प्रभारी थानाध्यक्ष एस एन ठाकुर ने जानकारी दी कि मुकेश कुमार सिंह
प्रा.वि. (कपुरदियारा), विद्या रानी (प्रा.वि. शिवनचक), उपेन्द्र पासवान (प्रा.वि. कुतुबपुर) के डेरा, मुकेश कुमार सिंह (प्रा.वि. दोकरिया), रीता कुमारी (प्रा.वि. धुसरिया) व उमेश राय (प्रा.वि. शिवनचक) अभियुक्त बनाये गये हैं। कृष्णागढ़ थाना द्वारा दर्ज कराये गये काड संख्या 155/16 में प्रा. वि. नरगदा की कुमारी सुनीता अभियुक्त बनी। वहीं खवासपुर ओपी द्वारा दर्ज कराये गये काड संख्या 156/16 में शिक्षक विश्वंभर यादव को फर्जीवाडे़ का अभियुक्त बनाया गया है। शिक्षक नियोजन जाच मामले का अन्वेषण करने वाले विजीलेन्स निरीक्षक के अनुसार फर्जी तरीके से बहाल शिक्षकों को त्याग पत्र देने के लिए उच्च न्यायालय पटना ने माफी की शर्त के साथ समय निर्धारित किया था। मगर उक्त शिक्षकों ने ऐसा नहीं किया। जिसके बाद कानूनी शिकंजा कसना पड़ा। अब नौकरी जाने के बाद रिकवरी की दोहरी मार भी झेलनी पड़ सकती है।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
बड़हरा थाना में दर्ज काड संख्या 154/16 के तहत कुल छह लोग फर्जीवाड़े के अभियुक्त बनाये गये। प्रभारी थानाध्यक्ष एस एन ठाकुर ने जानकारी दी कि मुकेश कुमार सिंह
प्रा.वि. (कपुरदियारा), विद्या रानी (प्रा.वि. शिवनचक), उपेन्द्र पासवान (प्रा.वि. कुतुबपुर) के डेरा, मुकेश कुमार सिंह (प्रा.वि. दोकरिया), रीता कुमारी (प्रा.वि. धुसरिया) व उमेश राय (प्रा.वि. शिवनचक) अभियुक्त बनाये गये हैं। कृष्णागढ़ थाना द्वारा दर्ज कराये गये काड संख्या 155/16 में प्रा. वि. नरगदा की कुमारी सुनीता अभियुक्त बनी। वहीं खवासपुर ओपी द्वारा दर्ज कराये गये काड संख्या 156/16 में शिक्षक विश्वंभर यादव को फर्जीवाडे़ का अभियुक्त बनाया गया है। शिक्षक नियोजन जाच मामले का अन्वेषण करने वाले विजीलेन्स निरीक्षक के अनुसार फर्जी तरीके से बहाल शिक्षकों को त्याग पत्र देने के लिए उच्च न्यायालय पटना ने माफी की शर्त के साथ समय निर्धारित किया था। मगर उक्त शिक्षकों ने ऐसा नहीं किया। जिसके बाद कानूनी शिकंजा कसना पड़ा। अब नौकरी जाने के बाद रिकवरी की दोहरी मार भी झेलनी पड़ सकती है।
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